EMI नहीं भरने वालों की अब खैर नहीं दरअसल, RBI एक ऐसा नया नियम ला रहा है, जिसके तहत बैंक और NBFC आपके मोबाइल को दूर से ही लॉक कर सकेंगे। यानी किस्त बकाया होते ही कॉल, मैसेज और ऐप्स बंद सिर्फ इमरजेंसी नंबर चालू रहेंगे। यह कदम EMI वसूली आसान बनाएगा, लेकिन क्या यह ग्राहकों के लिए "डिजिटल जेल" साबित होगा?
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने एक नया ड्राफ्ट नियम जारी किया है, जिसके मुताबिक अगर कोई ग्राहक EMI भरने में चूक करता है, तो बैंक या NBFC उसका मोबाइल फोन लॉक कर सकेंगे। यह सिस्टम डिजिटल लोन ऐप्स जैसे पेटीएम, फोनपे और अन्य फिनटेक प्लेटफॉर्म्स के जरिए लागू होगा।
Mobile on EMI
लोन लेते समय ग्राहक के मोबाइल का IMEI नंबर रजिस्टर होगा। अगर कोई व्यक्ति 90 दिन तक EMI नहीं भरता, तो लेंडर उसके फोन को *ट्रैकिंग मोड* में डाल सकता है। इस स्थिति में फोन से कॉल करना, मैसेज भेजना और ऐप्स इस्तेमाल करना बंद हो जाएगा। हालांकि, इमरजेंसी नंबर चलते रहेंगे।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) छोटे लोन की रिकवरी को आसान बनाने के लिए नया कदम उठाने की तैयारी कर रहा है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने यह खबर सूत्रों के हवाले से दी है। अगर यह नियम लागू हो गया तो लोन न चुकाने की हालत में कर्ज देने वाला बैंक या फाइनेंशियल कंपनी आपके मोबाइल फोन को दूर से ही लॉक कर सकेगी। RBI का कहना है कि डिजिटल लोन पर डिफॉल्ट बहुत तेजी से बढ़ रहा है। 2022 में जहां डिजिटल लोन का NPA 2.5% था, वहीं 2024 में यह बढ़कर 5% से ज्यादा हो गया। छोटे लोन (₹5,000 से ₹50,000 तक) में डिफॉल्ट सबसे ज्यादा है, क्योंकि कई लोग किस्त चुकाए बिना गायब हो जाते हैं।
2023 में फोनपे ने करीब 10,000 डिफॉल्टर्स के फोन ब्लॉक करने की योजना बनाई थी, लेकिन RBI ने इसे रोक दिया था। अब RBI इस सिस्टम को सहमति और कानूनी रूप देकर लागू करने पर विचार कर रहा है।
क्या होगा असर
अगर यह नियम लागू होता है, तो लोन देने वाली कंपनियों को EMI वसूलना आसान हो जाएगा और NPA भी घटेगा। ग्राहकों पर समय से किस्त भरने का दबाव रहेगा और उनका क्रेडिट स्कोर सुधर सकता है। इससे डिजिटल लोन बाजार को मजबूती मिलेगी।
लेकिन इसके खतरे भी कम नहीं हैं। फोन लॉक होने पर लोग अपना रोजमर्रा का काम नहीं कर पाएंगे, जिससे उनकी आजीविका प्रभावित हो सकती है। विशेषज्ञ इसे “डिजिटल जेल” कह रहे हैं। साथ ही, डेटा प्रोटेक्शन कानून का उल्लंघन और ग्राहकों को परेशान करने का खतरा भी है।
फिनटेक कंसल्टेंट सौरभ त्रिपाठी का कहना है, “यह नियम लेंडर्स को तो ताकत देगा, लेकिन ग्राहकों के अधिकारों को नुकसान पहुंचा सकता है। सहमति का दुरुपयोग भी हो सकता है।”
मांगे गए सुझाव
RBI ने इस ड्राफ्ट पर सभी पक्षों से सुझाव मांगे हैं और उम्मीद है कि 2026 तक अंतिम गाइडलाइन जारी की जाएगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बजाज फिनसर्व और पेटीएम पहले से ही IMEI ट्रैकिंग का ट्रायल कर रहे हैं। वहीं, कंज्यूमर संगठन जैसे कंज्यूमर वॉइस इसका विरोध कर रहे हैं और इसे ग्राहकों की निजता पर हमला बता रहे हैं।