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बिजनेस

सोना का भाव रिकॉर्ड हाई पर पहुंचा, अब सौने की ज्वैलरी, सिक्का या गोल्ड ETF? कौन है बेहतर निवेश विकल्प

सोना रिकॉर्ड ऊंचाई पर है और निवेशकों के सामने बड़ा सवाल खड़ा है ज्वैलरी और सिक्कों जैसे पारंपरिक विकल्प चुनें या गोल्ड ETF जैसे आधुनिक साधन? पिछले एक साल में दोनों ने बेहतरीन रिटर्न दिए हैं, लेकिन फायदे और जोखिम अलग-अलग हैं। जानें किस विकल्प में मिलेगा आपको ज्यादा मुनाफा और कौन-सा रहेगा आपकी जरूरत के लिए परफेक्ट।

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सोना हमेशा से भारतीय निवेशकों का पसंदीदा रहा है। पिछले एक साल में सोने की कीमतों में जबरदस्त तेजी आई है। 11 सितंबर 2024 को 24 कैरेट सोना 73,200 रुपये प्रति 10 ग्राम था, जो अब बढ़कर 1,12,500 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है। यानी सिर्फ एक साल में करीब 54% का उछाल। यही कारण है कि निवेशक अब सोच रहे हैं कि सोने में पैसा कहां लगाना बेहतर होगा ज्वैलरी और सिक्के जैसे फिजिकल गोल्ड में या फिर गोल्ड ETF में।

Gold Investment
Gold Investment

गोल्ड ETF क्या है?

गोल्ड ETF (Exchange Traded Fund) सोने में निवेश का एक आधुनिक तरीका है। यह स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होता है और इसकी कीमत सोने के भाव से जुड़ी रहती है। यानी जैसे-जैसे सोना महंगा होगा, वैसे-वैसे गोल्ड ETF की वैल्यू भी बढ़ेगी। इसे डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के जरिए शेयरों की तरह कभी भी खरीदा और बेचा जा सकता है।

गोल्ड ETF के फायदे

गोल्ड ETF में निवेश करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें सोना फिजिकल रूप से रखने की जरूरत नहीं होती, इसलिए चोरी या शुद्धता की चिंता नहीं रहती। इसकी कीमतें बाजार में आसानी से देखी जा सकती हैं और जरूरत पड़ने पर तुरंत बेचकर पैसा निकाला जा सकता है। इसके अलावा, कम रकम से भी निवेश की शुरुआत की जा सकती है।

गोल्ड ETF के जोखिम

ETF स्टॉक मार्केट से जुड़ा होता है, इसलिए इसमें बाजार की अस्थिरता का असर पड़ता है। इसमें फंड मैनेजमेंट चार्ज भी देना पड़ता है, जिससे रिटर्न थोड़ा कम हो सकता है। अगर भविष्य में सोने के दाम गिरते हैं तो नुकसान की संभावना भी रहती है।

फिजिकल गोल्ड में निवेश

भारत में गहनों, सिक्कों और बिस्किट के रूप में सोना खरीदने की परंपरा पुरानी है। शादियों और त्योहारों में इसकी हमेशा मांग बनी रहती है। हालांकि, इसमें मेकिंग चार्ज, स्टोरेज और शुद्धता की दिक्कतें रहती हैं।

सोने में निवेश के और विकल्प

फिजिकल गोल्ड और ETF के अलावा सोने में निवेश के और भी साधन मौजूद हैं। जैसे गोल्ड म्यूचुअल फंड्स (Gold Mutual Funds) जो अप्रत्यक्ष रूप से गोल्ड ETF में निवेश करते हैं। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGBs): सरकार द्वारा जारी बॉन्ड, जिन पर ब्याज भी मिलता है।

पिछले एक साल में फिजिकल गोल्ड और गोल्ड ETF दोनों ने शानदार रिटर्न दिए हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि फिजिकल गोल्ड भावनात्मक और पारंपरिक जरूरतों को पूरा करता है, जबकि गोल्ड ETF आधुनिक निवेशकों को सुरक्षित और सुविधाजनक विकल्प देता है। निवेश से पहले अपनी जरूरत, लक्ष्य और रिस्क प्रोफाइल को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है।

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रिचा त्रिपाठी author

लखनऊ शहर से आने वाली रिचा त्रिपाठी ने नोएडा में अपनी अलग पहचान बनाई है। रिचा त्रिपाठी टाइम्स नाउ नव...और देखें

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