Income Tax Return: टैक्सपेयर्स और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के लिए बड़ी खबर है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए फॉर्म 3CA-3CD और 3CB-3CD अब इनकम टैक्स विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर उपलब्ध हैं। इन फॉर्म्स को अब ऑनलाइन दाखिल किया जा सकता है, जो टैक्स ऑडिट रिपोर्ट के लिए जरूरी हैं और टैक्स ऑडिट सीजन की शुरुआत का संकेत हैं।
Income Tax Return: टैक्सपेयर्स और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के लिए अच्छी खबर है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए फॉर्म 3CA-3CD और 3CB-3CD अब इनकम टैक्स विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर उपलब्ध हैं और इन्हें दाखिल किया जा सकता है।
इनकम टैक्स रिटर्न पर बड़ा अपडेट (तस्वीर-istock)
इन्कम टैक्स इंडिया ने अपने आधिकारिक पोस्ट में कहा कि टैक्सपेयर्स का ध्यान आकर्षित किया जाता है! फॉर्म 3CA-3CD और 3CB-3CD को नोटिफिकेशन नंबर 23/2025/F के अनुसार ई-फाइलिंग पोर्टल पर सक्षम किया गया है।
ये फॉर्म सेक्शन 44AB के तहत टैक्स ऑडिट रिपोर्ट के लिए जरूरी हैं। फॉर्म 3CA-3CD उन करदाताओं के लिए है जिनके खातों का ऑडिट किसी अन्य कानून (जैसे कंपनी अधिनियम, 2013) के तहत अनिवार्य होता है, जबकि फॉर्म 3CB-3CD उन करदाताओं के लिए है जिन्हें अन्य कानूनों के तहत ऑडिट जरूरी नहीं लेकिन वे सेक्शन 44AB के दायरे में आते हैं।
इन फॉर्म्स की उपलब्धता से आकलन वर्ष 2025-26 के लिए टैक्स ऑडिट सीजन की आधिकारिक शुरुआत होती है। टैक्स ऑडिट रिपोर्ट सामान्यतः 30 सितंबर, 2025 तक जमा करनी होती है, जब तक कि CBDT द्वारा समय सीमा न बढ़ाई जाए।
जैसे ही टैक्स ऑडिट रिपोर्ट दाखिल कर दी जाती है, टैक्सपेयर्स को 31 अक्टूबर, 2025 तक अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करना जरूरी होता है। यह ध्यान देना जरूरी है कि बिना ऑडिट वाले ITR भरने की आखिरी तारीख 15 सितंबर, 2025 है।टैक्स पेशेवर इन फॉर्म्स की रिलीज का इंतजार कर रहे थे, क्योंकि इनकी उपलब्धता समय पर ऑडिट पूरा करने के लिए बेहद जरूरी है।
खासतौर पर उन व्यवसायों और पेशेवरों के लिए जिनकी टर्नओवर या रसीदें निर्धारित सीमा से अधिक हैं। इससे पहले इस महीने, इनकम टैक्स विभाग ने विभिन्न टैक्सपेयर कैटेगरीज के लिए कई अन्य ITR फॉर्म्स भी जारी किए हैं और ई-फाइलिंग यूटिलिटी को लगातार अपडेट कर रहा है ताकि टैक्स अनुपालन आसान हो सके।
किसे टैक्स ऑडिट कराना जरूरी है?
इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 44AB के तहत टैक्स ऑडिट उन व्यक्तियों, फर्मों या व्यवसायों के लिए अनिवार्य है, जिनकी कुल बिक्री, टर्नओवर या सकल रसीदें एक वित्तीय वर्ष में ₹1 करोड़ से अधिक होती हैं। हालांकि अगर टैक्सपेयर्स की कैश रसीदें और भुगतान कुल लेन-देन का 5% से अधिक नहीं हैं, तो यह सीमा ₹10 करोड़ तक बढ़ जाती है। पेशेवरों (Professionals) के लिए, अगर उनकी सकल रसीदें ₹50 लाख से अधिक हैं, तो टैक्स ऑडिट कराना अनिवार्य होता है।
प्रिजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम के तहत क्या नियम हैं?
धारा 44AD के तहत अगर टर्नओवर ₹2 करोड़ से अधिक है या अगर करदाता प्रिजम्पटिव दर से कम आय घोषित करता है और उसकी कुल आय बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट से अधिक है, तो टैक्स ऑडिट जरूरी हो जाता है। इसी तरह, धारा 44ADA (पेशेवरों के लिए) और धारा 44AE (ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों के लिए) में भी यही नियम लागू होते हैं। टैक्स ऑडिट केवल चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा किया जाना चाहिए और रिपोर्ट को फॉर्म 3CA या 3CB के साथ फॉर्म 3CD में नियत तारीख से पहले फाइल करना होता है।