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गौ तस्करों के खिलाफ मुख्यमंत्री धामी के कड़े तेवर , बोले- बाहर से आए लोगों का कड़ाई से हो सत्यापन

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में (सितंबर 2025) देवभूमि उत्तराखंड में गौवंश की हत्या और इससे जुड़े अवैध कारोबार पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं।
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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (फोटो - CM OFFICE TWITTER)

देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में (सितंबर 2025) देवभूमि उत्तराखंड में गौवंश की हत्या और इससे जुड़े अवैध कारोबार पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने पुलिस और प्रशासन को गौ-तस्करों के खिलाफ सघन अभियान चलाने, सीमावर्ती जिलों में संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने तथा बाहरी लोगों के सत्यापन को कड़ाई से सुनिश्चित करने का आदेश दिया।

यह फैसला उत्तराखंड संरक्षण गौवंश अधिनियम, 2007 के तहत आता है, जो गाय और उसके वंशजों (बछड़े, बैल, बछिया आदि) की हत्या को पूरी तरह प्रतिबंधित करता है। यहां गाय को माता के रूप में पूजा जाता है, और गौहत्या या तस्करी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के साथ-साथ सामाजिक सद्भाव को खतरे में डालती है। राज्य में गौ-तस्करी का मुद्दा वर्षों से चला आ रहा है, लेकिन पहले सख्त कार्रवाई की कमी के कारण तस्कर बेखौफ हो गए थे।

हाईकोर्ट ने गो हत्या पर पूर्ण पाबंदी लगाई थी

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 2018 में खुद को गायों का "कानूनी अभिभावक" घोषित करते हुए गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था। राज्य सरकार ने 2023 में गौ-तस्करी को "गैंगस्टर एक्ट" के तहत अपराध घोषित किया, ताकि संगठित गिरोहों पर अंकुश लगाया जा सके। अब सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को आखिर बड़ा कदम क्यों उठाना पड़ रहा है आखिर? क्यों गोवंश को लेकर हम भी चिंतित हैं। आइए जानते हैं इस पर एक विस्तार से रिपोर्ट कि पिछले वर्षों में गोवंश। को लेकर कितने अपराध हुए और उसमें?

गो तस्करों के खिलाफ धामी का सख्त रुख

आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर की कार्यवाही करने का आदेश दिया गया था उसी को अम्ल मे लाते हुए मुख्यमंत्री ने आज अधिकारियों को दिशा निर्देश देते हुए चेताया है कि ऐसे लोगों को बिलकुल भी न बख्शा जाए जो गो वंश के अउत्तराखंड में गौ-तस्करी और हत्या के मामले 2017 से लगातार सामने आ रहे हैं। 2017 से 2021 तक गौ-रक्षा दलों ने 277 तस्करों को पकड़ा। नीचे प्रमुख घटनाओं का विवरण वर्षवार दिया गया है, जो सख्त कार्रवाई की आवश्यकता दर्शाता है:

2017-2020: राज्य में गौ-तस्करी के मामले बढ़े। 2017 से गौ-रक्षा दलों ने सैकड़ों गायों को बचाया। एक रिपोर्ट के अनुसार, तस्कर मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार से आते थे, जो नेपाल सीमा के रास्ते पशुओं को ले जाते। 2020 में देहरादून और हरिद्वार में कई छापेमारी हुईं, लेकिन सजा कम मिली, जिससे तस्कर उत्साहित हुए।

2021: देहरादून के क्लेमेंटाउन में एक प्रमुख मामला सामने आया, जहां एक तस्कर को 8 मामलों में वांछित घोषित किया गया। वह गौहत्या और तस्करी के आरोप में 15,000 रुपये का इनाम था। पुलिस ने उसे पैर में गोली मारकर गिरफ्तार किया। इसी वर्ष, 277 गिरफ्तारियों की कुल संख्या बताती है कि समस्या संगठित थी। 2022: सीमावर्ती क्षेत्रों में तस्करी बढ़ी। गौहत्या रोकथाम अधिनियम के तहत कई केस दर्ज, लेकिन तस्करों की संख्या कम नहीं हुई। एक रिपोर्ट में कहा गया कि बाहरी तस्कर बेखौफ थे क्योंकि पहले सख्ती की कमी थी।

2023: जनवरी: डीजीपी अशोक कुमार ने गौ-तस्करी को गैंगस्टर एक्ट के तहत अपराध बनाया। इससे पहले, तस्कर डरते नहीं थे। मई: रुड़की के बहादराबाद में पुलिस और तस्करों के बीच मुठभेड़। एक पुलिसकर्मी और तस्कर घायल हुए। 20 से अधिक गायें बरामद।

कुल: दर्जनों मामले, खासकर बॉर्डर जिलों में।

2024: मामले जारी रहे। उत्तर प्रदेश से सटे जिलों (उधम सिंह नगर, चंपावत) में तस्करी की खबरें। एक मामले में 9 तस्करों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा चला। इतिहास पत्रिका (हिस्ट्री शीट) 18 तस्करों की खोली गई। राष्ट्रीय स्तर पर गौ-तस्करी से जुड़ी हिंसा के 5 मामले दर्ज।

2025 (जनवरी-जून): जून: सात तस्कर गिरफ्तार, दो अलग मामले में पकड़े गए। गौहत्या रोकथाम अधिनियम और पशु क्रूरता अधिनियम के तहत कार्रवाई।

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    अभिषेक सिन्हा author

    पत्रकारिता में 23वर्षों का अनुभव पिछले 19 वर्षों से उत्तराखंड की छोटी से लेकर बड़ी ख़बरों को करने में अहम योगदान एवं सबसे आगे, दिल्ली एनसीआर में जैन ट...और देखें

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