राजस्थान में धर्मांतरण विरोधी बिल 2025: अब बुलडोजर एक्शन को कानूनी जामा

जयपुर: राजस्थान सरकार ने विधानसभा में ‘प्रोहिबिशन ऑफ अनलॉफुल कन्वर्जन ऑफ रिलीजन बिल 2025’ पेश किया है। इस बिल के जरिए पहली बार उन संस्थाओं पर बुलडोजर एक्शन का कानूनी प्रावधान किया गया है, जो लालच, दबाव, धोखे या डरा-धमकाकर धर्म परिवर्तन कराती हैं।
बिल में स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी संस्था द्वारा गलत तरीके से धर्मांतरण कराया गया या उसका भवन अतिक्रमण कर बनाया गया है, तो प्रशासन और स्थानीय निकाय जांच के बाद बुलडोजर कार्रवाई कर सकेंगे। बिल के प्रावधानों के अनुसार, यदि किसी जगह पर सामूहिक धर्म परिवर्तन होता है, तो उस संपत्ति को जब्त कर ध्वस्त किया जा सकेगा। प्रशासन ऐसे भवनों को सील कर कब्जे में लेगा। यह बिल मंगलवार को विधानसभा में बहस के बाद पारित हो सकता है। माना जा रहा है कि इसके लागू होने के बाद राज्य में धर्मांतरण से जुड़ी गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई संभव होगी।
- जिन संस्थाओं या भवनों में गलत तरीके से धर्मांतरण होगा या वे अतिक्रमण पर बने होंगे, वहां बुलडोजर चलेगा।
- स्थानीय निकाय और प्रशासन जांच के बाद ही कार्रवाई करेंगे।
- बुलडोजर एक्शन से पहले नोटिस दिया जाएगा, और अतिक्रमण साबित होने पर 72 घंटे के भीतर कार्रवाई होगी।
- अगर किसी भवन में सामूहिक धर्मांतरण हुआ है तो उसे प्रशासन जब्त या ध्वस्त कर सकेगा।
शादी और धर्म परिवर्तन- अगर कोई व्यक्ति शादी के उद्देश्य से धर्म परिवर्तन करवाता है, तो इसे धर्मांतरण माना जाएगा।
- इस श्रेणी में वे मामले आएंगे, जहां शादी से पहले या बाद में झूठे वादे, लालच, या बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन कराया गया हो।
- ऐसी शादी को कोर्ट से शून्य घोषित किया जा सकेगा।
- इसे लव जिहाद से जोड़कर देखा जा रहा है।
अपराध और सजा
जबरन धर्मांतरण को गैर-जमानती अपराध घोषित किया गया है।
अवैध धर्मांतरण पर – न्यूनतम 7 साल से 14 साल तक की सजा और 5 लाख रुपए जुर्माना।
नाबालिग, महिला, दिव्यांग, एससी-एसटी वर्ग के व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराने पर – 10 साल से 20 साल तक की सजा और 10 लाख रुपए जुर्माना।
सामूहिक धर्मांतरण पर – कम से कम 20 साल की सजा, उम्रकैद तक की सजा और 25 लाख रुपए जुर्माना।
विदेशी संस्थान से फंड लेकर धर्म परिवर्तन कराने पर – 10 से 20 साल की सजा और 20 लाख रुपए जुर्माना।
बार-बार अपराध करने वालों को – आजीवन कारावास और भारी जुर्माना।
घर वापसी को छूटबिल में साफ कहा गया है कि घर वापसी धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा।
यानी अगर कोई व्यक्ति अपने पैतृक धर्म में लौटना चाहता है, तो उसे धर्मांतरण की श्रेणी में नहीं गिना जाएगा।
धर्म परिवर्तन की वैधानिक प्रक्रिया
- जो भी व्यक्ति अपनी इच्छा से धर्म बदलना चाहता है, उसे कम से कम 90 दिन पहले कलेक्टर या एडीएम को लिखित घोषणा देनी होगी।
- धर्म परिवर्तन कराने वाले धर्माचार्य को भी 60 दिन पहले नोटिस देना होगा।
- प्रशासन इस सूचना को नोटिस बोर्ड पर सार्वजनिक करेगा और 2 महीने तक आपत्तियां मांगी जाएंगी।
- आपत्तियों की सुनवाई के बाद ही धर्म परिवर्तन मान्य होगा।
राजनीतिक और सामाजिक असर
इस बिल को लेकर राजनीतिक और सामाजिक बहस तेज हो गई है।समर्थक मानते हैं कि यह कानून जबरन धर्मांतरण और लव जिहाद जैसे मामलों पर रोक लगाएगा। आलोचक इसे अभिव्यक्ति और धार्मिक स्वतंत्रता पर अंकुश बताकर विरोध कर रहे हैं। बहरहाल अब विधानसभा में बहस के बाद यह बिल पारित होता है या नहीं, यह देखना होगा। लेकिन इतना तय है कि राजस्थान में धर्मांतरण विरोधी कानून नए सिरे से सामाजिक और राजनीतिक हलचल खड़ी करने वाला साबित होगा।
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पत्रकारिता में पिछले सात साल से सक्रिय हैं, वर्तमान में टाइम्स नाउ में राजस्थान ब्यूरो हेड हैं। इससे पहले, ज़ी मीडिया और न्यूज़18 नेटवर्क के राजस्थान ...और देखें

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