मुंबई

बॉम्बे हाईकोर्ट का अनोखा फैसला: झूठी FIR पर सुनाई पोछा लगाने की सजा, जेल या जुर्माना नहीं, करनी होगी अस्पताल की सफाई

मुंबई हाईकोर्ट ने कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने पर एक व्यक्ति को अनोखी सजा सुनाई है। अदालत ने निर्देश दिया है कि आरोपी को 15 दिनों तक प्रतिदिन तीन घंटे तक जेजे अस्पताल की सफाई करनी होगी। 15 दिन के बाद अस्पताल रजिस्ट्रार कोर्ट में एक रिपोर्ट जमा करेगा, जिसमें बताया जाएगा कि व्यक्ति ने कोर्ट के आदेश का पालन किया या नहीं।
Bombay High Court

बॉम्बे हाईकोर्ट (फोटो - Bombay High Court Website)

Mumbai News: मुंबई में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को झूठी एफआईआर दर्ज करने के आरोप में एक अनूठी सजा सुनाई है। कोर्ट ने आरोपी को जेल या जुर्माना लगाने के बजाय समाज सेवा करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की खंडपीठ ने आरोपी को लगातार 15 दिनों तक, सोमवार से शुक्रवार, हर दिन तीन घंटे अस्पताल की साफ-सफाई करने का निर्देश दिया है। इस काम में अस्पताल के कॉमन एरिया और फर्श पर पोछा लगाना शामिल है।

अदालत ने यह भी साफ किया है कि अस्पताल प्रशासन आरोपी को अन्य काम भी दे सकता है। 15 दिनों के बाद अस्पताल का रजिस्ट्रार कोर्ट में एक रिपोर्ट जमा करेगा, जिसमें यह बताया जाएगा कि आरोपी ने आदेश का पालन किया है या नहीं। यदि आरोपी आदेश का पालन नहीं करता है, तो उसके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला चलाया जाएगा।

टीवी सीरियल पर झूठी शिकायत

यह पूरा मामला एक टीवी सीरियल से जुड़ा है, जिसमें एक 46 वर्षीय व्यक्ति और 19 वर्षीय लड़की की प्रेम कहानी दिखाई गई थी। आरोपी ने इस सीरियल के खिलाफ आपत्ति जताते हुए एक एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद, सीरियल के चैनल ने इस एफआईआर के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि आरोपी बार-बार अपनी पहचान बदलकर कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश कर रहा था। अदालत ने इस व्यवहार को गंभीरता से लिया और कहा कि जो लोग कानून का गलत इस्तेमाल करते हैं, उन्हें सबक सिखाना बहुत जरूरी है।

कानून के दुरुपयोग पर सख्त रुख

अदालत ने कहा कि आरोपी ने अपने व्यक्तिगत लाभ और एजेंडे को पूरा करने के लिए कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया। इस तरह के मामलों में, केवल जुर्माना या जेल की सजा देना काफी नहीं होता। सामाजिक सेवा जैसी सजा समाज को एक मजबूत संदेश देती है कि कानून का गलत इस्तेमाल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह फैसला उन लोगों के लिए एक चेतावनी है जो झूठी शिकायतें दर्ज कराकर पुलिस और अदालत का समय बर्बाद करते हैं। यह फैसला दिखाता है कि न्यायपालिका समाज में न्याय और अनुशासन बनाए रखने के लिए रचनात्मक तरीकों का उपयोग कर रही है।

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varsha kushwaha author

वर्षा कुशवाहा टाइम्स नाऊ नवभारत में बतौर कॉपी एडिटर काम कर रही हैं। नवंबर 2023 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। वह इंफ्रा, डेवलप...और देखें

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