पटना

बिहार चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन में घमासान: माले ने कांग्रेस पर गठबंधन धर्म तोड़ने का लगाया आरोप

बिहार चुनाव में सीट बंटवारे से पहले महागठबंधन में दिखने लगा दरार, सीट बंटवारे से पहले उम्मीदवारों के आवेदन लेने से कांग्रेस के सहयोगी हो गए हैं नाराज।
बिहार चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन में घमासान: माले ने कांग्रेस पर गठबंधन धर्म तोड़ने का लगाया आरोप

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर तनाव गहराता जा रहा है। भाकपा-माले के काराकाट विधायक अरुण सिंह ने कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस, राजद और माले की जीती हुई सीटों पर भी उम्मीदवारों से आवेदन ले रही है, जो कि गठबंधन धर्म के खिलाफ है।

कांग्रेस की प्रक्रिया पर आपत्ति

अरुण सिंह ने साफ कहा कि कांग्रेस को केवल अपनी तय सीटों पर ही प्रत्याशी चयन करना चाहिए। फिलहाल प्रीणीति शिंदे की अगुवाई वाली कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी सासाराम समेत कई सीटों पर उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। प्रीणीति शिंदे का कहना है कि अभी सीट बंटवारा तय नहीं हुआ है, इसलिए सभी विधानसभा सीटों के लिए आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं।

माले की मांग – 40 सीटों पर उम्मीदवारी

माले विधायक अरुण सिंह ने याद दिलाया कि 2020 विधानसभा चुनाव में माले ने 19 सीटों पर लड़कर 12 पर जीत दर्ज की थी। वहीं 2024 लोकसभा चुनाव में भी माले ने 3 सीटों में से 2 पर जीत हासिल की। इसी आधार पर माले का कहना है कि उसे कम से कम 40 विधानसभा सीटें मिलनी चाहिए और हर जिले में उसकी हिस्सेदारी होनी चाहिए। माले का दावा है कि गरीब, पिछड़े और अल्पसंख्यक वोटरों में उसका मजबूत जनाधार गठबंधन की मजबूती है।

कांग्रेस की आक्रामक रणनीति

कांग्रेस ने पिछली बार 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार वह 50-55 सीटों की उम्मीद कर रही है। बावजूद इसके कांग्रेस ने सभी 243 सीटों पर आवेदन मंगवाकर आक्रामक रुख दिखाया है। स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन अजय माकन 13-14 अगस्त को पटना में दावेदारों से मुलाकात कर चुके हैं। प्रीणीति शिंदे का कहना है कि यह प्रक्रिया समय से प्रचार की तैयारी के लिए जरूरी है।

रोहतास में बढ़ा विवाद

रोहतास जिले में कांग्रेस को 2020 में केवल करगहर और चेनारी सीटें मिली थीं। लेकिन अब कांग्रेस की नजर माले की जीती सीटों जैसे काराकाट और तरारी पर भी है। माले का कहना है कि यह गठबंधन में अविश्वास पैदा करेगा और कांग्रेस को अपनी पुरानी सीटों पर ही फोकस करना चाहिए।

गठबंधन पर संकट का साया

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस और माले के बीच का यह टकराव महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़ा करता है। माले और राजद के बीच पहले से ही मजबूत तालमेल रहा है, लेकिन कांग्रेस की आक्रामक दावेदारी से यह संतुलन बिगड़ सकता है। अगर सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बनी तो इसका सबसे बड़ा फायदा बीजेपी को मिल सकता है।

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