Chhattisgarh News: नक्सलियों पर कड़ा प्रहार, डेढ़ साल में 400 से ज्यादा ढेर; हथियार छोड़ विकास की राह पर बस्तर!

फाइल फोटो (PTI)
Chhattisgarh Naxalites: छत्तीसगढ़ में पिछले डेढ़ सालों में चार सौ से अधिक नक्सलियों को मुठभेड़ों में मार गिराया गया है। इस दौरान एक हजार से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। अधिकारियों ने बताया कि कभी नक्सलवाद के गढ़ रहे बस्तर क्षेत्र में अब व्यापक रूप से विकास कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले डेढ़ वर्ष में एक निर्णायक अभियान चलाया गया, जिससे नक्सलवाद अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है। इस अवधि में 453 नक्सली मुठभेड़ों में नक्सली मारे गए, 1,602 ने आत्मसमर्पण किया और 1,591 को गिरफ्तार किया गया। वहीं 1,162 बारूदी सुरंगों का पता लगाकर उन्हें निष्क्रिय किया गया।’’
2026 तक नक्सलवाद मुक्त बनाने का लक्ष्य
न्यूज एजेंसी भाषा के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि इस दौरान सुरक्षाबलों ने माओवादियों की केंद्रीय समिति के महासचिव बसवराजू को मार गिराने में सफलता पाई है। उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण करने वालों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने देश की सबसे बेहतर पुनर्वास नीति लागू की है जिसमें तीन सालों तक प्रतिमाह दस हजार रुपये प्रोत्साहन राशि, कौशल विकास प्रशिक्षण, स्वरोजगार से जोड़ने की व्यवस्था, नकद इनाम, तथा कृषि या शहरी भूमि प्रदान करने का प्रावधान है। सरकार का लक्ष्य मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से मुक्त कर बस्तर को शांति और प्रगति की भूमि बनाना है।
बस्तर को विकास के मार्ग में अग्रणी बनाना लक्ष्य- सीएम
बस्तर के विकास को लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा, ‘‘बस्तर में अब बंदूक की जगह किताब हैं, सड़क और तरक्की की गूंज सुनाई दे रही है। हमारा लक्ष्य बस्तर को विकास के मार्ग में अग्रणी बनाना है।’’ अधिकारियों ने कहा, ‘‘आजादी के बाद पहली बार अबूझमाड़ के रेकावाया गांव में स्कूल बन रहा है, जहां कभी माओवादी अपने स्वयं के स्कूल संचालित करते थे। हिंसा के कारण बंद पड़े लगभग 50 स्कूलों को फिर से खोला गया है, नए भवन तैयार हुए हैं, और सुरक्षा शिविर खुलने के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं भी तेजी से पहुंचाई जा रही हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बिजली के क्षेत्र में भी बस्तर ने नया इतिहास रचा है। नक्सली कमांडर हिड़मा के पैतृक गांव पूवर्ति समेत कई दुर्गम गांवों में पहली बार बिजली पहुंचाई गई है। बीजापुर के चिलकापल्ली गांव में 77 वर्षों बाद, 26 जनवरी 2025 को पहली बार बिजली पहुंचाई गई।’’
सड़क निर्माण में भी उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डालते हुए अधिकारी ने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 275 किलोमीटर लंबी 49 सड़कें और 11 पुल तैयार किए गए हैं। केशकाल घाटी के चौड़ीकरण, चार-लेन बाईपास के निर्माण और इंद्रावती नदी पर बने नए पुल से आवागमन सुगम हुआ है। उन्होंने बताया कि रावघाट से जगदलपुर तक 140 किलोमीटर लंबी नयी रेलवे लाइन परियोजना को मंजूरी मिली है, जिससे बस्तर के चौमुखी विकास को बल मिलेगा। केके लाइन के दोहरीकरण का कार्य तेजी से जारी है।
तेलंगाना के कोठागुडेम से दंतेवाड़ा-किरंदूल को जोड़ने वाली 160 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन के सर्वेक्षण का कार्य अंतिम चरण में है, जिसमें से 138 किलोमीटर हिस्सा छत्तीसगढ़ में है। उन्होंने बताया कि बस्तर के दूरदराज गांवों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए ‘नियद नेल्ला नार’ (अर्थात आपका अच्छा गांव) योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत 54 सुरक्षा शिविरों के 10 किलोमीटर दायरे में स्थित 327 से अधिक गांवों में सड़क, बिजली, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, राशन कार्ड, आधार कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड, प्रधानमंत्री आवास, मोबाइल टावर और वन अधिकार पट्टों जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
(इनपुट - भाषा)
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