वाराणसी

Varanasi Ganga Aarti: वाराणसी में 7 सितंबर को दोपहर में होगी गंगा आरती, जानें क्या है वजह?

Varanasi Ganga Aarti: वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर शाम को होने वाली गंगा आरती रविवार, 7 सितंबर को दोपहर में होगी। जिसकी वजह 7 सितंबर को लगने वाला साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है। जिसके चलते आरती के समय में बदलाव किया गया है। वर्तमान में बनारस में गंगा नदी में बाढ़ आई हुई है। जिस कारण कई घाट भी डूबे हुए हैं। ऐसे में दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती छत पर आयोजित की जा रही है।
Ganga Aarti- canva

वाराणसी में गंगा आरती (फाइल फोटो)

Varanasi News: चंद्रग्रहण के कारण वाराणसी के प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर मां गंगा की आरती इस बार दोपहर 12 बजे आयोजित की जाएगी। गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र ने बताया कि सूतक काल रविवार दोपहर 12 बजकर 57 मिनट से शुरू हो रहा है, जिसके चलते शाम की नियमित आरती का समय बदल दिया गया है। सूतक काल से पहले आरती संपन्न करने के लिए इसे दोपहर में किया जाएगा।

7 सितंबर को इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण

इस साल का अंतिम चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को लगने जा रहा है, जिसे देशवासी देख सकेंगे। हिंदू धर्म में सूतक काल को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दौरान शुभ और मांगलिक कार्यक्रम वर्जित होते हैं। सुशांत मिश्र ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में बताया कि हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल और चंद्रग्रहण के दौरान पूजा-पाठ और मंदिर दर्शन बंद रहते हैं। इसलिए गंगा सेवा निधि ने मां गंगा की आरती का समय बदला गया है।

34 साल में पांचवी बार दोपहर में हो रही गंगा आरती

सुशांत मिश्र ने बताया कि सुबह की आरती अपने नियमित समय, सूर्योदय के समय प्रातः 8 बजे होगी। उन्होंने बताया कि आरती का स्वरूप और परंपरा पूरी तरह से विधि-विधान के अनुसार होगी। उन्होंने बताया कि यह 34 साल में पांचवीं बार है, जब मां गंगा की आरती दिन में आयोजित की जा रही है।इससे पहले 7 अगस्त 2017, 27 जुलाई 2018, 16 जुलाई 2019 और 28 अक्टूबर 2023 को भी चंद्रग्रहण के कारण दिन में आरती की गई थी। गंगा सेवा निधि ने हर बार ग्रहण के समय आरती के समय में बदलाव कर परंपराओं का पालन सुनिश्चित किया है।

वाराणसी में बाढ़ के कारण छत पर हो रही गंगा आरती

वर्तमान में गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण दशाश्वमेध घाट पर आरती छत पर आयोजित की जा रही है। गंगा सेवा निधि ने यह सुनिश्चित किया है कि बदले हुए समय और स्थान के बावजूद आरती की गरिमा और भक्ति भाव में कोई कमी न आए। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि वाराणसी की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को भी दर्शाता है। स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं में इस विशेष आरती को लेकर उत्साह देखा जा रहा है।

(इनपुट - IANS)

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Pooja Kumari author

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