हिंदी को बुकर की विजय श्री दिलाने वाली गीतांजलि श्री, जिनकी बदौलत लंदन में चमकी भारतीयों के माथे की “बिंदी”

Geetanjali shree (Twitter)
Geetanjali Shree: 'आदमी अपनी बनाई मूरत की पूजा करता है, भगवान ने जो मूरते बनाई हैं उनकी नहीं...', 'समाज से लोहा लिया है तो बंजर जमीन पर उगना पड़ेगा'. दिल को छू लेने वाली ये पंक्तियां हैं हिंदी साहित्य को नया मुकाम दिलाने वालीं गीतांजलि श्री की। वही लेखिका, जिन्होंने अपने उपन्यास 'रेत समाधि' (Tomb of Sand) को बुकर पुरस्कार दिलवाकर हिंदी साहित्य की अंतर्राष्ट्रीय पटल पर एक नई पहचान बनाई। हिंदी दिवस के खास मौके पर चलिये पढ़ते हैं हिंदी साहित्य की जानी-मानी लेखिका गीतांजलि श्री और उनके प्रसिद्ध उपन्यास 'रेत समाधि' से जुड़ी कुछ खास बातें...
हिंदी साहित्य के लिये 2022 बेहद खास
हिंदी साहित्य के इतिहास में साल 2022 बेहद खास रहा। वजह ऐसा पहली बार हुआ, जब किसी हिंदी उपन्यास को दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार मिला। इसके पीछे थीं गीतांजलि श्री लेखिका, जिनकी कृति रेत समाधि (Tomb of Sand) ने साल 2022 में International Booker Prize जीतकर दुनिया के सामने हिंदी को एक अलग ही पहचान दे डाली। इस अवॉर्ड ने लंदन (UK) के मंच पर भारत के गौरव को बखूबी बढ़ाया।
मैनपुरी में जन्मी गीतांजलि
साल 1957 में गीतांजलि श्री का जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में हुआ था। पिता सरकारी अधिकारी थे, जिस वजह से बचपन अलग-अलग जगहों में बीता। पढ़ने-लिखने में शुरू से ही गीतांजलि अच्छी थीं। बचपन में अंग्रेजी किताबों के अभाव की वजह से गीतांजलि की रुचि हिंदी में जागी। और बस यहीं से शुरू हुई उनकी लेखिका बनने की यात्रा। गीतांजलि मुंशी प्रेमचंद की पोती की गहरी मित्र थीं। ऐसे में इस बात ने भी उनकी यात्रा में अहम योगदान दिया। दिल्ली आकर लेडी श्री राम कॉलेज में इतिहास में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से आधुनिक भारतीय साहित्य की पढ़ाई की। हालांकि, वे हिंदी साहित्य की तरफ शुरू से ही झुकाव महसूस करती थीं।
अपने पीएचडी के दिनों में उन्होंने मुंशी प्रेमचंद पर एक किताब तैयार की और हिंदी में उनकी एंट्री के लिये इसे वे एक अहम सीढ़ी मानती हैं। गीतांजलि श्री ने पहले हिंदी में कहानियां लिखना शुरू किया और फिर धीरे-धीरे उन्होंने उपन्यासों का रुख किया। उनकी कहानियों और उपन्यासों के कुछ प्रमुख विषय कुछ इस तरह हैं-
- स्त्री चेतना और आत्म अभिव्यक्ति
- समाज में बुजुर्ग महिलाओं की दशा
- भारत-पाक विभाजन की पीड़ा
- आत्म-खोज और अस्तित्व की गहराई
- भाषा की भूमिका और सीमाएं
गीतांजलि श्री का लेखन सीधा नहीं होता। बल्कि उनके लेखन में भाषा का सही प्रयोग होती है। उनके लेखन में वाक्य बहने लगते हैं। बिंब बनते हैं और विचार उलझते और सुलझते रहते हैं। यही तो उनके लेखन की खासियत भी है। गीतांजलि श्री की प्रमुख कृतियों में माई (2001), हमारा शहर उस बरस (बाबरी मस्जिद संदर्भ में) तिरोहित (अस्तित्व, मृत्यु के संबंध में) और रेत समाधि (बुकर पुरस्कार विजेता कृति) हैं।
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गीतांजलि श्री को मिले ये पुरस्कार
गीतांजलि श्री को अपनी कृतियों के लिए रेत समाधि के लिये International Booker Prize (2022), हिंदी साहित्य में उत्कृष्टता के लिए कथा अवॉर्ड (Katha Award), दिल्ली हिंदी आकादमी द्वारा दिया हिंदी अकादमी अवॉर्ड (Hindi Akademi Award) और कई अनेक साहित्यिक मंचों पर उन्हें सम्मान मिल चुका है। इसके अलावा उन्हें आनंदा पुरुस्कार (Ananda Puruskar) भी मिला है, जो कि वैसे तो एक बंगाली साहित्य पुरस्कार है लेकिन कई बार हिंदी साहित्यकारों को भी दिया जाता है। इन सब पुरस्कारों में सबसे चर्चित रहा International Booker Prize 2022 है, जिसने उन्हें ग्लोबल लेवल पर एक अलग ही पहचान दिलाई। इसके अलावा अन्य पुरस्कार भी उनके साहित्यिक योगदान की चीखकर गवाही देते हैं।
रेत समाधि की कुछ मशहूर पंक्तियां
हिंदी को लेकर गीतांजलि श्री का कहना है कि हिंदी कोई बाधा नहीं है, वह एक समंदर है- उसमें डूबकर ही आप असली मोती निकाल सकते हैं। साथ ही अपने लेखन पर वे कहती हैं कि मैं कोई संदेश देने नहीं लिखती। मैं देखती हूं, सुनती हूं, महसूस करती हूं और फिर उस अनुभवों को भाषा में पिरो देती हूं।
उनके प्रसिद्ध लेखन Tomb of Sand की एक लाइन भी काफी मशहूर है- Life Exists because there's death, and joy because there's sorrow. वहीं इसके हिंदी वर्जन- 'रेत समाधि' की कुछ मशहूर हैं, जो बहुत चर्चित रही हैं-
- औरते कहानियां होती हैं, जो हवा में तैरती हैं, हर घास के तिनके के साथ झुकती हैं।
- जीवन और मृ्त्यु का मेल होता है, एक के बिना दूसरा अधूरा है।
- सपनों के बीच छुपी होती है सच्चाई, बस उसे देखना पड़ता है।
- वह जो टूटा हुआ है, वही सबसे ज्यादा समझदारी और सहनशीलता रखता है।
- हर बूढ़ी महिला के अंदर एक नई कहानी छिपी होती है, जिसे सुनने वाला कम ही होता है।
गीतांजलि श्री की प्रमुख कृति 'रेत समाधि'
रेत समाधि की बात करें तो ये गीतांजलि श्री का एक प्रसिद्ध उपन्यास है, जो बुजुर्ग महिला की आत्म खोज और सामाजिक बदलाव की कहानी बयां करता है। ये एक 80 साल की बूढ़ी महिला, बिनी भीभी की जिंदगी के इर्द-गिर्द घूमता है, जो अपने पति की मौत के बाद जिंदगी को नए नजरिये से देखना शुरू कर देती है। बिनी भीभी अपनी जड़ें, पहचान और सीमाओं को तोड़कर पाकिस्तान निकल पड़ती हैं।
उपन्यास में महिलाओं की आजादी, बुजुर्गों की सामाजिक स्थिति, विभाजन की पीड़ा और स्मृति व पहचान जैसे कई विषयों को बेहद ही गहराई से दिखाया गया है। रेत समाधि केवल एक कहानी नहीं है, बल्कि इतिहास, यादों और भावनाओं की जटिल परतों को खोल कर रख देने वाली एक शानदार रचना है, जिसने हिंदी साहित्य को अंतरराष्ट्रीय पटल पर एक खास पहचान दिलाई।
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