Maidaan Review: अजय देवगन ने एक्टिंग का मैदान जीत दी ईदी, अमित शर्मा ने 3 घंटे के सिनेमा को बनाया सार्थक

​Maidaan Review: ईद के दिन अजय देवगन की फिल्म मैदान सिनेमाघरों में रिलीज होगी। इस फिल्म में सैयद अब्दुल रहीम के जीवन और भारतीय फुटबॉल टीम के गोल्डन एरा को दिखाया गया है। पढ़िए रिव्यू और जानिए कैसी है फिल्म।

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Maidaan Review

​Maidaan Review.

साल 2011 में भारत क्रिकेट का विश्वकप जीती थी। पूरे देश में खुशी की लहर और हर तरफ सिर्फ जश्न था। यहां पर सभी भारतीय खिलाड़ियों ने खूब मेहनत की थी। जब विश्वकप जीते उसके बाद पता चला कि युवराज सिंह को कैंसर है। साथी खिलाड़ियों ने बताया कि वह खून की उल्टियां भी करते थे। सिर्फ युवराज ही एक ऐसे खिलाड़ी नहीं हुए हैं, जो इतनी विषम परिस्थिति में अपने देश के लिए टीम के साथ खड़े रहे हैं। ठीक 62 साल पहले भी यह वाक्या हो चुका है। साल था 1962 और देश था इंडोनेशिया। भारत फुटबॉल टीम के कोच सैयद अब्दुल रहीम फाइनल के दिन स्टेडियम में ही खून की उल्टियां कर रहे थे। कोच रहीम की स्टोरी नहीं जानते होंगे आप, किसी ने बताई ही नहीं। एक और सवाल आखिरी बार आपने 3 घंटे की फिल्म स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म आपने कब देखी थी? याद नहीं ना?
सपना हुआ साकार
भारत आज भी फुटबॉल में अपनी जगह दुनिया के सामने बनाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है। इसकी शुरुआत आजादी के बाद से ही होती रही। हैदराबाद के रहीम भारतीय फुटबॉल टीम के कोच थे। उनका सपना था कि वह भारत की टीम को दुनिया के सामने बेहतरीन टीम साबित कर दिखाएं। इसके लिए उन्होंने फेडरेशन के सामने अपनी कई शर्त रखते हैं, अंत में उनके लिए हामी भी भर दी जाती है। वह देश भर में जाकर खिलाड़ी चुनते हैं और अपनी टीम बनाते हैं। इस बार टीम अच्छा प्रदर्शन करती है, लेकिन हार जाती है। फिर रहीम पर सवाल उठते हैं और अंत में उन्हें भारतीय टीम के कोच पद से हटाया दिया जाता है। क्योंकि राजनीति यहां भी होती है। कुछ लोगों की नजरों में रहीम की सफलता चुभने भी लगती है। हालांकि वह इसके बाद वह कैसे टीम में वापसी करते हैं और टीम इंडिया जीतती है। कैंसर होने के बावजूद वह कैसे सपने के पीछे लगे रहते हैं, यह भी काबिल-ए-तारीफ है।
अजय देवगन ने दी ईदी
एस ए रहीम का किरदार को अजय देवगन ने निभाया है। उन्हें इस फिल्म में देखकर ऐसा नहीं लगेगा कि उन्होंने रहीम को किरदार को निभाया है, बल्कि लगेगा कि इन्होंने अपने अभिनय से इसे सींचा है। अजय ने रहीम को बड़े पर्दे पर जीवंत किया है। उनका टेंशन में सिगरेट पीना और फाइनल मैच के समय में मैदान पर ही खून की उल्टियां करने वाला दृश्य कमाल का है। अजय ने अपने अभिनय से अपने फैंस को ईदी दे दी है। वहीं, फिल्म में दूसरा सबसे बड़ा किरदार गजराज राव का है। उन्होंने अपने किरदार को इतनी बारीक तरीके से पकड़ा है वह देखने योग्य है। एक अहंकारी आदमी और उसकी बदलती सोच...गजराज का काम यहां शानदार है। फुटबॉल प्लेयर के किरदार के सभी खिलाड़ियों ने भी अपने हिस्से की मेहनत दिखाई है। प्रियामणि ने भी अपने स्क्रीन टाइम के साथ न्याय किया है।
अमित ने फिर दिखाया करिश्मा
फिल्म का स्क्रीनप्ले स्वायन क्वाडरस ने अमन राय, अतुल शाही, रितेश और अमित शर्मा के साथ मिलकर लिखी है। फिल्म 3 घंटे की है, इन्होंने इसे अपने लेखनी से बोझिल नहीं होने दिया है। रितेश शाह ने डायलॉग भी अच्छे और सधे हुए लिखे हैं। देशभक्ति पैदा करने के लिए किसी प्रकार के क्रिंज संवादों का उपयोग नहीं किया है। अमित शर्मा बधाई हो के 6 साल बाद अपनी फिल्म मैदान लेकर आए हैं। यह फिल्म डिले होकर अब रिलीज हुई है। उनके डायरेक्शन और फिल्म को देख कर यह कहना लाजिमी होगा कि देर आए दुरुस्त आए। इस बार भी उनका डायरेक्शन कमाल का है। इसमें उनको प्रोडक्शन डिजाइन का भी खूब साथ मिला है। मैदान का प्रोडक्शन डिजाइन ख्याति ने किया है।
सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग का तालमेल
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी तुषार कांति रे और फ्योडर ल्यास ने मिलकर की है। फ्योडर ने इसके स्पोर्ट्स सीक्वेंस को शूट किया है, जो कमाल है। फिल्म के मैच सीन बेहतरीन तरीके से शूट किए गए हैं। जिसमें आपके अंदर रोमांच पैदा होता है। फिल्म को देव राव जाधव और शहनवाज मोसनी ने मिलकर एडिट किया है। दोनों का का ही काम अच्छा है।
जुनूनी कोच एस ए रहीम
3 घंटे 1 मिनट की फिल्म में आपको बहुत कुछ मिलेगा। कैसे 1962 के ऑलेंपिक्स में भारत की फुटबॉल टीम को नहीं जाने दिया जा रहा था। भारतीय डिप्लोमैट के एक बयान ने भारतीय टीम को इंडोनेशिया में विरोध का सामना करवाया। कैसे राजनीति और पूंजीवादी लोग हर जगह अपनी पैठ जमाए हुए है। इन सबसे इतर वह पता चलेगा कि कौन थे एस ए रहीम? कैसे उन्होंने भारत को फुटबॉल में गोल्ड दिलवाया? यह हमें ना बताया गया और ना ही कहीं पढ़ाया गया। मैदान में हमें वह बताया जा रहा है। इस फिल्म को देखने के लिए सबके अपने अपने मायने हो सकते हैं। फिर भी आप फिल्म देखिए और अपनी राय बनाइए। इस फिल्म पर मेरे विचार यहीं तक।
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आर्टिकल की समाप्ति

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क्रिटिक्स रेटिंग

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