Fisaddi Web Series Review: दिल के बेहद करीब लगती है सीरीज की कहानी, दुर्गेश सिंह ने किया कमाल

​Fisaddi Web Series Review:

क्रिटिक्स रेटिंग

3.5
Fisaddi Movie Review in Hindi

Fisaddi Movie Review in Hindi

Fisaddi Web Series Review in Hindi: जिंदगी में ऐसी कई चीजें होती हैं, जिनके लिए हमें मेहनत नहीं करनी पड़ती। जो हमें सीधे तौर पर थाली में परोस कर दे दी जाती है। यह चीजें हमारे आसपस के सबसे करीबी रिश्तें हैं, मम्मी, पापा, भाई, बहन और दादा-दादी। बचपन में प्यारे लगने वाले ये रिश्ते, कई बार बड़े होकर हमें रास नहीं आते हैं। इन रिश्तों की डोर होती तो बेहद मजबूत है पर कभी कभी चुभने भी लगती है। यह किसी एक इंसान की कहानी नहीं है बल्कि ज्यादातक लोग इस बात से रिलेट कर सकते हैं। यह रिश्ते हम चुनते नहीं है और शायद यही वजह है कि इन्हें निभाने में कई बार कतराने भी लगते हैं। पर एक बार दुनिया की बेइमानी से रूबरू होते हैं तो असली सच्चाई पता चलती है और फिर हम भागते हुए इन्ही रिश्तों के पास वापस लौटते हैं। राइटर दुर्गेश सिंह की वेब सीरीज फिसड्डी भी जिंदगी के इन्ही पहलुओं के इर्द-गिर्द घूमती है। यहां इस सीरीज को देखने से पहले जान लेते हैं कि यह देखने लायक है या नहीं?

कहानी

काहनी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की है, जहां का कुमार परिवार अपनी नॉर्मल जिंदगी जी रहा है। परिवार में तीन बच्चे हैं, दो बेटे और एक बेटी। बेटी का सपना इंजीनियर बनने का है, जो शादी की भेंट चढ गया है। वहीं दोनों बेटे गोल्डी और विमल अभी पढ़ाई ही कर रहे हैं। बड़ा बेटा गोल्डी इलाहाबाद की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ता है। वहीं छोटा बेटा विमल ने अभी अभी 12वीं पास की है और दिल्ली की बड़ी यूनिवर्सिटी में पढ़ना चाहता है। हालांकि उनके पापा चाहते हैं कि वह भाई की यूनिवर्सिटी में ही पढ़ाई करे। अंत में जीत पिता जी की होती है और विमल यूनिवर्सिटी पहुंच जाते हैं यह सोचकर की वहां काफी मजे करेंगे। लेकिन वहां उसे कंट्रोल करने के लिए बड़ा भाई भी है। फिर सीरीज में किस तरह के मोड़ आते हैं और कहानी कैसे आगे बढ़ती है यह देखना दिलचस्त है।

एक्टिंग और निर्देशन

सीरीज में गोल्डी का रोल निभा रहे भुवन अरोड़ा ने अच्छी एक्टिंग की है। भुवन ने रोल में पूरी सच्चाई डालने की कोशिश की है। वह अपने रोल के साथ पूरा जस्टिस करते हुए दिख रहे हैं। दोनों भाईयों के बीच होने वाले लड़ाई-झगड़े और बहस काफी रियल लगती हैं। इसी के साथ ही छोटे भाई विमल कुमार के रोल को पूजन छाबरा ने अच्छी तरह से निभाया है। उन्होंने भी अपने रोल को समझकर काफी रियलिटी के साथ डिलीवर किया है। सीरीज में PCO दादा का रोल भी काफी अच्छा हैं। जिसे गोपाल दत्त ने निभाया है। फिल्म का निर्देशन प्रशांत भागिया ने किया है, जो इसे बोरिंग कहानी होने से बचाते हैं और सीरीज का पेस बरकरार रखते हैं।

देखें या नहीं?

यह एक अच्छी फैमिली सीरीज है, जो काफी रिलेटेबल लगती है। गुल्लक और पंचायत की तरह ही इस सीरीज को देखकर आपको अपनेपन वाली फीलिंग आ सकती हैं। हालांकि अगर आप सस्पेंस और क्राइम जोनर में कुछ देखना चाहते हैं तो यह आपके लिए नहीं है।
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आर्टिकल की समाप्ति

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क्रिटिक्स रेटिंग

2.5

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