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स्टारडम का जनाधार: एनटी रामाराव से थलापति विजय तक, दक्षिण में कैसे बदल देते हैं अभिनेता राजनीति की तस्वीर?

दक्षिण भारत की राजनीति में अभिनेताओं का बोलबाला इसलिए भी है क्योंकि यहां सिनेमा और जनजीवन के बीच कोई दीवार नहीं है। फिल्मों के संवाद, पात्र और संदेश, लोगों की सोच, भाषा और राजनीति में सीधे उतरते हैं। इसलिए जब कोई अभिनेता स्क्रीन से उतरकर राजनीति में आता है, तो जनता उसे एक ‘परिचित चेहरा’ नहीं, बल्कि अपना प्रतिनिधि मानती है। इस सांस्कृतिक-सामाजिक जुड़ाव के चलते दक्षिण भारत में अभिनेता अक्सर जनता की भावनाओं के सबसे बड़े प्रतिनिधि बन जाते हैं।
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फिल्मी पर्दे से राजनीति तक

साउथ इंडिया यानि कि दक्षिण भारत में सालों से राजनीति में अभिनेताओं का बोलबाला रहा है। दक्षिण भारत में राजनीति और सिनेमा का रिश्ता दशकों पुराना है और यह संबंध सिर्फ सतही नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक स्तर पर भी गहराई से जुड़ा हुआ है। उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण के राज्यों-खासकर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक- में फिल्मी अभिनेताओं का राजनीति में प्रभाव कहीं अधिक स्पष्ट और मजबूत दिखाई देता है। यहां अभिनेता सिर्फ पर्दे के हीरो नहीं होते, बल्कि वास्तविक जीवन में भी जनता के नायक बन जाते हैं। आंध्र प्रदेश से लेकर तमिलनाडु तक में, अभिनेता जब राजनीति में उतरे तो उनमें से कुछ सीधे सत्ता के शिखर तक जा पहुंचे। पक्ष से लेकर विपक्ष तक में अभिनय की दुनिया से आए शख्सियतों का बोलबाला है। तमिलनाडु में तो कई सालों से सत्ता उन नेताओं के हाथ में है, जो कभी फिल्मी दुनिया में थे, राज करते थे। नई पीढ़ी के एक्टर भी राजनीति से दूर नहीं रह पा रहे हैं। हाल के सालों में पहले रजनीकांत की राजनीति में एंट्री हुई, पार्टी भी बनाए लेकिन फिर दूर हो गए, कमल हसन राज्यसभा पहुंच गए, अब एक्टर विजय सत्ता की लड़ाई में कूदे दिख रहे हैं। तमिलनाडु में थलापति के नाम से मशहूर विजय नई पार्टी बना चुके हैं और सत्ता में आने के लिए राजनीतिक लड़ाई शुरू कर चुके हैं।

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तमिलनाडु से शुरुआत

इस परंपरा की शुरुआत तमिलनाडु से हुई, जहां एम. जी. रामचंद्रन (MGR) ने तमिल फिल्मों में नायक की भूमिका निभाकर लोगों के दिलों में जो स्थान बनाया, वह बाद में उन्हें राजनीति में एक अपराजेय जननेता बना गया। MGR की छवि फिल्मों में एक ईमानदार, गरीबों के रक्षक और सामाजिक न्याय के पैरोकार की थी। यह छवि जनता के दिलों में इतनी गहराई से बैठ गई कि जब उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी AIADMK बनाई, तो उन्हें मुख्यमंत्री बनने में ज्यादा समय नहीं लगा। उनके बाद जयललिता ने भी इसी फिल्मी पृष्ठभूमि से राजनीति में प्रवेश किया और तमिलनाडु की राजनीति में एक सशक्त महिला नेता के रूप में स्थापित हुईं। इनके विपक्षी एम करुणानिधि भी फिल्मी दुनिया से ही संबंध रखते थे और वर्तमान सीएम एमके स्टालिन भी फिल्मों में काम कर चुके हैं।

आंध्र प्रदेश में एनटी रामाराव से शुरुआत

आंध्र प्रदेश में एनटी रामाराव (NTR) इसका सबसे बड़ा उदाहरण रहे हैं। फिल्मों में उन्होंने राम और कृष्ण जैसे देवी-देवताओं के किरदार निभाए, जिससे वे एक ‘दैवीय छवि’ वाले जननेता के रूप में उभरे। जब उन्होंने राजनीति में कदम रखा और तेलुगु देशम पार्टी बनाई, तो उनका नारा 'तेलुगु आत्मगौरव' बना और वे सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए। जनता ने उन्हें एक मसीहा के रूप में देखा, जो दिल्ली की सत्ता से आंध्र के सम्मान की रक्षा कर सकता था। आज आंध्र प्रदेश में कई विधायक और मंत्री इनके परिवार से हैं, जो अभिनेता भी हैं।

चिरंजीवी से लेकर थलापति विजय तक

हाल के वर्षों में चिरंजीवी, कमल हासन, विजयकांत, रजनीकांत और अब थलापति विजय जैसे नामों ने राजनीति में कदम रखा है। कुछ को सफलता मिली, तो कुछ संघर्ष कर रहे हैं। चिरंजीवी ने अपनी पार्टी बनाई, लेकिन बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। रजनीकांत ने राजनीति में आने का ऐलान तो कई बार किया, लेकिन आखिरकार किनारे हो गए। कमल हासन ने अपनी पार्टी बनाई, लेकिन अब तक उसे चुनावी स्तर पर खास सफलता नहीं मिली। वहीं, थलापति विजय की राजनीति में एंट्री को लेकर अब तमिलनाडु में नई संभावनाएं बन रही हैं। उनके पास विशाल युवा फैनबेस है, जो उन्हें सिर्फ स्टार ही नहीं, बल्कि एक बदलाव की उम्मीद मान रहा है।

अभिनेता जो राजनीति में आए

नाम राज्य फिल्मी करियर राजनीतिक शुरुआत राजनीतिक सफलता
एम. जी. रामचंद्रन (MGR) तमिलनाडु तमिल सिनेमा के सुपरस्टार; 'मसीहा' जैसी छवि DMK से शुरुआत, फिर AIADMK बनाई 1977 में मुख्यमंत्री बने; जनता के बीच गहरा विश्वास
जयललिता तमिलनाडु सफल अभिनेत्री, कई हिट फिल्में MGR की उत्तराधिकारी; AIADMK की मुखिया कई बार मुख्यमंत्री बनीं; मजबूत महिला नेतृत्व की प्रतीक
एन. टी. रामाराव (NTR) आंध्र प्रदेश राम-कृष्ण जैसे देवता किरदारों से लोकप्रिय; तेलुगु फिल्मों के मेगास्टार 1982 में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) बनाई एक साल में मुख्यमंत्री बने; 'तेलुगु आत्मगौरव' का प्रतीक
चिरंजीवी आंध्र प्रदेश 150+ फिल्में; 'मेगास्टार' 2008 में प्रजा राज्यम पार्टी बनाई सीमित सफलता; कांग्रेस में विलय; केंद्रीय मंत्री बने
विजयकांत तमिलनाडु तमिल फिल्मों के ‘कैप्टन’ 2005 में DMDK पार्टी बनाई शुरुआती सफलता के बाद प्रभाव घटा
कमल हासन तमिलनाडु राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सुपरस्टार 2018 में मक्कल निधि मय्यम (MNM) पार्टी बनाई राज्यसभा सांसद
रजनीकांत तमिलनाडु भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सुपरस्टार्स में एक राजनीति में आने की घोषणाएं कीं, लेकिन कदम नहीं रखा राजनीति में सक्रिय नहीं हो पाए
थलापति विजय तमिलनाडु तमिलनाडु के सबसे बड़े युवा सुपरस्टार्स में एक हाल ही में तमिझगा वेट्री कळगम पार्टी बनाई 2026 के चुनावों में भाग लेने की तैयारी
अंबरीश कर्नाटक "रीबेल स्टार"; 200+ कन्नड़ फिल्मों में अभिनय कांग्रेस से जुड़े; केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे मांड्या में भारी जनसमर्थन; जनता से गहरा जुड़ाव
मुरली केरल मलयालम सिनेमा के गंभीर अभिनेता; राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता CPI(M) से जुड़े; सक्रिय सदस्य विचारधारात्मक रूप से सक्रिय; सीमित चुनावी भूमिका
पवन कल्याण आंध्र प्रदेश/तेलंगाना "पावर स्टार"; युवाओं में बेहद लोकप्रिय 2014 में जनसेना पार्टी बनाई अब आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम; प्रभावशाली युवा चेहरा

अभिनेता राजनीति की तस्वीर कैसे बदल देते हैं?

जब कोई अभिनेता राजनीति में उतरता है, तो वह सिर्फ एक उम्मीदवार नहीं होता, बल्कि आस्था, पहचान और उम्मीद का चेहरा बन जाता है। दक्षिण भारत की फिल्मों में नायक सिर्फ मनोरंजन करने वाला किरदार नहीं होता-वह सामाजिक न्याय दिलाने वाला, भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा होने वाला और शोषितों की आवाज बनने वाला होता है। जब दशकों तक कोई अभिनेता ऐसे किरदार निभाता है, तो जनता उसे सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन का रक्षक मानने लगती है। यह छवि वोट में बदलना आसान बना देती है। अभिनेताओं के पास पहले से ही एक बड़ा फैन बेस होता है, जो राजनीति में आते ही एक संगठित वोट बैंक में तब्दील हो सकता है। उदाहरण के तौर पर, एनटी रामाराव जब राजनीति में आए, तो उन्होंने मात्र 9 महीने में चुनाव जीतकर सरकार बना ली। ये उनकी फिल्मों में बनी ‘दैवीय छवि’ का असर था।

भाषायी और सांस्कृतिक पहचान का प्रतिनिधित्व

दक्षिण भारत में क्षेत्रीय भाषा, संस्कृति और अस्मिता को लेकर गहरी भावनाएं जुड़ी होती हैं। जब कोई अभिनेता फिल्मों में अपनी मातृभाषा, परंपराओं और क्षेत्रीय गौरव को प्रमोट करता है, तो वह लोगों की सांस्कृतिक पहचान का रक्षक बन जाता है। राजनीति में उतरने पर वह नेता सिर्फ विकास की बात नहीं करता, बल्कि गौरव और आत्मसम्मान का प्रतीक भी बनता है। तमिलनाडु और आंध्र में तो अभिनेताओं के फैन क्लब दशकों से गांव-गांव में सक्रिय हैं, जो राजनीतिक संगठनों जैसे काम करते हैं- रैलियां, पोस्टर, प्रचार, राहत कार्य, यहां तक कि मतदान अभियान भी। यह नेटवर्क राजनीतिक ढांचे का आधार बन जाता है। एनटीआर, एमजीआर, जयललिता, विजयकांत, चिरंजीवी, कमल हासन, पवन कल्याण और अब थलापति विजय- ये सभी इस बात के उदाहरण हैं कि दक्षिण भारत में फिल्मी सितारे सिर्फ पर्दे पर नहीं चमकते, वे लोकतंत्र के आकाश में भी नई रोशनी बनकर उभरते हैं।

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शिशुपाल कुमार author

शिशुपाल कुमार टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल के न्यूज डेस्क में कार्यरत हैं और उन्हें पत्रकारिता में 13 वर्षों का अनुभव है। पटना से ताल्लुक रखने वाले शिशुपा...और देखें

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