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ट्रेड वॉर से न्यू वर्ल्ड ऑर्डर तक: ट्रंप की टैरिफ रणनीति कैसे होती चली गई फेल, दोस्तों को भी बना दिया दुश्मन

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में गहरे बदलाव की पृष्ठभूमि तैयार कर दी है। “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे के तहत उन्होंने जिस तरह से टैरिफ, व्यापार युद्ध और सुरक्षा साझेदारियों पर दबाव की रणनीति अपनाई, उसने दुनिया को नए शक्ति-संतुलन की ओर धकेल दिया।

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अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी राजनीतिक पहचान “अमेरिका फर्स्ट” की नीति पर गढ़ी है। सत्ता में रहते हुए उनका सबसे आक्रामक आर्थिक हथियार रहा—टैरिफ। ट्रंप ने वैश्विक व्यापार घाटे और अमेरिकी नौकरियों के संकट का समाधान आयातित वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाकर खोजने की कोशिश की। शुरुआत में यह रणनीति “सख्त और निर्णायक” दिखाई दी, लेकिन समय के साथ इसके नतीजे उलटे पड़ने लगे। इसने अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर दबाव डाला, सहयोगी देशों को नाराज किया और वैश्विक स्तर पर एक नए शक्ति-संतुलन (New World Order) की बुनियाद रख दी। आज हालात ये हैं कि भारत जैसा सहयोगी अमेरिका खोता जा रहा है। ट्रंप के पहले के राष्ट्रपतियों ने भारत के साथ संबंध मजबूत करने पर जितना काम किया था, ट्रंप ने उसपर पानी फेर दिया है।

ट्रंप की नीतियों से अमेरिका का दोस्त भी हुआ दुश्मन

दोस्त को बना लिया दुश्मन

ट्रंप ने जब टैरिफ थोपना शुरू किया तो उम्मीद की जा रही थी कि भारत को इससे राहत मिली रहेगी, ट्रंप और मोदी के रिश्ते को देखते हुए किसी ने भी उम्मीद नहीं की थी कि भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लग जाएगा। लेकिन ट्रंप ने रूस-यूक्रेन जंग की आड़ में इसे भारत पर थोप दिया, जिसके बाद जाहिर है कि भारत ने अपने रास्ते अमेरिका की ओर से मोड़ना शुरू कर दिए। हाल ही में SCO समिट में जिस तरह से भारत-रूस और चीन की दोस्ती देखने को मिली, उससे ट्रंप को भी अपनी गलती का अहसास हो चुका है। यही कारण है कि ट्रंप खुद अब भारत को रिझाने में लगे हैं।

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