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कैसे हथियारों का 'सिलिकॉन वैली' बना यूक्रेन? रूस के साथ जंग के बीच ड्रोन निर्माण के हब के रूप में उभरा

सेंटर फॉर एनालिसिस ऑफ द वर्ल्ड ऑर्म्स ट्रेड (CAMTO) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2024 में अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश था। इस साल उसने करीब 42.33 अरड डॉलर के हथियार निर्यात किए। इसके बाद रूस है जिसने 13.7 अरब और फिर फ्रांस ने 7.7 अरब डॉलर के हथियार निर्यात किए।

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Russia Ukraine war : साढ़े तीन साल से ज्यादा समय से रूस के साथ युद्ध लड़ रहे यूक्रेन को यह बात समझ में आ गई है कि आगे इस युद्ध को यदि जारी रखना है तो उसे हथियारों के लिए अमेरिका और नाटो पर से अपनी निर्भरता खत्म करनी होगी। रक्षा उत्पादन में उसे 'आत्मनिर्भर' बनना पड़ेगा। इस युद्ध से सबक लेते हुए उसने हथियार निर्माण एवं उत्पादन में गजब काबिलियत हासिल की है। वह बड़ी मात्रा में लड़ाकू ड्रोन एवं लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों का निर्माण कर रहा है। वह दुनिया की सबसे उन्नत एवं आधुनिक ड्रोन उद्योग में शामिल हो गया है। उसके बहुद्देश्यीय मानव रहित ड्रोन मागुरा की मांग बहुत बढ़ गई है। खासकर समुद्र की लड़ाई के लिए इस ड्रोन को बहुत कारगर माना जा रहा है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के साढ़े तीन साल से ज्यादा समय हो गया है। तस्वीर-AP

रूस की वायु सेना-नौसेना आगे नहीं बढ़ पाई

24 फरवरी 2022 को रूस ने जब यूक्रेन पर हमला किया तो उसने काला सागर में अपनी नौसेना के बेड़े को उतारा और वायु सेना के फाइटर प्लेन उतारे। रूस के मुकाबले यूक्रेन की नौसेना और वायु सेना दोनों मुकाबले में कहीं नहीं टिकते फिर भी यूक्रेन ने रूस की इस ताकत को वह सफलता हासिल नहीं करने दी जिसकी मास्को उम्मीद कर रहा था। यूक्रेन ने अपने ड्रोन, यूएसवी और समुद्र वाले ड्रोन से रूसी सेना की आगे की राह मुश्किल कर दी। यूक्रेन की ड्रोन रणनीति के आगे रूसी वायु सेना को हवाई क्षेत्र में और नौसेना को समुद्र में बढ़त नहीं मिल पाई। जैसे-जैसे युद्ध का दायरा और समय बढ़ा वैसे-वैसे जेलेंस्की को यह बात समझ में आने लगी कि लंबे समय तक यदि रूस के साथ जंग लड़नी है तो हथियारों के मामले में उन्हें आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा।

युद्ध में इस्तेमाल होने वाले 95 प्रतिशत डोन यूक्रेन के

इस सीख पर अमल करते हुए जेलेंस्की ने देश में रक्षा उत्पादन पर जोर दिया। यूक्रेन में हथियारों एवं आयुध निर्माण की फैक्ट्रिया सोवियत काल से मौजूद हैं, इनमें हथियारों का उत्पादन पहले से होता आया है। जेलेंस्की ने इन फैक्ट्रियों में उत्पादन पर जोर दिया। युद्ध में ड्रोन की बढ़ती भूमिका यूक्रेन को इसकी बड़ी संख्या में निर्माण की ओर ले आई। इसी का नतीजा है कि यूक्रेन आज युद्ध के मोर्चे पर इस्तेमाल हो रहे हथियारों का करीब 40 प्रतिशत निर्माण वह खुद कर रहा है। ड्रोन बनाने में तो उसने एक तरह से महारत हासिल कर ली है। इसे इस बात से समझा जा सकता है कि रूस पर हमले के लिए इस्तेमाल होने वाले 95 प्रतिशत ड्रोन उसके द्वारा निर्मित हैं। यही नहीं वह सर्वाधिक दूरी तक मार करने वाले ड्रोन और सर्वश्रेष्ठ यूएसवी भी बना रहा है। पिछले महीने कीव ने छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का टेस्ट किया और अब वह 3000 किलोमीटर तक मार करने वाली क्रूज मिसाइल का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने में जुटा है।

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