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लॉन्च हुआ पहला स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर Vikram-32 chip, जानिए क्यों है भारत के लिए गेमचेंजर?

नया विक्रम 3201 प्रोसेसर पुराने विक्रम 1601 की तुलना में कहीं अधिक शक्तिशाली है। इसमें 64-बिट फ्लोटिंग-पॉइंट ऑपरेशन्स की सुविधा है, जो सटीक ट्रैजेक्टरी और गाइडेंस कैलकुलेशन के लिए बेहद अहम है। यहां हम इसकी खासियत और भारत के लिए यह क्यों जरूरी है के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं।

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Vikram-32 chip: भारत ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए पहली बार स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर ‘विक्रम’ पेश किया है। इस चिप को इसरो की सेमीकंडक्टर लैब (SCL) ने विकसित किया है। इस चिप को खास तौर पर रॉकेट और सैटेलाइट्स के लिए बनाया गया है। यह सिर्फ एक चिप नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में वह उपलब्धि है, जो भारत को विदेशी प्रोसेसर पर निर्भरता से मुक्त कर सकती है। आखिर इस चिप का इस्तेमाल कैसे होगा, यह क्या कर सकती है, इसमें नया क्या है और क्यों यह भारत के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है। यहां हम इसकी पूरी जानकारी दे रहे हैं।

केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह प्रोसेसर और चार अन्य स्वीकृत परियोजनाओं के टेस्ट चिप्स भेंट किए। (Image-X/AshwiniVaishnaw)

क्या है विक्रम 32-बिट प्रोसेसर ?

विक्रम 3201 एक सेमीकंडक्टर माइक्रोप्रोसेसर है। यह स्मार्टफोन या लैपटॉप में इस्तेमाल होने वाले प्रोसेसर की तरह नहीं है, बल्कि इसे खास तौर पर रॉकेट और सैटेलाइट के लिए डिजाइन किया गया है। पहली बार भारत ने इस स्तर और स्पेसिफिकेशन का प्रोसेसर खुद तैयार और निर्मित किया है। यह लॉन्च व्हीकल एवियोनिक्स के लिए बनाया गया है। यह प्रोसेसर विक्रम 1601 का अपग्रेडेड वर्जन है, जो 2009 से इसरो के लॉन्च व्हीकल्स को पावर दे रहा है।

विक्रम 32-बिट प्रोसेसर क्या करेगा?

इस चिप का मुख्य काम लॉन्च व्हीकल्स में नेविगेशन, कंट्रोल और मिशन मैनेजमेंट संभालना है। यह रॉकेट को स्टेबल और सही दिशा में रखने के लिए पल-पल में जटिल गणनाएं करता है। स्पेस का माहौल बेहद कठोर होता है, इसलिए इस चिप को मिलिट्री-ग्रेड मानकों पर तैयार किया गया है। यह भारी गर्मी, भारी सर्दी, कंपन और रेडिएशन जैसी परिस्थितियों में भी काम कर सकता है।

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