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बीजेपी के मुस्लिम प्रेम से अखिलेश-मायावती हुए बैचेन, बनाने में जुटे रणनीति; जानिए कौन होते हैं पसमांदा मुसलमान

लोकसभा चुनावों में बीजेपी मुस्लिम तबके का लगभग 12 फीसदी वोट हासिल करने की रणनीति पर काम कर रही है। इसके लिए बहुत जरूरी है कि पार्टी के भीतर मुस्लिम नुमाइंदगी बढ़ाई जाए। खास तौर पर माइक्रो लेवल पर मुस्लिम लीडरशिप डेवलप करने पर बीजेपी का जोर है और इसकी शुरुआत निकाय चुनावों से होने जा रही है।

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लोकतंत्र में चुनाव उत्सव सरीखे होते हैं और इस उत्सव को मनाने के लिए साल भर पहले से ही पार्टियां जी जान से तैयारियां करने लगती हैं। 2024 के आम चुनाव को लेकर सभी दलों ने मोर्चा संभाल लिया है। इन दलों के एजेंडे में यूपी अहम है, क्योंकि एक मुश्त और बड़ी संख्या में सीटे जीतने का मौका केवल यूपी में ही संभव है। इस बार बीजेपी नई रणनीति के साथ मैदान में है। बीजेपी ने कहां नुकसान हो सकता है? कौन सी जाति साथ छोड़ सकती है, इस पर मशक्कत कर ली है और उस नुकसान की भरपाई कैसे और किन जातियों को जोड़कर की जा सकती है, अब इस एक्सरसाइज पर फोकस किया जा रहा है। इसके लिए पसमांदा मुस्लिम पर खास तौर पर फोकस किया जा रहा है। यूपी के मंत्री दानिश आजाद को ये जिम्मा सौंपा गया है।

मुस्लिम वोटों पर बीजेपी बना रही पकड़

बीजेपी ने बनाया माइक्रो लेवल पर मुस्लिमों को राजनैतिक हिस्सेदारी देने का प्लान

लोकसभा चुनावों में बीजेपी मुस्लिम तबके का लगभग 12 फीसदी वोट हासिल करने की रणनीति पर काम कर रही है। इसके लिए बहुत जरूरी है कि पार्टी के भीतर मुस्लिम नुमाइंदगी बढ़ाई जाए। खास तौर पर माइक्रो लेवल पर मुस्लिम लीडरशिप डेवलप करने पर बीजेपी का जोर है और इसकी शुरुआत निकाय चुनावों से होने जा रही है। पहली बार बीजेपी ने बड़े पैमाने पर मुस्लिम बहुल इलाकों में मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का मन बना लिया है। बीजेपी ने इसके लिए अल्पसंखयक विंग को बेहद सक्रिय कर दिया है।

यूपी में बीते दिनों से एक नई सियासी तस्वीर देखने को भी मिली। इस तस्वीर में बीजेपी के मंचों पर मुस्लिम केवल सांकेतिक रूप से शामिल नहीं हैं बल्कि बात आगे बढ़ चुकी है, अब मुस्लिम इलाको में बीजेपी वोट बटोर रही है। रामपुर और आजमगढ़ में हुए हालिया लोकसभा चुनाव के नतीजे इस तस्वीर पर मुहर लगा रहे हैं। बीजेपी ने भी मुस्लिम बहुल इलाके में अपनी जड़ें मजबूत करने के लिए पसमांदा मुस्लिमों के रामपुर और बरेली में सम्मेलन करा दिए। मुस्लिमों के लिए अछूत माने जाने वाली बीजेपी अब अकेले मुस्लिमों की सभाएं कर रही हैं, जिसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम आ रहे हैं। बीजेपी खुद के मुस्लिम विरोधी होने की इमेज को बदलने में कामयाब हो रही है, साथ ही ये परसेप्शन भी बन रहा है कि बीजेपी मुस्लिम तबके को खुले गले से लगाने को तैयार है।

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