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समुद्र में छिपे 'खजाने' से परदा उठाएगा भारत का मिशन समुद्रयान, पानी में 6000 मीटर नीचे उतरेंगे 3 गोताखोर

मिशन का उद्देश्य गहरे समुद्र में अन्वेषण और दुर्लभ खनिज संसाधनों की खोज करना है। इसके लिए तीन गोताखोरों को ‘मत्स्य 6000’ नामक वाहन में 6000 मीटर की गहराई तक समुद्र में भेजना है। 'मत्स्य 6000' वाहन को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत राष्‍ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्‍थान (NIOT), चेन्नई द्वारा विकसित और डिजाइन किया जा रहा है।

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What is Samudrayaan Mission : अंतरिक्ष में भारत सफलता के कीर्तिमान तो गढ़ ही रहा है, समुद्र के रहस्यों को खंगालने में भी वह पीछे नहीं रहना चाहता। समुद्र के अज्ञात रहस्यों से परदा उठाने के लिए वह अपने समुद्रयान मिशन की तैयारी में है। समुद्र से जुड़ा भारत का यह अपनी तरह का पहला मिशन है। अपने इस मिशन के तहत भारत तीन प्रशिक्षित गोताखोरों को समुद्र में 6000 मीटर की गहराई पर भेजेगा। गोताखोरों को 'मत्स्य-6000' नाम के यान से समुद्र में उतारा जाएगा। ये प्रशिक्षित गोताखोर समुद्र में 6000 मीटर के भीतर जाकर वहां समुद्र से जुड़े शोध की गतिविधियों को अंजाम देंगे। इस मिशन के तहत इसका मुख्य उद्देश्य गहरे समुद्र में पाए जाने वाले संसाधनों जैसे पॉलीमेटैलिक नॉड्यूल्स, गैस हाइड्रेट्स और कोबाल्ट-समृद्ध परतों की संभावनाओं की जांच करना है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल करने का लक्ष्य रखती है, जिनके पास गहरे समुद्र की खोज करने की क्षमता है।

मिशन के 2026 तक पूरा होने की उम्मीद। तस्वीर-PIB

मिशन का उद्देश्य गहरे समुद्र में अन्वेषण और दुर्लभ खनिज संसाधनों की खोज करना है। इसके लिए तीन गोताखोरों को ‘मत्स्य 6000’ नामक वाहन में 6000 मीटर की गहराई तक समुद्र में भेजना है। 'मत्स्य 6000' वाहन को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत राष्‍ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्‍थान (NIOT), चेन्नई द्वारा विकसित और डिजाइन किया जा रहा है। मानव सुरक्षा के लिए इसकी क्षमता सामान्य स्थितियों में 12 घंटे और आपात स्थिति में 96 घंटे है। यह भारत का पहला अनोखा मानवयुक्त समुद्रीय मिशन है जो 6000 करोड़ रुपए के डीप ओशन मिशन का हिस्सा है। इस मिशन के साथ भारत समुद्र का अन्वेषण करने की योग्यता रखने वाले एलीट देशों के क्लब में शामिल हो गया है।

क्या है भारत का डीप ओशन मिशन

डीप ओशन मिशन जून 2021 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य संसाधनों के लिए गहरे समुद्र का अन्वेषण करना, महासागरीय संसाधनों के सतत उपयोग के लिये गहरे समुद्र की प्रौद्योगिकियों का विकास करना और साथ ही भारत सरकार की नीली अर्थव्यवस्था संबंधी पहलों का समर्थन करना है। पाच वर्ष की अवधि वाले इस मिशन की अनुमानित लागत 4,077 करोड़ रुपए है जिसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।

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