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Explainer: क्या है मराठा आरक्षण विवाद और इसका इतिहास, कैसे सुलगी सियासी आग?

मराठा आरक्षण की मांग आज की नहीं है, इसकी शुरुआत 80 के दशक में हुई थी। मराठा आरक्षण की मांग 1981 में शुरू हुई थी, जब मथाडी मजदूर संघ के नेता अन्नासाहेब पाटिल ने इस प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए मुंबई में एक सभा का नेतृत्व किया था।

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महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण विवाद एक बार फिर गहरा गया है। मनोज जरांगे पाटिल एक बार फिर मराठा आरक्षण को लेकर मुंबई में अनशन पर बैठ गए हैं। जरांगे का कहना है कि इस बार वह आर-पार के इरादे से आंदोलन छेड़ रहे हैं। वहीं, फडणवीस सरकार भी इसे लेकर गंभीर है और मंथन व मुलाकातों का दौर तेज हो गया है। सूत्र बताते हैं कि महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मुंबई में मनोज जरांगे की भूख हड़ताल पर चर्चा के लिए देर रात मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से मुलाकात की। बता दें कि विखे पाटिल मराठा समुदाय की आरक्षण की मांग और उनकी सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक स्थिति से संबंधित मुद्दों पर गौर करने के लिए गठित मंत्रिमंडलीय उप-समिति के अध्यक्ष हैं। दरअसल, जरांगे मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर शुक्रवार से दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में भूख हड़ताल पर हैं। आखिर क्या है उनकी मांगें, क्या है मराठा आरक्षण का मामला और इसका इतिहास, समझने की कोशिश करते हैं।

मराठा आरक्षण का इतिहास (पीटीआई)

क्या है मांग?

मनोज जरांगे पाटिल एक मराठा कार्यकर्ता हैं जिन्होंने मराठा आरक्षण के लिए लाखों समर्थक पैदा कर लिए हैं। आज से दो साल पहले तक मनोज जरांगे कोई जाना-पहचाना नाम नहीं थे। 29 अगस्त, 2023 को जब उन्होंने जालना जिले के अपने अंतरवाली सरती गांव में मराठों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की तो उनकी ओर किसी का ध्यान नहीं था। लेकिन 1 सितंबर को हिंसा भड़कने के तीन दिन बाद ही मनोज जरांगे सुर्खियों में आ गए और एक जाना-माना नाम बन गए हैं। जरांगे मराठों को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) कैटेगरी के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं। उनकी मांग है कि सभी मराठों को ओबीसी के तहत आने वाली कृषि प्रधान जाति कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए ताकि मराठों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण मिल सके।

कब शुरू हुई मराठा आरक्षण की मांग?

महाराष्ट्र की आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा, मराठा, एक ऐसी जाति के रूप में ऐतिहासिक रूप से जाना जाता है जिसने बड़े-बड़े युद्ध लड़े है। राज्य में प्रभावशाली मराठा समुदाय के सदस्यों की संख्या लगभग 30 फीसदी है। पिछले कुछ वर्षों में निम्न और मध्यम वर्ग के मराठों की समृद्धि और संपन्नता में कमी आई है और इसी वजह से मराठा आरक्षण की मांग ने जोर पकड़ा। हालांकि, मराठा आरक्षण की मांग आज की नहीं है, इसकी शुरुआत 80 के दशक में हुई थी। मराठा आरक्षण की मांग 1981 में शुरू हुई थी, जब मथाडी मजदूर संघ के नेता अन्नासाहेब पाटिल ने इस प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए मुंबई में एक सभा का नेतृत्व किया था।

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