बारिश और भूस्खलन की घटनाएं देश के कुछ राज्यों में तबाही का सबब बनी हुई हैं। इससे जान-माल का नुकसान हुआ है। आखिर इसके पीछे के कारण क्या है। प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा है या कुछ और जानें यह सब...
Flood & Landslide in India: भारत के कुछ प्रांत इन दिनों बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे हैं। इस स्थिति के चलते वहां का जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। इस साल अगस्त महीने की बात करें तो उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में बारिश ने मानों जैसे कहर ही ढा रखा हो। पंजाब, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान से लेकर हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड तक बारिश की मार के शिकार हैं। वहीं भूस्खलन की घटनाएं भी सामने आई हैं जिसमें हाल ही में वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर आया भूस्खलन है वहीं इसी महीने उत्तरकाशी के धराली में भी इसने तबाही मचाई थी।
बाढ़ और भूस्खलन आने की कहीं यह तो नहीं वजहें? (फोटो: टाइम्स नाउ नवभारत)
धराली में तबाही 5 अगस्त को घटित हुई, जब धराली (Dharali) गांव, जो उत्तरकाशी के कीर गंगा नदी के पास स्थित है, में अचानक बादल फटने (Cloudburst) के कारण गंगा में अचानक बाढ़ आ गई और मलबा प्रवाह शुरू हो गया था जो अपने पीछे तबाही के निशान छोड़ गया।
इसके पीछे कई कारण हैं
भारत के कुछ राज्यों में इस आपदा के चलते कई मौतें हो गई हैं। वहीं माली नुकसान भी खासा हुआ है। कई सड़कें-पुल बारिश की भेंट चढ़कर बह गए हैं तो कहीं पर सड़कों टूटने से संपर्क मार्ग बुरी तरह से बाधित हुआ है।
पवित्र तीर्थ स्थान वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर 26 अगस्त को भूस्खलन की घटना सामने आई। इसमें पहाड़ी हिस्सा अचानक टूटकर नीचे खिसक गया।यह भूस्खलन तेज बारिश के कारण हुआ, जिसने पहाड़ी ढलान को अस्थिर कर दिया था। मलबा और पत्थर तीर्थयात्रियों पर अचानक टूट पड़े। जिसकी वजह से 34 तीर्थयात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई। वहीं उधमपुर-रामबन क्षेत्र में भारी बारिश के कारण हुए कई भूस्खलनों की वजह से जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात के लिए बंद रहे।
जम्मू में बाढ़ ने मचा रखी है तबाही
जम्मू में भी अगस्त महीने में रिकॉर्ड स्तर पर हो रही बारिश से जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। भारी बारिश से जम्मू क्षेत्र की संचार व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। यातायात व्यवस्था भी लड़खड़ा गई है। विभिन्न बाढ़ग्रस्त नदियों के किनारों और जलमग्न निचले इलाकों से काफी संख्या में लोगों को सुरक्षित निकाला गया। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस प्राकृतिक आपदा के सामने उन्होंने अपनी निराशा और लाचारी जाहिर की है। उमर ने बुधवार को कहा कि जम्मू इलाके में संचार व्यवस्था लगभग-लगभग पूरी तरह से ठप हो गई है। ये हालात 2014 और 2019 के 'भयानक दिनों' की याद दिला रहे हैं जब वह राज्य से एक तरह से कट गए थे।
बारिश से जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त
बाढ़ से पंजाब का जनजीवन अस्त व्यस्त
हिमालयी क्षेत्रों और जलाशयों से जारी अतिरिक्त पानी के कारण पंजाब की नदियां-जैसे कि रावी, सतलुज, ब्यास उफान पर हैं, जिससे खेत, गांव और सड़के जलमग्न हो रही हैं।पंजाब के कई जिलों जैसे-पठानकोट, गुरदासपुर, होशियारपुर, कपूरथला, फिरोजपुर, फाजिल्का में बाढ़ से भारी तबाही हुई। बाढ़ और भारी बारिश के कारण स्कूल को 27 से 30 अगस्त तक बंद हैं। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को लोगों को बचाने के लिए ऑफ-रोड वाहन, हेलीकॉप्टर और नावों का सहारा लेना पड़ा और वहां हालात काफी खराब बने हुए हैं।
रावी, सतलुज, ब्यास उफान पर हैं
आखिर इस आपदा की वजह है क्या? (What is Reason of Disasters)
भारत में बार-बार बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाओं के पीछे वैसे तो कई कारण हैं। पर मुख्य रूप से इसके लिए प्राकृतिक कारण, मानव गतिविधियां और जलवायु परिवर्तन यह सभी जिम्मेदार हैं।
जलवायु परिवर्तन- जलवायु परिवर्तन से असामान्य बारिश और आपदाएं सामने आ रही हैं
मानव गतिविधियां- प्रकृति के साथ खिलवाड़ वाली गतिविधियां जिनमें जंगलों की कटाई, अनियोजित शहरीकरण, सड़क/बांध निर्माण है यह भी इसके लिए काफी जिम्मेदार हैं।
प्राकृतिक भूगोल- हिमालय जैसे अस्थिर पर्वतीय क्षेत्र
अत्यधिक बारिश और बादल फटने से आ रही बाढ़!
बाढ़ के आने की वजहें (What is the Floods Reason)
अत्यधिक बारिश और बादल फटना-
मानसून या अचानक तेज़ बारिश से नदियां उफान पर आ जाती हैं।
नदियों में गाद जमना (Siltation)-
गाद भरने से नदियों की गहराई घट जाती है और पानी बाहर फैल जाता है
जलवायु परिवर्तन-
मौसम का पैटर्न बिगड़ने से कहीं सूखा तो कहीं अचानक बादल फटना जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं।
वनों की कटाई और शहरीकरण-
जंगल कटने और शहरों में नालों को पाटने से पानी की निकासी रुक जाती है।
बांध और जल-प्रबंधन की कमी-
कई जगह पुराने और कमजोर बांध समय पर पानी नियंत्रित नहीं कर पाते।
मानव गतिविधियां और जलवायु परिवर्तन सभी जिम्मेदार!
भूस्खलन के आने की वजहें (What is the Landslides Reason)
भारत में भूस्खलन की घटनाएं कई प्राकृतिक और मानवजनित कारणों से होती हैं, इनके बारे में समझ लें-
प्राकृतिक कारण (Natural Causes)-
भूवैज्ञानिक कमजोरियां
हिमालय जैसे क्षेत्र जहां तलछटी या कमजोर चट्टानें होती हैं उनमें खनिज संरचनाएं, ज्वालामुखी व उथली भूमि संरचनाएँ जैसे कारण भूस्खलन को बढ़ावा देते हैं।
भूस्खलन को प्रेरित करने वाले कारक
भूकंप, हिम पिघलना, बाढ़ और नदी किनारों का कटाव ये सभी भूस्खलन को उत्प्रेरित करते हैं।
मानव जनित कारण (Man-Made Causes)
कटाई और वनों की कटाई (Deforestation)
पेड़ों की जड़ों से मिट्टी एक साथ बंधी रहती है। वनों की कटाई से यह सुरक्षा खो जाती है और भूस्खलन की आशंका बढ़ जाती है।
असंगठित शहरीकरण (Urbanization)
अव्यवस्थित विकास, जैसे कि ढलानों पर इमारतों का निर्माण, बिना समझे भूमि का भार बढ़ा देता है।
अधिक निर्माण और सड़क निर्माण
पहाड़ों में सड़कें, इमारतें या अन्य निर्माण कार्य खराव व कतरन निर्माण से ढलानों की संरचनात्मक अखंडता को नुकसान पहुंचता है।
जल प्रबंधन की अस्थिरता
बांध, जलाशय, या जल निकासी प्रणालियों में कमी ढलानों को कमजोर बनाती है।
खनन और खुदाई (Mining & Excavation)
खनन कार्यों से ढलानों पर दबाव या अस्थिरता बढ़ जाती है, जिससे भूस्खलन लागू हो सकते हैं।प्राकृतिक आपदाएं तो पहले भी आती रही हैं और आगे भी आती रहेंगी पर लोगों को इससे बचने के लिए जो भी प्रयास हों वो करने होंगे। नहीं तो ऐसी स्थितियों से दो-चार होना ही पड़ेगा।