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क्यों पृथ्वी पर वापस आने के बाद भी सीधे घर नहीं जा सकेंगे शुभांशु शुक्ला, क्या कहता है स्पेस विज्ञान का नियम

एक्सिओम-4 मिशन (Axiom Mission-4) के तहत स्पेस स्टेशन गए भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला धरती पर वापस आने वाले हैं। धरती पर आने के बाद शुभांशु शुक्ला सीधे घर नहीं जा सकेंगे, उन्हें आइसोलेशन में रखा जाएगा। आइए जानते हैं क्यों?
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शुभांशु शुक्ला कब आएंगे स्पेस से वापस (फोटो- @NASA)

स्पेस से धरती पर वापस आने के बाद भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला सीधे घर नहीं जा सकेंगे। शुभांशु शुक्ला को सात दिनों तक आइसोलेशन में रखा जाएगा, जहां उनकी जांच होगी, मेडिकल होगा, उसके बाद उन्हें घर भेजा जाएगा। ये सिर्फ शुभांशु शुक्ला के साथ ही नहीं बल्कि सभी स्पेस यात्रियों के साथ होता आया है। अब सवाल ये है कि आखिर क्यों, स्पेस स्टेशन से या किसी भी स्पेस मिशन से वापस धरती पर आने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को घर क्यों नहीं जाने दिया जाता है? क्या होगा अगर वो सीधे घर चले गए तो, इसे लेकर क्या कहता है स्पेस विज्ञान...?

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स्पेस से आने के बाद घर क्यों नहीं जाते अंतरिक्षयात्री

अंतरिक्ष यात्री जब अंतरिक्ष से वापस आते हैं तो वे सीधे अपने घर नहीं जा सकते, बल्कि उन्हें पहले एक पुनर्वास (rehabilitation) प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसके पीछे कई वैज्ञानिक और शारीरिक कारण होते हैं, जो मानव शरीर पर अंतरिक्ष के प्रभाव से जुड़े हैं। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन के तहत 18 दिनों तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर रहने के बाद 15 जुलाई को पृथ्वी पर लौट रहे हैं। उनपर भी यही नियम लागू होते हैं।

1. गुरुत्वाकर्षण का नियम

अंतरिक्ष में महीनों रहने के बाद, जहां microgravity यानी सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण होता है, वहां शरीर का गुरुत्वाकर्षण से तालमेल बिगड़ जाता है:

  • मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, क्योंकि वहां चलने-फिरने या शरीर का वजन उठाने की जरूरत नहीं होती।
  • हड्डियां पतली हो जाती हैं – अंतरिक्ष में बोन डेंसिटी कम हो जाती है।
  • वापसी पर, अचानक पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में आना शरीर के लिए एक झटका होता है।

2. संतुलन और चक्कर आना

अंतरिक्ष में कान का संतुलन प्रणाली (Vestibular System) कमजोर पड़ जाता है।

पृथ्वी पर लौटने के बाद चक्कर आना, चलने में लड़खड़ाहट और सिर दर्द होना सामान्य है।

3. फिजिकल और मेंटल हेल्थ चेकअप

  • अंतरिक्ष यात्रियों को फ्लाइट सर्जन और मेडिकल एक्सपर्ट्स की निगरानी में रखा जाता है।
  • नियमित रूप से ब्लड टेस्ट, हृदय की जांच, न्यूरोलॉजिकल टेस्ट किए जाते हैं।
  • मानसिक रूप से भी वे तनाव में हो सकते हैं, इसलिए मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन जरूरी होता है।

4. धीरे-धीरे सामान्य जीवन में लौटना

  • पुनर्वास केंद्रों में अंतरिक्ष यात्री को फिजियोथेरेपी, व्यायाम, पौष्टिक आहार आदि के जरिए सामान्य जीवन में वापस लाया जाता है।
  • यह प्रक्रिया 7 दिन से लेकर कई हफ्तों तक चल सकती है, मिशन की अवधि और शरीर की स्थिति पर निर्भर करता है।

5. डेटा और रिसर्च संग्रह

  • वापसी के बाद उनके शरीर और दिमाग पर पड़े प्रभावों का डॉक्यूमेंटेशन किया जाता है।
  • यह डेटा भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों, खासकर लंबी अवधि वाले मिशनों (जैसे मंगल यात्रा) के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है।

अंतरिक्ष से वापसी की प्रक्रिया

नासा ने एक बयान में बताया कि चारों अंतरिक्ष यात्री सोमवार, 14 जुलाई को भारतीय समयानुसार अपराह्न चार बजकर 35 मिनट पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से रवाना होंगे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, अंतरिक्ष स्टेशन से अलग होने के बाद कई कक्षीय प्रक्रियाओं को पार कर ‘क्रू ड्रैगन’ अंतरिक्ष यान 15 जुलाई को भारतीय समयानुसार अपराह्न तीन बजे कैलिफोर्निया तट के पास उतरेगा। इसरो ने ‘एक्सिओम-4’ मिशन के बारे में बताया, ‘‘(अंतरिक्ष से) वापस आने के बाद शुक्ला को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल होने के लिए फ्लाइट सर्जन की देखरेख में एक कार्यक्रम के तहत (लगभग सात दिन) पुनर्वास में रहना होगा।’’

60 से अधिक प्रयोगों का डेटा लेकर आएंगे शुभांशु शुक्ला

अंतरिक्ष स्टेशन 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। अंतरिक्ष यान स्वचालित रूप से आईएसएस से अलग होने की प्रक्रिया शुरू करेगा, ताकि धीरे-धीरे गति धीमी हो सके और कैलिफोर्निया में पानी में उतरने (स्पलैशडाउन) के लिए पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश कर सके। नासा ने एक बयान में बताया, “ड्रैगन’ अंतरिक्ष यान 580 पाउंड से अधिक सामान के साथ वापस आएगा, जिसमें नासा हार्डवेयर और पूरे मिशन के दौरान किए गए 60 से अधिक प्रयोगों का डेटा शामिल है।”

भारत के लिए क्या मायने रखता है यह मिशन?

भारत के लिए एक्सिओम-4 मिशन काफी अहम है। ISRO ने इस अंतरिक्ष उड़ान के लिए करीब ₹550 करोड़ का निवेश किया है। शुभांशु शुक्ला का अनुभव भारत के अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम 'गगनयान' (2027) के लिए एक मॉडल और प्रैक्टिकल आधार बनेगा। शुक्ला का मिशन भारत को अंतरिक्ष यात्रियों को तैयार करने और उन्हें अंतरिक्ष में भेजने के तकनीकी और मेडिकल पहलुओं की समझ देने में मदद करेगा। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा केवल एक व्यक्ति की उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत के अंतरिक्ष अभियान के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। ‘गगनयान’ जैसे स्वदेशी मिशन को सफल बनाने के लिए यह अनुभव वैज्ञानिक, तकनीकी और मनोवैज्ञानिक रूप से अमूल्य साबित होगा।

एक्सिओम-4 मिशन का उद्देश्य

यह मिशन Axiom Space के वाणिज्यिक मानव मिशनों की श्रृंखला का हिस्सा था, जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग और अंतरिक्ष में निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी का प्रतीक है। मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों ने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें शामिल थे- माइक्रोग्रैविटी में मानव शरीर की प्रतिक्रियाएं, न्यूरोलॉजिकल प्रतिक्रिया और संतुलन प्रणाली का अध्ययन, अंतरिक्ष में जैविक पदार्थों का व्यवहार, नई दवाओं और उपकरणों के परीक्षण। यह शोध विशेष रूप से भविष्य के लंबे अंतरिक्ष मिशनों जैसे मंगल अभियान के लिए बेहद मूल्यवान माना जा रहा है। इस मिशन ने चार अलग-अलग देशों के अंतरिक्ष यात्रियों को साथ लाकर, ग्लोबल साइंटिफिक और डिप्लोमैटिक सहयोग की नई मिसाल कायम की।

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शिशुपाल कुमार author

शिशुपाल कुमार टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल के न्यूज डेस्क में कार्यरत हैं और उन्हें पत्रकारिता में 13 वर्षों का अनुभव है। पटना से ताल्लुक रखने वाले शिशुपा...और देखें

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