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गूगल पर EU ने क्यों लगाया 3.4 अरब डॉलर का जुर्माना, आखिर क्या है एड टेक टेक्नॉलजी?

यूरोपीय आयोग का आरोप है कि ऑन लाइन विज्ञापन दिखाने में गूगल पक्षपात करता है। वह प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले अपने उत्पादों को ऑन लाइन ज्यादा दिखाता है। ऐसा करना प्रतिस्पर्धी नियमों का उल्लंघन है और इससे प्रतिस्पर्धी कंपनियों को नुकसान पहुंचता है। ईयू का कहना है कि ऐसा दुनिया भर में ऑन लाइन सर्च एवं एडवर्टाइंजिंग के क्षेत्र में गूगल के कामकाज की नियामकों की जांच के बाद सामने आया है।

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EU Fines Google : यूरोपीय संघ (EU) ने दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल पर भारी-भरकम जुर्माना लगा दिया है। गूगल पर यह जुर्माना डिजिटल विज्ञापन सेवा नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में लगाया गया है। EU के नियामकों ने शुक्रवार को अमेरिकी कंपनी गूगल पर 2.95 अरब यूरो यानी 3.5 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया। आरोप है कि गूगल डिजिटल विज्ञापन सेवाओं को प्राथमिकता देकर यूरोपीय संघ के प्रतिस्पर्धी नियमों का उल्लंघन किया। इस जुर्माने का गूगल ने विरोध करते हुए कहा कि वह इस जुर्माने के खिलाफ अपील करेगी। ईयू के इस जुर्माने का अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी विरोध किया है। अपने सोशल मीडिया अकाउंट ट्रूथ सोशल पर ट्रंप ने इसे 'अनुचित' बताया।

यूरोपीय आयोग ने गूगल पर लगाया जुर्माना। तस्वीर-AP

EU का क्या है आरोप

यूरोपीय आयोग का आरोप है कि ऑन लाइन विज्ञापन दिखाने में गूगल पक्षपात करता है। वह प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले अपने उत्पादों को ऑन लाइन ज्यादा दिखाता है। ऐसा करना प्रतिस्पर्धी नियमों का उल्लंघन है और इससे प्रतिस्पर्धी कंपनियों को नुकसान पहुंचता है। ईयू का कहना है कि ऐसा दुनिया भर में ऑन लाइन सर्च एवं एडवर्टाइंजिंग के क्षेत्र में गूगल के कामकाज की नियामकों की जांच के बाद सामने आया है। खास बात यह है कि विज्ञापन सेवा में पक्षपात को लेकर गूगल पर पहले भी जुर्माना लग चुका है। यह कंपनी पर लगाया गया चौथा एकाधिकार-विरोधी जुर्माना है। यूरोपीय संघ की कार्यकारी शाखा और शीर्ष एकाधिकार-विरोधी प्रवर्तक यूरोपीय आयोग ने गूगल को अपनी वरीयता वाली गतिविधियों को खत्म करने और विज्ञापन तकनीक आपूर्ति श्रृंखला में हितों के टकराव को रोकने के लिए कदम उठाने का भी आदेश दिया।

अपनी तकनीक को वरीयता देने का आरोप

यूरोपीय आयोग ने गूगल पर प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले अपनी तकनीक ज्यादा तरजीह देने का आरोप लगाया है। आयोग का दावा है कि जहां ऑन लाइन विज्ञापन वास्तविक समय में खरीदे और बेचे जाते हैं, वहां गूगल ने जानबूझकर अपने विज्ञापन एक्सचेंज को बढ़ावा दिया। इससे प्रतिस्पर्धियों और प्रकाशकों को अधिक लागत और कम राजस्व का सामना करना पड़ा। आयोग का कहना है कि इससे लागतें उपभोक्ताओं तक महंगे सेवाओं के रूप में पहुंची हो सकती हैं। यह जुर्माना उन सबसे बड़े जुर्मानों में से एक है जो आयोग ने अब तक प्रतिस्पर्धा नियमों के उल्लंघन का दोषी पाए गए टेक कंपनियों पर लगाया है। आयोग की कार्यकारी उपाध्यक्ष टेरेसा रिबेरा ने एक बयान में कहा कि नियामक ने गूगल के पिछले प्रतिस्पर्धा-विरोधी आचरण को ध्यान में रखते हुए अधिक जुर्माना लगाने का फैसला किया। रिबेरा ने टेक दिग्गज को आगाह करते हुए कहा कि अपने कामकाज के तौर-तरीकों में बदलाव लाने की योजना बताने के लिए उसके पास 60 दिन हैं। इसके बाद आयोग अपनी ओर से समाधान लागू करने की कोशिश करेगा।

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