वायु प्रदूषण के चलते 8.2 साल तक घटी दिल्लीवालों की उम्र, यूपी-बिहार का भी घुट रहा दम, लेकिन इन जगहों पर है ताजी हवा

प्रदूषण से घट रही जीवन प्रत्याशा (फोटो: AI Socio Pulse)
Air Pollution In India: भारत में वायु प्रदूषण अब केवल सांस की बीमारी या एलर्जी की वजह नहीं रहा, बल्कि यह सीधे हमारी जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) को घटा रहा है। भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्रदूषण (PM2.5) इसकी एक बड़ी वजह है। हाल ही में प्रदूषण को लेकर एक नई रिपोर्ट में भारत में प्रदूषण की स्थिति को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट की मानें तो, देश के अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्रदूषण के कारण लोगों की उम्र में सालों की कमी देखी जा रही है। कहीं यह कमी 8 साल तक है तो कहीं स्थिति लगभग सामान्य है।
यह रिपोर्ट साफ दिखाती है कि जिन राज्यों में प्रदूषण का स्तर ज्यादा है, वहां लोगों की जिंदगी पर सीधा असर हो रहा है। वहीं जिन इलाकों में हवा अपेक्षाकृत साफ है, वहां जीवन प्रत्याशा पर कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ता। आइए जानते हैं, कौन-से राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित हैं और कहां हालात थोड़े बेहतर हैं।
जीवन प्रत्याशा को कैसे प्रभावित करता है प्रदूषण
प्रदूषण का असर सिर्फ उम्र घटने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शरीर के कई हिस्सों पर हमला करता है। लगातार गंदी हवा में सांस लेने से फेफड़ों की क्षमता कमजोर हो जाती है, अस्थमा और ब्रॉन्काइटिस जैसी बीमारियां बढ़ जाती हैं। दिल की बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। यहां तक कि बच्चों की ग्रोथ और दिमागी विकास पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। लंबे समय तक प्रदूषित वातावरण में रहने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है।
इन राज्यों में सबसे ज्यादा कम जीवन प्रत्याशा
दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में प्रदूषण का असर सबसे गंभीर है। यहां रहने वाले लोगों की उम्र औसतन 5 साल से भी ज्यादा घट रही है।
- दिल्ली (NCT): 8.2 साल की कमी
- बिहार: 5.4 साल की कमी
- उत्तर प्रदेश: 5.0 साल की कमी
दिल्ली देश का सबसे प्रदूषित इलाका माना जा रहा है। यहां सांस से जुड़ी बीमारियों के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं और हवा का जहरीला स्तर लोगों की सेहत पर बड़ा असर डाल रहा है।
इन राज्यों में प्रदूषण का स्तर है मीडियम
कई राज्यों में प्रदूषण का असर मध्यम स्तर का है। यहां लोगों की उम्र 2 से 5 साल तक घट रही है। इसमें कई बड़े राज्य शामिल हैं,
हरियाणा | 5.3 साल |
पंजाब | 4.4 साल |
झारखंड | 3.6 साल |
पश्चिम बंगाल | 4.1 साल |
राजस्थान | 3.3 साल |
मध्य प्रदेश | 3.1 साल |
ओडिशा | 3.1 साल |
महाराष्ट्र | 2.8 साल |
उत्तराखंड | 2.8 साल |
मेघालय | 2.3 साल |
गोवा | 2.3 साल |
असम | 2.2 साल |
कर्नाटक | 1.6 साल |
इन राज्यों की स्थिति है बेहतर
कुछ राज्यों में प्रदूषण का असर अपेक्षाकृत कम है। यहां जीवन प्रत्याशा पर 2 साल से कम का प्रभाव दिख रहा है। इन राज्यों में शामिल हैं,
- अरुणाचल प्रदेश: 0.9 साल
- मिजोरम: 1.9 साल
- केरल: 1.3 साल
- तमिलनाडु: 1.7 साल
- हिमाचल प्रदेश: 1.9 साल
इन राज्यों में हवा का स्तर साफ है और प्राकृतिक हरी-भरी पहाड़ियां प्रदूषण को रोकने में मदद करती हैं।
कई राज्यों में मिला-जुला असर
हालांकि, कुछ ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश भी हैं जिन्हें सामान्य श्रेणी में रखा जाता है लेकिन वहां कमी 2 साल से ज्यादा है। जैसे,
- नागालैंड: 2.5 साल
- सिक्किम: 2.7 साल
- गुजरात: 2.6 साल
- त्रिपुरा: 4.2 साल
- चंडीगढ़: 3.9 साल
- छत्तीसगढ़: 4.6 साल
- तेलंगाना: 2.4 साल
यह दर्शाता है कि इन राज्यों में भी प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है और अगर नियंत्रण नहीं किया गया तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
यहां हवा अब भी साफ
देश के कुछ हिस्सों में अब भी हवा बिल्कुल साफ है। यहां प्रदूषण का जीवन प्रत्याशा पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। इनमें अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, दमन और दीव, पुडुचेरी आदि शामिल हैं। ये क्षेत्र समुद्र से घिरे होने और कम औद्योगिक गतिविधियों की वजह से अभी भी स्वच्छ हवा में सांस ले रहे हैं।
रिपोर्ट चेतावनी देती है कि प्रदूषण केवल आज की समस्या नहीं है बल्कि आने वाली पीढ़ियों की जिंदगी पर भी असर डालेगा। अगर समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए तो दिल्ली, बिहार और यूपी जैसे राज्यों में औसतन जीवन प्रत्याशा लगातार घटती जाएगी। वहीं, साफ हवा वाले राज्यों को भी पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने की जिम्मेदारी निभानी होगी।
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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मूल की भावना ने देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIMC से 2014 में पत्रकारिता की पढ़ाई की. 10 सालों से मीडिया में काम कर रही हैं. न्यू...और देखें

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