हेल्थ

साफ हवा का धोखा! एयर प्यूरीफायर बन सकते हैं सेहत के दुश्मन, पहुंचा सकते हैं बड़ा नुकसान - स्टडी में खुलासा

Air purifiers may be putting your health at risk: हम सभी अपने घर की हवा को साफ करने के लिए आजकल एयर प्यूरिफायर के प्रयोग करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, हालिया अध्ययन ने एयर प्यूरीफायर के स्वास्थ्य जोखिमों को उजागर किया है। ये आपके आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं। जानें कि ये उपकरण कैसे हानिकारक हो सकते हैं और क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
Air purifiers may be putting your health at risk

Air purifiers may be putting your health at risk - (फोटो: Istock)

तस्वीर साभार : TN Innovations

Air purifiers may be putting your health at risk: आजकल एयर प्यूरीफायर हर घर में देखने को मिलते हैं। ये उपकरण हमें साफ हवा का वादा करते हैं और विभिन्न हानिकारक कणों, बैक्टीरिया और वायरस से सुरक्षा प्रदान करते हैं। लेकिन हाल ही में कोलोराडो विश्वविद्यालय की एक अध्ययन ने एयर प्यूरीफायर के वास्तविक प्रभावों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। इस अध्ययन में लगभग 700 अध्ययनों की समीक्षा की गई, जिसमें से अधिकांश मानव परीक्षणों की कमी को दर्शाते हैं। अध्ययन में यह पाया गया कि बहुत से एयर प्यूरीफायर ओजोन और फॉर्मल्डिहाइड जैसे हानिकारक उपोत्पाद उत्पन्न करते हैं, जो हमारी सेहत के लिए खतरा बन सकते हैं। इस लेख में हम इस अध्ययन के मुख्य बिंदुओं पर चर्चा करेंगे और यह समझेंगे कि एयर प्यूरीफायर खरीदने से पहले हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

एयर प्यूरीफायर और मानव परीक्षण की कमीएक प्रमुख चिंता यह है कि एयर प्यूरीफायर पर बहुत कम मानव परीक्षण हुए हैं। अध्ययन के अनुसार, केवल 8% अध्ययनों में एयर प्यूरीफायर का परीक्षण मानवों पर किया गया, जबकि 90% से अधिक अध्ययनों में प्रयोगशालाओं या अनियोजित वातावरण में परीक्षण किए गए। इसका मतलब है कि हम वास्तविक जीवन में इन उपकरणों के प्रभावों के बारे में बहुत कम जानते हैं।

हानिकारक केमिकल का उत्पादनकुछ एयर प्यूरीफायर ओज़ोन और फॉर्मल्डिहाइड जैसे हानिकारक रसायनों का उत्पादन करते हैं। ओजोन एक ज्ञात फेफड़ों का उत्तेजक है जो अस्थमा को बढ़ा सकता है और फेफड़ों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है। वहीं, फॉर्मल्डिहाइड एक विषैला गैस है जो आंखों, नाक और गले को परेशान कर सकता है। इन हानिकारक रसायनों का उत्सर्जन कुछ उपकरणों में अन्य रासायनिक प्रतिक्रियाओं के कारण होता है, जिससे अतिरिक्त हानिकारक प्रदूषक उत्पन्न होते हैं।

वास्तविक दुनिया में परीक्षण की कमीअध्ययन में यह भी पाया गया कि कई एयर प्यूरीफायर तकनीकों पर वास्तविक दुनिया में परीक्षण की कमी है। अधिकांश शोध प्रयोगशालाओं में किए गए हैं, जिससे वास्तविक जीवन में इन उपकरणों के प्रभावों का पता नहीं चलता। इस कमी के कारण, उपभोक्ताओं को इन उपकरणों के सुरक्षा और प्रभावशीलता के बारे में सही जानकारी नहीं मिलती है।

मार्केटिंग दावों और साक्ष्य में अंतरअध्ययन के शोधकर्ताओं ने मार्केटिंग दावों और वास्तविक साक्ष्यों के बीच के अंतर को भी उजागर किया। कई उत्पादों को साफ हवा और संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए बेचा जाता है, लेकिन बहुत कम उत्पादों को वास्तविक परिस्थितियों में सुरक्षित और प्रभावी साबित किया गया है। इस असमानता के कारण उपभोक्ताओं को भ्रमित किया जा सकता है।

उपभोक्ताओं के लिए सुझावएयर प्यूरीफायर खरीदने से पहले उपभोक्ताओं को कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले, ओज़ोन जनरेटर और ऐसे उपकरणों से बचें जो रासायनिक उपोत्पाद छोड़ते हैं। HEPA फ़िल्टर वाले उपकरणों को प्राथमिकता दें, क्योंकि ये हानिकारक उपोत्पादों का उत्पादन नहीं करते। इसके अलावा, सुनिश्चित करें कि उपकरण आपके कमरे के आकार के लिए उपयुक्त हो और फ़िल्टर को नियमित रूप से बनाए रखें।

निष्कर्षहालांकि एयर प्यूरीफायर हवा की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं, लेकिन यह अध्ययन हमें यह समझने की आवश्यकता बताता है कि हमें उनके लाभों और जोखिमों के बारे में जागरूक रहना चाहिए। कई उपकरणों का परीक्षण वास्तविक मानव सेटिंग्स में नहीं किया गया है, और कुछ हानिकारक रसायनों को छोड़ सकते हैं। इसलिए, उपभोक्ताओं को साक्ष्य-आधारित तकनीकों को प्राथमिकता देनी चाहिए और उन उत्पादों के प्रति सतर्क रहना चाहिए जो अव्यवस्थित दावे करते हैं।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। हेल्थ (Health News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

Vineet author

विनीत टाइम्स नाऊ नवभारत डिजिटल में फीचर डेस्क के साथ बतौर चीफ कॉपी एडिटर जुड़े हैं। वे मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले हैं। इन्हें हेल्थ, फिटनेस और न्य...और देखें

End of Article

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited