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हेल्थ

दुनिया में अब कमजोर नहीं, मोटापे से जूझ रहे बच्चों की संख्या हो गई है ज्यादा, UNICEF की नई रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता

Overweight Children Is More Than Underweight Ones: हाल ही में यूनिसेफ की नई रिपोर्ट ने चौकाने वाला खुलासा किया है। रिपोर्ट में यह बताया गया है कि अब दुनिया में कमजोर बच्चों से ज्यादा बच्चे मोटापे से जूझ रहे हैं। जानिए क्यों बढ़ रहा है बचपन का मोटापा और क्या हैं इसके खतरे और बचाव के उपाय।

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Overweight Children Is More Than Underweight Ones: आजकल अक्सर घरों में सुनने को मिलता है कि बच्चे ठीक से खाते नहीं या बहुत दुबले-पतले हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि अब दुनिया में बच्चों की सबसे बड़ी समस्या कमजोरी नहीं बल्कि मोटापा बनता जा रहा है। यूनिसेफ (UNICEF) की नई रिपोर्ट ने इस बात की पुष्टि की है कि अब कमजोर बच्चों से कहीं ज्यादा बच्चे मोटापे का शिकार हो रहे हैं। यह स्थिति दुनिया के लिए एक नई स्वास्थ्य चुनौती लेकर आई है। मोटापा केवल दिखने की समस्या नहीं है बल्कि यह आगे चलकर दिल की बीमारियों, डायबिटीज (Diabetes) और कई गंभीर दिक्कतों की वजह बन सकता है।

Overweight Children Is More Than Underweight Ones

Overweight Children Is More Than Underweight Ones

बचपन का मोटापा बना वैश्विक संकट

यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक, अब कमजोर और कुपोषित बच्चों की तुलना में मोटापे से जूझ रहे बच्चों की संख्या कहीं ज्यादा है। यह ट्रेंड बताता है कि बच्चों की डाइट और लाइफस्टाइल तेजी से बदल रहे हैं। खासतौर पर शहरी इलाकों में बच्चे जंक फूड और पैकेज्ड स्नैक्स की तरफ ज्यादा झुक रहे हैं, जिससे उनका वजन असामान्य तरीके से बढ़ रहा है।

मोटापा क्यों बन रहा है बड़ी समस्या

पहले जहां बच्चों में कुपोषण की चिंता रहती थी, वहीं अब ओवरवेट (Overweight) और मोटापा नया खतरा बन गया है। इसके पीछे मुख्य कारण हैं – असंतुलित खानपान, फिजिकल एक्टिविटी की कमी, स्क्रीन टाइम का बढ़ना और आसानी से उपलब्ध फास्ट फूड। इन आदतों ने बच्चों की सेहत को सीधे-सीधे प्रभावित किया है।

बच्चों के मोटापे के खतरे

रिपोर्ट बताती है कि बचपन में मोटापा सिर्फ एक स्टेज की समस्या नहीं है। अगर बच्चे का वजन कम उम्र में ही बढ़ गया, तो आगे चलकर उसके शरीर पर गहरा असर पड़ सकता है। इससे हार्ट डिजीज, ब्लड प्रेशर, टाइप-2 डायबिटीज और मानसिक तनाव जैसी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

माता-पिता और समाज की जिम्मेदारी

यूनिसेफ ने यह भी कहा है कि बच्चों का मोटापा सिर्फ उनकी व्यक्तिगत समस्या नहीं है बल्कि यह समाज और परिवार की जिम्मेदारी है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को हेल्दी फूड खाने की आदत डालें और उन्हें बाहर खेलने या फिजिकल एक्टिविटी के लिए प्रेरित करें। साथ ही, स्कूलों और सरकार को भी इस दिशा में कदम उठाने की जरूरत है ताकि आने वाली पीढ़ी गंभीर बीमारियों से बच सके।

क्या हो सकता है बचाव

बचपन के मोटापे को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है – संतुलित डाइट, नियमित एक्सरसाइज और स्क्रीन टाइम को सीमित करना। बच्चों को ज्यादा से ज्यादा फ्रेश फल, सब्जियां और हेल्दी स्नैक्स देना चाहिए। साथ ही, उन्हें खेलकूद और आउटडोर एक्टिविटी की तरफ मोटिवेट करना जरूरी है।

यूनिसेफ की रिपोर्ट ने एक गंभीर हकीकत सामने रखी है कि अब बच्चे कमजोरी से नहीं बल्कि मोटापे से ज्यादा परेशान हैं। यह ट्रेंड आने वाले समय में बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन सकता है। इसलिए समय रहते बच्चों की लाइफस्टाइल में सुधार करना हर परिवार और समाज की जिम्मेदारी है। अगर अभी ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाली पीढ़ी गंभीर बीमारियों से घिर सकती है।

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Vineet author

विनीत टाइम्स नाऊ नवभारत डिजिटल में फीचर डेस्क के साथ बतौर चीफ कॉपी एडिटर जुड़े हैं। वे मूल रूप से दि...और देखें

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