नींद की कमी से बढ़ रहा है डिमेंशिया का खतरा, 40% तक बढ़ रहा रिस्क, नई रिसर्च में सामने आया चौंकाने वाला सच

Sleep Loss Can Increase The Risk Of Dementia By 40
Sleep Loss Can Increase The Risk Of Dementia By 40%: क्या आपने कभी सोचा है कि नींद की कमी सिर्फ थकान या चिड़चिड़ापन ही नहीं, बल्कि गंभीर दिमागी बीमारियों का कारण भी बन सकती है? हाल ही में आई एक नई रिसर्च ने इस पर बड़ा खुलासा किया है। अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों की नींद पूरी नहीं होती, उनमें डिमेंशिया का खतरा करीब 40% तक बढ़ सकता है। डिमेंशिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें याददाश्त कमजोर होने लगती है, सोचने-समझने की क्षमता घटती है और धीरे-धीरे व्यक्ति रोज़मर्रा की जिंदगी संभालने में असमर्थ हो जाता है। यह रिसर्च हमारे लिए एक चेतावनी है कि नींद को हल्के में लेना हमारे दिमाग की सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
रिसर्च में क्या सामने आया
इस नई रिसर्च के मुताबिक, जिन लोगों को नींद की आदतें खराब होती हैं या जो लंबे समय तक पर्याप्त नींद नहीं लेते, उनमें डिमेंशिया का रिस्क लगभग 40% तक ज्यादा देखा गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि नींद की कमी दिमाग में मौजूद हानिकारक प्रोटीन को साफ करने की प्रक्रिया को धीमा कर देती है। यही प्रोटीन अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों से जुड़ा माना जाता है।
डिमेंशिया क्यों है खतरनाक बीमारी
डिमेंशिया केवल याददाश्त से जुड़ी समस्या नहीं है, बल्कि यह सोचने-समझने की क्षमता, निर्णय लेने और यहां तक कि सामान्य जीवन जीने की योग्यता पर भी असर डालता है। शुरुआती लक्षणों में भूलने की आदत, बातचीत में दिक्कत और रोज़मर्रा के कामों को मैनेज न कर पाना शामिल है। लंबे समय में यह बीमारी अल्जाइमर जैसी गंभीर स्थितियों का रूप ले सकती है।
नींद और ब्रेन हेल्थ का गहरा रिश्ता
नींद के दौरान हमारा दिमाग दिनभर जमा हुई थकान और टॉक्सिन्स को साफ करता है। जब नींद पूरी नहीं होती, तो यह प्रक्रिया प्रभावित होती है और हानिकारक तत्व दिमाग में जमा होते जाते हैं। यही कारण है कि नींद की कमी सीधे तौर पर ब्रेन हेल्थ को कमजोर कर देती है और डिमेंशिया जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
किन लोगों में बढ़ता है ज्यादा खतरा
यह खतरा उन लोगों में ज्यादा पाया गया जो लगातार नींद की अनियमितता से जूझते हैं। उम्रदराज़ लोगों, ज्यादा तनाव लेने वालों और जिनकी जीवनशैली अनहेल्दी है, उनमें डिमेंशिया का खतरा और भी ज्यादा होता है। रिसर्च में यह भी बताया गया कि 50 की उम्र के बाद नींद की कमी दिमागी बीमारियों का बड़ा ट्रिगर बन सकती है।
क्या है समाधान
विशेषज्ञों का मानना है कि 7-8 घंटे की क्वालिटी स्लीप दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए बेहद जरूरी है। सोने और उठने का समय फिक्स रखना, रात में मोबाइल और स्क्रीन टाइम को कम करना, तनाव कम करने के लिए मेडिटेशन करना और हेल्दी डाइट अपनाना नींद की गुणवत्ता को सुधार सकता है।
निष्कर्ष
नई रिसर्च से यह साफ हो गया है कि नींद की कमी को नज़रअंदाज़ करना हमारे दिमाग की सेहत के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। यह न सिर्फ डिमेंशिया बल्कि अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारियों का भी कारण बन सकता है। इसलिए, अगर आप अपनी याददाश्त और दिमाग को लंबे समय तक स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो नींद को प्राथमिकता देना सबसे जरूरी कदम है।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। हेल्थ (Health News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
विनीत टाइम्स नाऊ नवभारत डिजिटल में फीचर डेस्क के साथ बतौर चीफ कॉपी एडिटर जुड़े हैं। वे मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले हैं। इन्हें हेल्थ, फिटनेस और न्य...और देखें

फैटी लिवर का इलाज अब आसान, नया इंजेक्शन बना उम्मीद की किरण, रिसर्च में साबित हुआ असरदार

Navratri Fast: हेल्थ के लिए क्यों वरदान है नवरात्रि व्रत, कैसे आध्यात्मिक शक्ति के साथ सेहत को देता है गजब फायदे

जोड़ों का दर्द बना जी का जंजाल, उठना-बैठना भी हुआ मुश्किल, चुटकियों में राहत दिलाएंगे ये असरदार आयुर्वेदिक नुस्खे

दिल्ली-NCR में क्यों जल्दी-जल्दी बीमार पड़ते हैं बच्चे, डॉक्टर्स ने बताया क्यों सालभर रहती है नाक-गले और सांस की बीमारी

30 की उम्र के बाद खुद को रखना है फिट, तो जरूर करें ये 5 योगासन
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited