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हेल्थ

सिर्फ प्यार नहीं, ये बीमारी भी तोड़ सकती है आपका दिल, जानिए क्या है ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम

Broken Heart Syndrome In Hindi: क्या आप भी अक्सर सीने में होने वाले दर्द को पेट की गैस समझकर नजरअंदाज कर देते हैं? आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि यह दिल टूटने का संकेत हो सकता है। आपको बता दें कि दिल सिर्फ प्यार से नहीं, एक बीमारी की वजह से भी टूट सकता है। ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम (Broken Heart Syndrome) कोई कहावत नहीं बल्कि असली बीमारी है। इसमें अचानक तनाव या सदमे से दिल हार्ट अटैक जैसे लक्षण दिखाता है। आज हम इस के लख में आपको इस गंभीर बीमारी के बारे में विस्तार से बताएंगे

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Broken Heart Syndrome In Hindi: हम सभी एक ऐसे समाज में रहते हैं, जहां लोग एक-दूसरे के साथ भावनात्मक रूप से काफी जुड़े होते हैं। आपने लोगों को कहते सुना होगा कि 'मेरा दिल टूट गया'। फिर चाहे वह वास्तविक जीवन में हो, फिल्मों या टीवी सीरियल्स में, ऐसा अक्सर सुनने को मिलता है। यह वाक्य आमतौर पर मोहब्बत और जज्बात से जुड़ा समझा जाता है। लेकिन आधुनिक चिकित्सा विज्ञान कहता है कि दिल वास्तव में भी टूट सकता है, और इसे ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम (Broken Heart Syndrome) कहा जाता है। यह कोई कहावत नहीं बल्कि एक गंभीर हृदय रोग है।

सिर्फ प्यार नहीं तोड़ता दिल

सिर्फ प्यार नहीं तोड़ता दिल - (All Pic - AI/Canva)

सन् 1990 में जापान में पहली बार इस बीमारी का जिक्र हुआ था। उसके बाद मेयो क्लीनिक (Mayo Clinic), हार्वर्ड मेडिकल स्कूल (Harvard Medical School) और अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) जैसी संस्थाओं ने इस पर शोध (Research) किया। भारत में भी एम्स (AIIMS) और अपोलो अस्पताल (Apollo Hospital) जैसे बड़े केंद्रों पर इसके केस मिलने लगे हैं।

भारत जैसे देश में जहां तनाव, पारिवारिक दबाव, आर्थिक कठिनाइयां और रिश्तों का टूटना आम है, वहां यह बीमारी और भी अहम हो जाती है। ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम क्या है, यह क्यों होता है, इसके लक्षण कैसे पहचानें और इससे बचाव कैसे संभव है, इस विषय पर गहराई से जानने के लिए हमने दो हार्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स से बात की, जिनमें अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आशीष कुमार और मैक्स अस्पताल, पड़पड़गंज में कार्डियक साइंस के डायरेक्टर डॉ. वैभव मिश्रा शामिल हैं।

क्या है ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम (Broken Heart Syndrome)?

मेयो क्लिनिक की मानें तो ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम को मेडिकल भाषा में तकोत्सुबो कार्डियोमायोपैथी (Takotsubo Cardiomyopathy) कहा जाता है। यह स्थिति तब होती है जब अचानक तनाव, सदमा या भावनात्मक झटका दिल की पंपिंग क्षमता को कमजोर कर देता है।

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) बताता है कि इसमें हार्ट अटैक जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन असली कारण नसों का ब्लॉकेज नहीं, बल्कि तनाव हार्मोन एड्रेनलिन (Adrenaline) की अधिकता होती है। यही हार्मोन दिल की मांसपेशियों को अस्थायी रूप से कमजोर बना देता है।

भारत में क्यों अहम है यह बीमारी?

डॉ. वैभव मिश्रा बताते हैं 'भारत की जीवनशैली लगातार तनावपूर्ण होती जा रही है। आजकल लोगों नौकरी का दबाव, रिश्तों की अनबन, आर्थिक कठिनाई और बुज़ुर्गों का अकेलापन जैसी स्थितियों से जूझ रहे हैं। ये सब कारक इस बीमारी को और गंभीर बनाते हैं।'

सन् 2023 में इंडियन हार्ट जर्नल (Indian Heart Journal) में प्रकाशित एक अध्ययन बताता है कि भारत के बड़े अस्पतालों में कार्डियक इमरजेंसी (Cardiac Emergency) में आने वाले 2–3 प्रतिशत मरीजों को वास्तव में ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम था।

खास बात यह है कि भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा प्रभावित पाई गईं। डॉक्टरों का मानना है कि 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में मेनोपॉज (Menopause) के बाद हार्मोन एस्ट्रोजन (Estrogen) की कमी इस बीमारी को और बढ़ा देती है।

ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं (Symptoms Of Broken Heart Syndrome)?

डॉक्टर्स की मानें तो आमतौर पर इसके लक्षण हार्ट अटैक जैसे ही होते हैं। इसमें सीने में अचानक तेज दर्द, सांस लेने में कठिनाई, पसीना आना और घबराहट शामिल हैं।

मेयो क्लीनिक (Mayo Clinic) की एक स्टडी बताती है कि ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम से पीड़ित मरीजों के ईसीजी (ECG) और ट्रोपोनिन (Troponin) के स्तर में गड़बड़ी देखने मिलती है, लेकिन एंजियोग्राफी (Angiography) में ब्लॉकेज नहीं पाया जाता। यही इसकी पहचान का बड़ा संकेत है।

किन लोगों में खतरा सबसे ज्यादा है?

ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम हर किसी को हो सकता है, लेकिन कुछ लोग ज्यादा जोखिम में रहते हैं जैसे,

  • 40 वर्ष से ऊपर की महिलाएं, खासकर मेनोपॉज के बाद
  • तनाव वाली नौकरियों में काम करने वाले लोग, जैसे बैंकिंग या आईटी (IT) सेक्टर
  • बुज़ुर्ग जो अकेलेपन या डिप्रेशन का सामना कर रहे हों
  • अचानक सदमा झेलने वाले लोग, जैसे किसी प्रियजन का निधन या बड़े आर्थिक नुकसान

डॉक्टर्स का क्या कहना है?

कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आशीष कुमार कहते हैं- 'यह हार्ट अटैक जैसा दिखता जरूर है, लेकिन असल में इसमें नसें बंद या उनमें ब्लॉकेज की समस्या नहीं होती है। इसमें दिल की मांसपेशियां अचानक तनाव की वजह से कमजोर पड़ जाती हैं।'

मैक्स अस्पताल, पड़पड़गंज में कार्डियक साइंस के डायरेक्टर डॉ. वैभव मिश्रा बताते हैं - 'भारत में लोग अक्सर सीने के दर्द को गैस समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। कई बार यही ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम होता है, जिसे लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं।'

ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम का इलाज कैसे होता है? (Broken Heart Syndrome Treatment In Hindi)

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) की गाइडलाइन के अनुसार, इसका इलाज अस्पताल में निगरानी और दवाओं से किया जाता है। इसमें बीटा-ब्लॉकर (Beta Blocker), ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने वाली और एंटी-एंग्जायटी (Anti-Anxiety) दवाएं दी जाती हैं। एम्स की रिपोर्ट बताती है कि 90 प्रतिशत से अधिक मरीज सही समय पर इलाज मिलने पर पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं।

बचाव के लिए योग, प्राणायाम और ध्यान (Meditation) को जीवनशैली का हिस्सा बनाना जरूरी है। परिवार और दोस्तों से बातचीत करना और भावनाओं को दबाने की बजाय साझा करना भी बेहद कारगर है।

शोध और अध्ययन क्या कहते हैं?

सितंबर 2025 तक उपलब्ध शोध जैसे लांसेट (Lancet) और जेएएमए कार्डियोलॉजी (JAMA Cardiology) की रिपोर्ट बताती है कि इस बीमारी के लगभग 70–80 प्रतिशत मरीज महिलाएं होती हैं।

सन् 2023 की इंडियन हार्ट जर्नल रिपोर्ट कहती है कि भारतीय मरीजों में तनाव, पारिवारिक दबाव और अकेलापन इसकी सबसे बड़ी वजहें बनती हैं।

भारतीय जीवन से जुड़ा उदाहरण

डॉ. आशीष कुमार कहते हैं 'भारत में अक्सर हमने सुना है कि पति की मौत के बाद पत्नी कुछ ही दिनों में चल बसी। या किसी मां ने बेटे को खोने के बाद धीरे-धीरे दिल की समस्या की शिकायत करना शुरू कर दिया। पहले इन्हें केवल भावनात्मक कहानियां समझा जाता था, लेकिन अब डॉक्टर कहते हैं कि यह असल में ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम हो सकता है।'

निष्कर्ष

ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम कोई मिथक नहीं बल्कि असली बीमारी है। यह हमें यह सिखाता है कि दिल सिर्फ मोहब्बत से नहीं टूटता बल्कि सदमे और तनाव से भी बीमार हो सकता है।

भारतीय समाज में, जहां जिम्मेदारियों और रिश्तों का बोझ हमेशा बना रहता है, वहां इस बीमारी की संभावना और अधिक हो जाती है। इसलिए अगर अचानक सीने में दर्द, घबराहट या सांस लेने में तकलीफ हो, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराना बेहद जरूरी है।

तनाव से बचना, योग और ध्यान करना और परिवार के साथ जुड़ाव बनाए रखना, यही दिल को सच में मजबूत रखने के सबसे अच्छे उपाय हैं।

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।

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Vineet author

विनीत टाइम्स नाऊ नवभारत डिजिटल में फीचर डेस्क के साथ बतौर चीफ कॉपी एडिटर जुड़े हैं। वे मूल रूप से दि...और देखें

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