आयुर्वेद दिवस 2025 : गोवा से गूंजेगा भारत का पारंपरिक ज्ञान, दुनिया को मिलेगा 'जन और जीवन' का समाधान

आयुर्वेद दिवस 2025
Ayurveda Day 2025 : भारत की प्राचीन चिकित्सा परंपरा आयुर्वेद, जिसे हजारों सालों से मानव जीवन के संतुलन और प्रकृति के साथ सामंजस्य का मार्गदर्शक माना गया है, अब एक नई दिशा की ओर अग्रसर हो चुका है। 2025 में 10वां आयुर्वेद दिवस एक ऐतिहासिक अवसर बनकर सामने आया है। इस बार इस आयोजन को एक नई भव्यता और वैश्विक पहचान के साथ 23 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं आयुर्वेद दिवस का महत्व और इस साल की थीम...
गोवा: वैश्विक आयुर्वेद यात्रा का प्रवेशद्वार
इस साल का मुख्य आयोजन अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA), गोवा में होगा। गोवा, जो पर्यटन और वेलनेस के क्षेत्र में पहले ही एक अंतरराष्ट्रीय पहचान रखता है, अब भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली का वैश्विक द्वार बन गया है। केंद्रीय आयुष एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने इसे “आयुर्वेद को दुनिया तक ले जाने की दिशा में एक ठोस कदम” बताया।
उन्होंने कहा, हम सिर्फ आयुर्वेद का उत्सव नहीं मना रहे, बल्कि हम एक ऐसे स्वास्थ्य समाधान को विश्व के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं जो न केवल व्यक्ति को स्वस्थ करता है, बल्कि प्रकृति के साथ उसका संतुलन भी बनाए रखता है।"
“जन और जीवन के लिए आयुर्वेद” एक थीम, एक संदेश, एक दिशा
इस वर्ष की थीम "Ayurveda for People & Planet" (जन और जीवन के लिए आयुर्वेद) केवल एक नारा नहीं, बल्कि भारत सरकार की उस सोच को दर्शाता है, जिसमें आयुर्वेद को आधुनिक जीवन की समस्याओं का स्थायी और समग्र समाधान माना जा रहा है। यह थीम न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य की बात करती है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और प्राकृतिक जीवन शैली को अपनाने की भी प्रेरणा देती है।
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150 से अधिक देशों में भारत की आयुर्वेदिक गूंज
आयुष मंत्रालय द्वारा की गई तैयारियां केवल भारत तक सीमित नहीं हैं। बल्कि इस बार विश्वभर के भारतीय मिशन, अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, योग और वेलनेस संस्थान,और प्रवासी भारतीय समुदाय सभी मिलकर आयुर्वेद को वैश्विक पहचान दिलाने में जुटे हैं। वर्ष 2024 में 150 से अधिक देशों में आयुर्वेद दिवस मनाया गया था, और इस वर्ष यह संख्या और भी अधिक होने की उम्मीद है।
AIIA गोवा: परंपरा और आधुनिकता का संगम
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA), गोवा यह केवल एक भवन नहीं, बल्कि भारत के पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ने का प्रयास है। यहां न केवल उच्चस्तरीय चिकित्सा सुविधा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय शोध, अध्ययन और सहयोग के केंद्र के रूप में भी यह कार्य कर रहा है।
भारत से विश्व तक: आयुर्वेद की नई यात्रा
आयुर्वेद अब केवल एक "पुरातन चिकित्सा पद्धति" नहीं रहा, बल्कि यह एक वैज्ञानिक, प्रमाण-आधारित और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से समृद्ध प्रणाली बन चुका है। यह आधुनिक दुनिया की उन चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करता है, जो जीवनशैली संबंधी रोगों, तनाव, असंतुलन और पर्यावरणीय क्षरण से जुड़ी हैं।
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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मूल की भावना ने देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIMC से 2014 में पत्रकारिता की पढ़ाई की. 10 सालों से मीडिया में काम कर रही हैं. न्यू...और देखें

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