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आर्मी एयर डिफेंस सेंटर, गोपालपुर में अग्निवीरों की 5वीं बैच की पासिंग आउट परेड हुई संपन्न, 401 अग्निवीर भारतीय सेना में हुए शामिल

Indian Army: आर्मी एयर डिफेंस सेंटर में 5 जून 2025 को एक गर्वपूर्ण और यादगार पल देखने को मिला, जब अग्निवीरों की पांचवीं बैच की पासिंग आउट परेड (POP) का आयोजन किया गया। समारोह की समीक्षा ब्रिगेडियर हेमंत सिंह, कमांडेंट, आर्मी एयर डिफेंस सेंटर ने की।

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Army Air Defence Centre: गोपालपुर स्थित आर्मी एयर डिफेंस सेंटर में 5 जून 2025 को एक गर्वपूर्ण और यादगार पल देखने को मिला, जब अग्निवीरों की पांचवीं बैच की पासिंग आउट परेड (POP) का आयोजन किया गया। इस समारोह की समीक्षा ब्रिगेडियर हेमंत सिंह, कमांडेंट, आर्मी एयर डिफेंस सेंटर ने की। उन्होंने 401 अग्निवीरों को कड़े प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करने और भारतीय सेना की सेवा के लिए ‘अंतिम पग’ बढ़ाने पर बधाई दी।

401 अग्निवीर भारतीय सेना में हुए शामिल

परेड के दौरान अग्निवीरों ने अनुशासन और समन्वय का बेहतरीन प्रदर्शन किया, जो सेंटर में दी जाने वाली उच्च स्तर की ट्रेनिंग का प्रमाण था। अपने संबोधन में ब्रिगेडियर हेमंत सिंह ने कहा कि ड्रिल एक सैनिक के अनुशासन की नींव होती है। आज जो समर्पण, एकरूपता और तालमेल आपने दिखाया है, वह आपके मजबूत संकल्प और प्रशिक्षण की उत्कृष्टता का प्रमाण है। इस अवसर पर अग्निवीरों के गर्वित माता-पिता भी आमंत्रित किए गए थे, जिन्होंने अपने बच्चों के इस महत्वपूर्ण पड़ाव को साक्षात देखा। सेना की ओर से उन्हें ‘गौरव पदक’ प्रदान कर उनके योगदान और समर्थन का सम्मान किया गया।

401 अग्निवीर राष्ट्र की सेवा के लिए सेना में हुए शामिल

ब्रिगेडियर हेमंत सिंह ने अपने संबोधन में हाल ही में सम्पन्न ऑपरेशन सिंदूर का विशेष उल्लेख किया। इस ऐतिहासिक ऑपरेशन में आर्मी एयर डिफेंस गनर्स, जिनमें से कई इसी सेंटर से प्रशिक्षित थे, ने 600 शत्रु ड्रोन को मार गिराया था। उन्होंने कहा कि यह सफलता गनर्स की कड़ी मेहनत, आधुनिक प्रशिक्षण और अद्भुत कौशल का परिणाम है। उन्होंने अग्निवीरों को इस वीरता से प्रेरणा लेने और कोर की गौरवशाली परंपराओं को बनाए रखने का आह्वान किया। परेड का समापन गर्व और उत्साह के माहौल में हुआ, जब 401 अग्निवीर राष्ट्र की सेवा के लिए पूरी प्रतिबद्धता और अनुशासन के साथ आगे बढ़े। यह समारोह न केवल अग्निवीरों की उपलब्धियों का उत्सव था, बल्कि यह भारतीय सेना की उस प्रतिबद्धता का भी प्रमाण था, जो आधुनिक, प्रशिक्षित और तकनीकी रूप से दक्ष सैनिकों को तैयार करने में लगी है।

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