एम्स से MBBS करने के बाद चुनी UPSC की राह, 77वीं रैंक के साथ IAS बन रचा इतिहास

IAS Ankur Lather Inspirational Story: हिसार जिले के राजगढ़ गांव की बेटी डॉ. अंकुर लाठर ने भारतीय सिविल सेवा परीक्षा 2015 में 77वां स्थान प्राप्त किया था। डॉ. अंकुर लाठर ने पीएमटी टेस्ट पास कर एम्स दिल्ली से एमबीबीएस किया और दो साल तक एम्स में ही अपनी सेवाएं दीं लेकिन सिविल सेवा के जुनून ने उनकी राह बदल दी। आज डॉ. अंकुर लाठर बुलंदशहर विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष हैं। जानते हैं उनके आईएएस बनने की प्रेरक कहानी।

हरियाणा की बेटी डॉ अंकुर लाठर
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हरियाणा की बेटी डॉ. अंकुर लाठर

हरियाणा के हिसार जिले के राजगढ़ गांव की बेटी डॉ. अंकुर लाठर ने भारतीय सिविल सेवा परीक्षा 2015 में 77वां स्थान प्राप्त किया था।

एम्स से एमबीबीएस किया
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एम्स से एमबीबीएस किया

डॉ. अंकुर लाठर ने पीएमटी टेस्ट पास कर एम्स दिल्ली से एमबीबीएस किया और दो साल तक एम्स में ही अपनी सेवाएं दीं लेकिन सिविल सेवा के जुनून ने उनकी राह बदल दी।

प्रेरक है कहानी
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प्रेरक है कहानी

आज डॉ. अंकुर लाठर बुलंदशहर विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष हैं। उनके आईएएस बनने की कहानी काफी प्रेरक है।

पिता का सपना बेटी बने आईएएस
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पिता का सपना बेटी बने आईएएस

उन्होंने दसवीं में 94 और बारहवीं में 91 प्रतिशत अंक हासिल कर स्कूली शिक्षा पूरी की। उनके पिता डाॅ. कर्ण सिंह लाठर का सपना था कि वह आईएएस बने।

ऐसा रहा सफर
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ऐसा रहा सफर

डाॅ. अंकुर लाठर ने सिविल सेवा परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद मीडिया को बताया था कि जब वह स्कूल जाती थीं तो गांव में प्राइमरी तक का ही स्कूल था। जब वह चौथी कक्षा में पढ़ रही थी तो उनके पिता का हिसार ट्रांसफर हुआ, जिसके बाद उनका एडमिशन डीएवी स्कूल हिसार में करवा गया। वहीं से उन्होंने दसवीं बारहवीं की परीक्षा पास की।

2014 में मिली असफलता
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2014 में मिली असफलता

उन्होंने वर्ष 2013 में यूपीएससी की तैयारी करनी शुरू की और मेडिकल साइंस सब्जेक्ट को और मजबूत किया। उन्होंने जरनल नाॅलेज की किताबें पढ़ी। वर्ष 2014 में सिविल सेवा परीक्षा दी रिजल्ट आया तो चयन नहीं हुआ। तब परिवार ने सबसे बड़ा सहारा दिया।

ऐसा है परिवार
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ऐसा है परिवार

डाॅ.अंकुर लाठर दो बहनों में सबसे बड़ी हैं। छोटी बहन ने भी एम्स से एमबीबीएस किया है। उनके पिता डाॅ. कर्ण सिंह लाठर वेटरनरी सर्जन हैं।

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