अध्यात्म

जितिया व्रत में क्यों खाई जाती मछली? शाकाहारी महिलाएं मछली की जगह क्या खाती हैं? जानें इसके पीछे का धार्मिक रहस्य

जितिया व्रत संतान प्राप्ति और संतान की लंबी आयु के लिए अत्यंत प्रभावशाली व्रत माना जाता है। जिनके बच्चे होते हैं, वो माताएं उनकी सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत करती हैं। खास बात ये है कि इस व्रत को शुरू करने से पहले महिलाएं मछली खाती हैं। मछली खाने का क्या कारण है, ये आप यहां से जानें।

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जितिया व्रत, जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है, एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ भागों में माताएँ अपने संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। इस व्रत से जुड़ी कई सांस्कृतिक परंपराएं हैं, जिनमें से एक है जितिया से एक दिन पहले मछली खाने की परंपरा। लेकिन अब सवाल ये है कि जितिया से पहले मछली क्यों खाई जाती है? इसका जवाब आपको यहां मिलेगा। साथ ही यहां बताया गया है कि जो महिलाएं शाकाहारी हैं, वो क्या खाती हैं।

जितिया से पहले क्यों खाई जाती मछली? (AI Created)

जितिया से पहले मछली क्यों खाई जाती है?

जितिया व्रत से एक दिन पहले मछली खाना माछ-भात की परंपरा है, जिसे स्थानीय भाषा में 'माछ-भात खाय के उपवास करे के' कहा जाता है। मछली खाने के तीन मुख्य कारण हैं-

  • ऐसा माना जाता है कि व्रत से पहले मछली खाने से आने वाले कठिन तप के दिन के लिए शक्ति और सहनशक्ति मिलती है, साथ ही यह पीढ़ियों से चली आ रही सदियों पुरानी परंपराओं का भी सम्मान करता है। ऐसा माना जाता है कि यदि व्रत से पहले माछ-भात नहीं खाया गया, तो व्रत पूर्ण फल नहीं देता।
  • कई समुदायों में मछली को शुभ, समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक माना गया है। यह मान्यता है कि मछली खाने से व्रत के दौरान शरीर में शक्ति बनी रहती है और व्रत सफल होता है।
  • जितिया व्रत में माताएं निर्जल उपवास करती हैं, जो कठिन माना जाता है। इसलिए व्रत से पहले दिन पौष्टिक और ऊर्जा देने वाला भोजन किया जाता है, जिसमें मछली (प्रोटीन स्रोत) और चावल (कार्बोहाइड्रेट स्रोत) हैं।
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