सबसे पहले यह तय करना जरूरी है कि आपका निवेश का मकसद क्या है। अगर आप रिटायरमेंट जैसे लंबे समय (5 साल से ज्यादा) के लिए निवेश कर रहे हैं तो इक्विटी फंड्स बेहतर रहेंगे। वहीं, 3 से 5 साल की मीडियम अवधि के लिए बैलेंस्ड या हाइब्रिड फंड सही रहते हैं। लेकिन अगर आपका निवेश शॉर्ट टर्म यानी 3 साल से कम का है तो डेट फंड सुरक्षित विकल्प हैं।
अगर आप लंबी अवधि में बड़ा फंड बनाना चाहते हैं तो SIP (Systematic Investment Plan) एक बेहतरीन तरीका है। सिप लंबी अवधि में निवेशकों को शानदार रिटर्न देता है। लेकिन सिर्फ SIP शुरू कर देना काफी नहीं है! सही म्यूचुअल फंड चुनाव की बहुत जरूरी है। अगर आपने गलत फंड चुन लिया तो रिटर्न कम मिल सकता है और आपके निवेश के लक्ष्य पूरे नहीं होंगे। आइए आसान भाषा में समझते हैं कि SIP के लिए हाई रिटर्न वाले म्यूचुअल फंड कैसे चुनें।
SIP
सबसे पहले यह तय करना जरूरी है कि आपका निवेश का मकसद क्या है। अगर आप रिटायरमेंट जैसे लंबे समय (15 से 20 साल से ज्यादा) के लिए निवेश कर रहे हैं तो इक्विटी फंड्स बेहतर रहेंगे। वहीं, 3 से 5 साल की मीडियम अवधि के लिए बैलेंस्ड या हाइब्रिड फंड सही रहते हैं। लेकिन अगर आपका निवेश शॉर्ट टर्म यानी 3 साल से कम का है तो डेट फंड सुरक्षित विकल्प हैं।
निवेश से पहले अपनी जोखिम सहने की क्षमता जानना जरूरी है। इक्विटी फंड्स ज्यादा जोखिम वाले होते हैं लेकिन लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न देते हैं। डेट फंड्स कम रिस्क और स्थिर रिटर्न के लिए सही होते हैं, जबकि हाइब्रिड फंड्स दोनों का मिश्रण होते हैं। अगर आप अपनी रिस्क क्षमता को समझ लेंगे तो मार्केट में उतार-चढ़ाव के दौरान घबराएंगे नहीं और SIP जारी रख पाएंगे।
इसके अलावा, किसी फंड का चुनाव करने से पहले उसका पिछला प्रदर्शन जरूर देखें। सिर्फ एक साल का रिटर्न देखकर फैसला न करें, बल्कि 3, 5 और 10 साल का औसत रिटर्न देखें। यह भी देखना जरूरी है कि फंड अपने बेंचमार्क और बाकी फंड्स की तुलना में लगातार अच्छा कर रहा है या नहीं। साथ ही, फंड मैनेजर का अनुभव भी मायने रखता है। एक अनुभवी मैनेजर सही रणनीति से आपके निवेश पर अच्छा असर डाल सकता है।
जरूर चेक करें ये चीज
फंड का एक्सपेंस रेशियो और चार्जेज भी ध्यान में रखें। यह वह फीस है जो AMC (Asset Management Company) निवेश को मैनेज करने के लिए लेती है। एक्सपेंस रेशियो जितना कम होगा, आपके रिटर्न का उतना बड़ा हिस्सा आपके पास रहेगा। ज्यादा चार्ज या एग्जिट लोड वाले फंड्स से बचना चाहिए।
एक अच्छा म्यूचुअल फंड हमेशा डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो रखता है। यानी वह अलग-अलग कंपनियों और सेक्टर्स में निवेश करता है। इक्विटी फंड्स में यह देखना जरूरी है कि उनकी टॉप होल्डिंग्स कौन सी कंपनियां हैं, और डेट फंड्स में बॉन्ड्स की क्वालिटी और क्रेडिट रेटिंग पर नजर डालें। डाइवर्सिफिकेशन जोखिम को कम करता है और रिटर्न को स्थिर बनाए रखता है।
फंड के रिटर्न के साथ यह भी देखना चाहिए कि वो किस तरह के रिस्क लेकर आया है। इसके लिए Sharpe Ratio, Beta और Standard Deviation जैसे फैक्टर मददगार होते हैं। Sharpe Ratio जितना ज्यादा होगा, उतना अच्छा है क्योंकि इसका मतलब है कम रिस्क में ज्यादा रिटर्न।
फंड का AUM (Asset Under Management) भी देखना जरूरी है। बहुत छोटा AUM जोखिम भरा हो सकता है, वहीं बहुत बड़ा AUM रिटर्न को कम कर सकता है। इसलिए मिड-साइज AUM वाले फंड्स बेहतर विकल्प माने जाते हैं। इसके साथ ही, AMC की साख और पारदर्शिता भी देखनी चाहिए। बड़ी और भरोसेमंद AMC जैसे SBI, HDFC, ICICI या Axis से जुड़े फंड्स पर भरोसा किया जा सकता है।
इन गलतियों से बचें
इसके अलावा, यह देखना जरूरी है कि फंड बार-बार शेयर खरीद-बेच तो नहीं कर रहा। अगर पोर्टफोलियो टर्नओवर ज्यादा होगा तो उसमें अतिरिक्त खर्च बढ़ेगा। लंबी अवधि के लिए कम टर्नओवर वाले फंड्स बेहतर होते हैं।
SIP शुरू करने के बाद भी इसे मॉनिटर करना जरूरी है। साल में कम से कम एक बार अपने फंड की समीक्षा करें। अगर कोई फंड लगातार 2-3 साल तक खराब प्रदर्शन कर रहा है या फंड मैनेजर बदल गया है, तो SIP को रिव्यू करना समझदारी होगी।
आम गलतियों से बचना भी जरूरी है। सिर्फ पिछले साल का रिटर्न देखकर फंड चुनना, एक्सपेंस रेशियो या AMC की साख को नजरअंदाज करना, अपनी निवेश अवधि से मेल न खाने वाले फंड में पैसा लगाना या बहुत ज्यादा/बहुत कम डाइवर्सिफिकेशन करना निवेशकों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इस तरह अगर आप सही फंड चुनते हैं और समय-समय पर उसे मॉनिटर करते हैं तो SIP आपके लिए लंबे समय में बड़ी संपत्ति बना सकती है।