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SEBI ने बदल दिए IPO के नियम, किन लोगों पर पड़ने वाला है असर? यहां जानें पूरी डिटेल्स

सेबी ने कहा कि इन बदलावों से बड़े विदेशी और घरेलू संस्थागत निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी, एंकर बुक अधिक विविध और विश्वसनीय बनेगी और वैश्विक मानकों के अनुरूप बाजार में स्थिरता आएगी।

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शेयर बाजार नियामक सेबी ने बड़ी कंपनियों के लिए आईपीओ से संबंधित नियमों में ढील देने और न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता हासिल करने की अवधि को बढ़ाने का शुक्रवार को फैसला किया। इस बदलाव का उद्देश्य बड़ी कंपनियों को छोटे आकार वाले आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के साथ सूचीबद्धता की अनुमति देना और उनमें सार्वजनिक हिस्सेदारी को क्रमिक रूप से बढ़ाना है।

सेबी ने बैठक में छोटी कंपनियों की दी बड़ी राहत।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के निदेशक मंडल की बैठक में आईपीओ नियमों से संबंधित नई व्यवस्था को मंजूरी दी गई। इसके मुताबिक, 50,000 करोड़ से एक लाख करोड़ रुपये के पूंजीकरण वाली कंपनियों को आईपीओ में अब आठ प्रतिशत इक्विटी जारी करनी होगी, जबकि पहले यह सीमा 10 प्रतिशत थी। इसके साथ ही न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) के 25 प्रतिशत लक्ष्य को पाने की अवधि तीन साल से बढ़ाकर पांच साल कर दी गई है।

बड़ी कंपनियों को मिलेगा 10 साल का समय

एक लाख करोड़ रुपये से अधिक पूंजीकरण वाली कंपनियों के लिए अनिवार्य प्रस्ताव 2.75 प्रतिशत इक्विटी निर्गम का है जबकि पांच लाख करोड़ रुपये से अधिक की कंपनियों के लिए यह अनुपात 2.5 प्रतिशत होगा। इन बड़ी कंपनियों को एमपीएस लक्ष्य हासिल करने के लिए अब 10 साल का समय मिलेगा।

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