Anil Ambani RCom Loan Fraud Case: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) के लोन अकाउंट को "फ्रॉड" यानी फर्जीवाड़ा करार दिया है। बैंक का आरोप है कि स्वीकृत लोन राशि का उपयोग जुड़े हुए पक्षों को भुगतान, इंटर-कंपनी लेनदेन और निवेशों में किया गया तथा बिक्री चालानों का दुरुपयोग हुआ। इस पर अनिल अंबानी के वकील ने कहा कि एसबीआई का आरकॉम के लोन खातों को धोखाधड़ी वाला बताने का आदेश चौंकाने वाला एवं एकतरफा है और यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का भी उल्लंघन करता है।
Anil AmbaniRCom Loan Fraud Case: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने संकटग्रस्त दूरसंचार कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम) के लोन खाते को 'धोखाधड़ी' के रूप में वर्गीकृत कर दिया है। इसके साथ ही बैंक ने कंपनी के पूर्व निदेशक अनिल अंबानी का नाम भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को रिपोर्ट करने का निर्णय लिया है।
एसबीआई ने रिलायंस कम्युनिकेशंस के लोन को बताया धोखाधड़ी
अन्य ऋणदाता भी उठा सकते हैं यही कदम
संभावना है कि आरकॉम को लोन देने वाले अन्य बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा भी इसी तरह की कार्रवाई की जाएगी। शेयर बाजार को दी गई जानकारी में आरकॉम ने बताया कि उसे एसबीआई से 23 जून 2025 का पत्र प्राप्त हुआ है जिसमें यह जानकारी दी गई है।
एसबीआई की ‘धोखाधड़ी पहचान समिति’ की जांच में पाया गया कि आरकॉम द्वारा प्राप्त लोन का इस्तेमाल निर्धारित उद्देश्यों के बजाय अन्यत्र किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, समूह की विभिन्न इकाइयों के बीच फंड के ट्रांसफर का एक जटिल जाल फैला हुआ है, जो फंड डायवर्जन की ओर इशारा करता है।
अनियमितताओं पर 'कारण बताओ नोटिस' का मिला अधूरा जवाब
बैंक ने बताया कि ‘कारण बताओ नोटिस’ के जवाबों की जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि कंपनी और उसके पूर्व निदेशक अनिल अंबानी लोन शर्तों के उल्लंघन और बैंक की संतुष्टि के लिए आवश्यक स्पष्टीकरण देने में विफल रहे। इसके चलते ऋण खाते को 'धोखाधड़ी' घोषित किया गया।
आरबीआई दिशानिर्देशों के अनुसार कार्रवाई अनिवार्य
आरबीआई के नियमों के तहत, किसी खाते को 'धोखाधड़ी' घोषित किए जाने पर बैंक को 21 दिनों के भीतर इसकी सूचना आरबीआई और सीबीआई/पुलिस को देनी होती है। साथ ही, दोषी उधारकर्ताओं को 5 वर्षों तक किसी भी बैंक या वित्तीय संस्था से लोन प्राप्त करने से रोका जा सकता है।
अनिल अंबानी के वकील की आपत्ति
उद्योगपति अनिल अंबानी के वकील ने दिवालिया हो चुकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस के लोन खातों को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने का विरोध करते हुए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को पत्र लिखा है। दो जुलाई को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि एसबीआई के इस कदम ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देशों के साथ अदालती निर्देशों का भी उल्लंघन किया है। रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) ने बुधवार को शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा कि एसबीआई 2016 के एक मामले में कथित तौर पर पैसा दूसरी जगह भेजने का हवाला देते हुए उसके कर्ज खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत कर रहा है।
आदेश चौंकाने वाला और एकतरफा
अनिल अंबानी के वकील ने कहा कि एसबीआई का आरकॉम के लोन खातों को धोखाधड़ी वाला बताने का आदेश चौंकाने वाला एवं एकतरफा है और यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का भी उल्लंघन करता है। वकील ने कहा कि एसबीआई का आदेश सुप्रीम कोर्ट और मुंबई हाई कोर्ट के विभिन्न फैसलों के साथ आरबीआई के दिशानिर्देशों का सीधा उल्लंघन है। पत्र में वकील ने कहा कि एसबीआई ने कारण बताओ नोटिस की अमान्यता के बारे में अंबानी के संचार का करीब एक साल तक जवाब नहीं दिया है। वकील ने कहा कि एसबीआई ने अंबानी को अपने आरोपों के खिलाफ दलीलें पेश करने के लिए व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर भी नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि अंबानी कानूनी सलाह के अनुरूप मामले को आगे बढ़ा रहे हैं।
ऋण राशि का दुरुपयोग: आंकड़ों में हेरफेर
धोखाधड़ी पहचान समिति की रिपोर्ट के मुताबिक 44% (₹13,667.73 करोड़) का उपयोग कर्ज और दायित्वों के पुनर्भुगतान में किया गया। 41% (₹12,692.31 करोड़) की राशि संबंधित पक्षों को भुगतान में लगाई गई। ₹6,265.85 करोड़ अन्य बैंकों के कर्ज चुकाने में प्रयोग हुआ। ₹5,501.56 करोड़ का भुगतान जुड़ी कंपनियों को किया गया जो मंजूर उद्देश्यों से मेल नहीं खाता।
देना बैंक और IIFCL के लोन का भी गलत उपयोग
देना बैंक से मिले ₹250 करोड़ का लोन, जो वैधानिक देनदारियों के लिए था, को रिलायंस कम्युनिकेशंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (RCIL) को अंतर-कॉरपोरेट जमा (ICD) के रूप में हस्तांतरित कर दिया गया और बाद में इसे ईसीबी चुकाने में इस्तेमाल बताया गया। इसी तरह, IIFCL द्वारा स्वीकृत ₹248 करोड़ में से ₹140 करोड़ का भुगतान रिलायंस की अन्य कंपनियों को किया गया, वह भी RCIL के माध्यम से।
गंभीर फंड डायवर्जन कंपनियों का नेटवर्क
समिति की रिपोर्ट में बताया गया कि समूह द्वारा ₹41,863.32 करोड़ के ICD लेनदेन किए गए, जिनमें से केवल ₹28,421.61 करोड़ के लेनदेन का सत्यापन संभव हो पाया। इन लेनदेन में रिलायंस इन्फ्राटेल लिमिटेड (RITL), रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड (RTL), RCIL, नेटिजन और रिलायंस वेबस्टोर (RWSL) जैसी कंपनियों का नाम शामिल है।
फंड का दुरुपयोग और विश्वासघात
एसबीआई की समिति ने यह स्पष्ट किया है कि लोन राशि का उपयोग जिस तरह से किया गया, वह फंड के दुरुपयोग और बैंक के साथ विश्वासघात के समान है। प्रबंधन और अनिल अंबानी द्वारा इन लेनदेन की वैधता या जरिये को लेकर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है। (इनपुट भाषा)