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सितंबर में भी जारी रहेगा भारी बारिश का सितम, पहाड़ों में लैंडस्लाइड्स से जानमाल के नुकसान का खतरा

अगस्त बीतने और सितंबर आने के साथ क्या आपको भी लग रहा है कि अब बारिश का दौर खत्म हो गया है? अगर हां, तो आप गलत हैं। पिछले चार दशकों से सितंबर में बारिश की मात्रा लगातार बढ़ती चली गई है और IMD का कहना है कि अभी भारी बारिश के साथ ही लैंडस्लाइड और मडस्लाइड की खबरें मिलती रहेंगी।
Rain-Landslide PTI

सितंबर में भी जारी रहेगा बारिश का सितम (फोटो - PTI)

जुलाई बीता, अगस्त भी बीत गया और सितंबर आ गया। अब आपको लग रहा होगा कि चलो इस बार की बादल फाड़ बारिश से राहत मिलेगी। लेकिन नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। भारत मौसम विभाग (IMD) के अनुसार इस महीने सामान्य से ज्यादा बारिश की संभावना है। यानी बादल फाड़ बारिश, खिसकते पहाड़ और तालाब होती शहरों की सड़कों से फिलहाल राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। भले ही यह मानसून का अंतिम चरण हो, फिर भी इस बार आपको और ज्यादा बारिश का प्रकोप झेलना पड़ेगा। मौसम विभाग के अनुसार, सितंबर में औसत से 9 प्रतिशत ज्यादा यानी कुल 109 प्रतिशत बारिश का अनुमान है। सामान्य दीर्घावधि औसत के अनुसार सितंबर महीने में कुल 167.9 मिमी बारिश होती है और इस साल सितंबर में 190 मिली के करीब बारिश हो सकती है।

लैंडस्लाइड और भारीबारिश की चेतावनी

IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा के अनुसार उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्यों को फिलहाल राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। उन्होंने जानकारी दी है कि आगामी दिनों में इन राज्यों में लैंडस्लाइड और मलबा खिसकने (Mudslide) की घटनाओं का खतरा बना रहेगा। इन राज्यों में अत्यधिक भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। इसके अलावा, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पूर्वी राजस्थान, गुजरात, पश्चिमी मध्यप्रदेश और पश्चिमी तटवर्ती क्षेत्रों में भी गुरुवार 4 सितंबर तक बारिश का दौर जारी रहने की संभावना है।

यहां सामान्य से कम बारिश होगी

कल यानी मंगलवार 2 सितंबर को बंगाल की खाड़ी में एक नया निम्न दबाव का क्षेत्र विकसित होने का अनुमान है, जिससे पूर्वी राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तरी छत्तीसगढ़ में भी बारिश की संभावना है। हालांकि, मौसम विभाग ने यह भी साफ कर दिया है कि मानसून के अंतिम चरण में सितंबर में केरल, दक्षिण कर्नाटक, आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है।

सितंबर को मानसून की विदाई के महीने के रूप में जाना जाता है, लेकिन महापात्रा का कहना है कि सितंबर के पहले सप्ताह में मानसून वापसी के कोई संकेत नहीं हैं। उन्होंने बताया कि नया निम्न दबाव का क्षेत्र बनने के चलते गंगा नदी के पूरे मैदानी इलाकों में बारिश का दौर जारी रहेगा। इसके कारण मानसून की वापसी की प्रक्रिया सितंबर के पहले हफ्ते में टल जाएगी।

सितंबर में बदलता बारिश का पैटर्न

IMD के अनुसार, जून से सितंबर के महीनों को मानसून का मौसम कहा जाता है। लेकिन 1980 के दशक से सितंबर में देशभर में वर्षा की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ी है। बारिश में बढ़ोतरी के कारण मानसूनी हवाओं से पश्चिमी विक्षोभ आकर टकरा रहे हैं। मानसूनी हवाएं सर्दियों के मौसम में प्रबल होते पश्चिमी विक्षोभों से टकराती हैं, तब सामान्य से ज्यादा बारिश होती है।

बता दें कि साल 2020 में आईएमडी ने सुदूर उत्तर-पश्चिमी इलाकों से मानसून वापसी की सामान्य तारीख को 1 सितंबर से बदलकर 17 सितंबर कर दिया था। इस साल भी सितंबर के शुरुआती दिनों में बारिश का जोर इस बदलाव की पुष्टि करता दिख रहा है।

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Digpal Singh author

साल 2006 से पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं। शुरुआत में हिंदुस्तान, अमर उजाला और दैनिक जागरण जैसे अखबारों में फ्रीलांस करने के बाद स्थानीय अखबारों और मै...और देखें

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