मुंबई

मराठवाड़ा में दशक की सबसे बड़ी आपदा, बारिश-बाढ़ से 52 मौतें

मराठवाड़ा में इस बार की भारी बारिश और बाढ़ ने तबाही मचा दी है। अब तक 52 लोगों की मौत हो चुकी है, हजार से अधिक मवेशी मरे हैं और 12.8 लाख हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो गई हैं। नांदेड़ और लातूर सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल हैं। 3,960 गांवों में 16 लाख से अधिक किसान संकट में आ गए हैं।
मराठवाड़ा में दशक की सबसे बड़ी आपदा, बारिश-बाढ़ से 52 मौतें

महाराष्ट्र का मराठवाड़ा क्षेत्र इस वर्ष अभूतपूर्व बारिश और बाढ़ की त्रासदी से जूझ रहा है। विभागीय आयुक्त कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, 1 जून से अब तक बारिश और उससे जुड़ी घटनाओं में कुल 52 लोगों की मौत दर्ज की गई है। यह आंकड़ा हर साल औसतन दर्ज होने वाली 25 से 30 मौतों की तुलना में लगभग दोगुना है, जो हालात की भयावहता को स्पष्ट करता है।

नांदेड़ और लातूर में सबसे अधिक तबाही

सबसे ज्यादा तबाही नांदेड़ और लातूर जिलों में देखने को मिली है, जहां लगातार हुई भारी बारिश और दो बार आई बाढ़ के कारण जनहानि बढ़ी है। अकेले नांदेड़ जिले में 18 मौतें दर्ज की गई, जबकि छत्रपति संभाजीनगर में 11 लोग मारे गए। हिंगोली और बीड जिलों में 6-6 मौतें, परभणी में 5 मौतें, तथा जालना और धाराशिव में 3-3 मौतें सामने आई हैं।

मानवीय हानि के साथ-साथ नुकसान का पैमाना भी बेहद बड़ा है। अब तक 1,067 मवेशियों की मौत हो चुकी है। वहीं, 2,000 से अधिक घरों को गंभीर क्षति पहुंची है। कृषि क्षेत्र पर इसका असर सबसे ज्यादा पड़ा है – 12.8 लाख हेक्टेयर से अधिक फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं। आंकड़ों के अनुसार, 3,960 गांव प्रभावित हुए हैं और सीधे तौर पर 16 लाख से अधिक किसान इस आपदा से संकट में आ गए हैं।

बारिश और जलजमाव के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त

विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार बारिश का स्वरूप सामान्य से कहीं अधिक आक्रामक रहा है। अचानक हुई मूसलाधार बारिश, नदियों के उफान और जलजमाव ने ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। खेत-खलिहान जलमग्न हो गए हैं, जिससे किसान न केवल वर्तमान सीजन की फसल से हाथ धो बैठे हैं बल्कि आने वाले रबी सीजन की तैयारियां भी प्रभावित हो सकती हैं।

मराठवाड़ा हमेशा से जल संकट और सूखे के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन इस बार पानी की अधिकता ने ही तबाही मचाई है। जानकार चेतावनी दे रहे हैं कि अगर राहत और पुनर्वास कार्य तेज़ी से नहीं किए गए तो आने वाले महीनों में यह आपदा और गहरी सामाजिक-आर्थिक चुनौती बन सकती है। मराठवाड़ा के लोग अब सरकार से त्वरित राहत, किसानों के लिए मुआवजा और पुनर्वास योजनाओं की उम्मीद कर रहे हैं।

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    Rakesh Kamal Trivedi author

    20 सालों से अधिक टीवी पत्रकारिता के अनुभव के साथ वर्तमान में टाइम्स नाउ नवभारत चैनल के डिप्टी न्यूज एडिटर पद पर कार्यरत हैं। अपराध जगत और शोध पत्रकारि...और देखें

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