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कई राज्यों में बारिश का वर्षों का रिकॉर्ड टूटा, लेकिन इन दो राज्यों में बादलों का टोटा

उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान जैसे कुछ राज्यों में लगातार भारी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। पहाड़ी इलाकों में बादल फटने से भारी नुकसान हो रहा है, जबकि मैदानी इलाकों में खेतों में पानी भरने से फसलें चौपट हो रही हैं। इस बीच देश के कुछ हिस्से ऐसे भी हैं, जो बारिश की बूंद-बूंद के लिए तरस रही हैं।
Drought and Flood.

देश के दो राज्यों में बारिश को तरस गए लोग

देशभर में रिकॉर्डतोड़ बारिश की खबरें आपने खूब सुनी और पढ़ी होंगी। इन दिनों देशभर में भारी बारिश का दौर जारी है। उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाओं के चलते भारी तबाही के मंजर देखने को मिल रहे हैं। फ्लैश फ्लड, भारी बारिश और बाढ़ के साथ ही भूस्खलन यानी लैंडस्लाइड की घटनाएं आए दिन सामने आ रही हैं। मैदानी इलाकों में भी नदियां अपने तटबंध तोड़कर रिहायशी इलाकों तक पहुंच रही हैं। खेत जलमग्न हैं और फसलें बाढ़ के पानी में डूबकर बर्बाद हो चुकी हैं। भारी और अत्यंत भारी बारिश से जुड़ी तमाम खबरों के बीच देश के कुछ इलाकों में बारिश की भारी कमी देखने को मिल रही है। कम से कम देश के दो राज्यों में तो बादलों का भीषण टोटा है और यहां के निवासियों व किसानों की आंखें आसमान की ओर निहारते हुए पथरा सी गई हैं।

एक तरफ उत्तर भारत में बाढ़ और लैंडस्लाइड से लगातार लोग जान गंवा रहे हैं। गंगा-यमुना के मैदानी इलाके डूबे हुए हुए हैं। मौसम विभाग की मानें तो इस मानसून के मौसम में बहुत ज्यादा बारिश नहीं हुई है। इसके बावजूद कुछ इलाकों में बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से जुड़ी घटनाएं आए दिन सामने आ रही हैं।

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75 फीसद मानसून बीता

मौसम विभाग के अनुसार मानसून का 75 फीसद हिस्सा बीत चुका है। जैसा कि हमने ऊपर बताया कि मौसम विभाग के अनुसार इस बार बहुत ज्यादा बारिश नहीं हुई है। इस साल 31 अगस्त तक हुई बारिश 1971-2020 के औसत से मात्र 1.2 फीसद ही ज्यादा है। इसके बावजूद उत्तर भारत से लेकर पश्चिम, मध्य और दक्षिण भारत तक के कई इलाकों में बाढ़ से लोग परेशान हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में अग्सत महीने में भारी बारिश ने तबाही ला दी।

मौसम विभाग के अनुसार अगस्त तक पूरे देश में 700.6 मिमी बारिश दर्ज की गई है। IMD के अनुसार जून से अगस्त तक के महीनों के लिए यह बारिश की मध्यम मात्रा है। यानी इसे बहुत कम या बहुत ज्यादा नहीं कहा जा सकता।

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यहां बादलों का टोटा है

जहां एक ओर मानसून के सीजन में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और पंजाब में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई। वहीं कुछ राज्यों में बादलों का टोटा भी देखने को मिला। राजस्थान में सामान्य से 56 फीसद ज्यादा बारिश हुई है, जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश में इस मानसून के सीजन बादल कम बरसे। बिहार में तो 26.6 फीसद कम बारिश हुई, जिससे राज्य के कई इलाकों में सूखे जासे हालात हैं। ऐसा ही कुछ उत्तर-पूर्वी राज्य असम का भी है। असम में इस मानसून के सीजन 25.3 फीसद और ओडिशा में 12.6 व छत्तीसगढ़ में 10.8 फीसद कम बारिश रिकॉर्ड हुई है।

1971-2020 के औसत से 2025 में कितनी कम या ज्यादा बारिश हुई

राज्य का नामइस सीजन कितनी कम या ज्यादा बारिश हुई
राजस्थान56.3 फीसद
हिमाचल प्रदेश45.4 फीसद
उत्तराखंड34.4 फीसद
जम्मू और कश्मीर34.4 फीसद
पंजाब28.8 फीसद
हरियाणा23.1 फीसद
तेलंगाना22.2 फीसद
झारखंड21.8 फीसद
मध्य प्रदेश12.4 फीसद
कर्नाटक11.2 फीसद
आंध्र प्रदेश5.3 फीसद
केरल5.2 फीसद
गुजरात4.6 फीसद
दिल्ली1.3 फीसद
महाराष्ट्र0.3 फीसद
पश्चिम बंगाल-3.3 फीसद
तमिलनाडु-4.4 फीसद
उत्तर प्रदेश-6.5 फीसद
छत्तीसगढ़-10.8 फीसद
ओडिशा-12.6 फीसद
असम-25.3 फीसद
बिहार-26.6 फीसद

इस तरह बारिश के औसत आंकड़ों को देखा जाए तो पता चलता है कि पैटर्न हर जगह अलग है। राजस्थान जैसे राज्यों में एक सामान्य पैटर्न दिखा, जहां पूरे मानसून के सीजन हर महीने काफी ज्यादा बारिश हुई। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और पंजाब जैसे राज्यों में भले ही बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से तबाही खूब मची हो, लेकिन यहां बारिश का पैटर्न अच्छा नहीं रहा। इन राज्यों के कुछ इलाकों में बहुत ज्यादा बारिश देखने को मिली और कुछ में सामान्य से कम। इसी तरह कुछ महीनों में ज्यादा बारिश तो कुछ में ना के बराबर बादल बरसे।

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Digpal Singh author

साल 2006 से पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं। शुरुआत में हिंदुस्तान, अमर उजाला और दैनिक जागरण जैसे अखबारों में फ्रीलांस करने के बाद स्थानीय अखबारों और मै...और देखें

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