रायपुर

Chhattisgarh News: अब नक्सलियों का अड्डा बनेगा सुरक्षा का गढ़, कर्रेगुट्टा में होगा जंगल वारफेयर कॉलेज का निर्माण

छत्तीसगढ़ में बीजापुर जिले की कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर देश के दूसरा जंगल वारफेयर कॉलेज का निर्माण किया जाएगा। सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के तहत हाल ही में इस क्षेत्र को नक्सलियों से मुक्त कराया है। इस कॉलेज में CRPF, छत्तीसगढ़ पुलिस और अन्य बलों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी।
crpf soldier

सांकेतिक फोटो (PTI)

Jungle Warfare College Chhattisgarh: कभी नक्सलियों का मजबूत गढ़ माने जाने वाली छत्तीसगढ़ की कर्रेगुट्टा पहाड़ी अब देश की सुरक्षा और प्रशिक्षण का नया केंद्र बनने जा रही है। इस पहाड़ी पर अब देश का दूसरा जंगल वारफेयर कॉलेज बनेगा। यह फैसला नक्सलवाद के खिलाफ चल रही निर्णायक लड़ाई को और मजबूती देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

कॉलेज में जवानों को मिलेगी स्पेशल ट्रेनिंग

जंगल वारफेयर कॉलेज में CRPF, छत्तीसगढ़ पुलिस, डीआरजी, कोबरा और अन्य अर्धसैनिक बलों को विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी। इस कॉलेज का निर्माण केंद्र सरकार करेगी, जबकि राज्य सरकार इसके लिए आवश्यक एप्रोच रोड और अन्य बुनियादी ढांचे उपलब्ध कराएगी। छत्तीसगढ़ में इससे पहले 2004 में कांकेर जिले में ‘काउंटर टेररिज्म एंड जंगल वारफेयर कॉलेज’ बनाया गया था।

21 दिन के अभियान में 31 नक्सली हुए थे ढेर

सुरक्षा बलों ने कार्रेगुट्टा पहाड़ी को हाल ही में नक्सलियों के चंगुल से मुक्त कराया था। 21 दिनों तक चले अभियान ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट की शुरुआत 21 अप्रैल 2025 से शुरू हुई थी। इस कार्रवाई के दौरान 31 नक्सली मारे गए, 214 बंकर तबाह किए गए और चार तकनीकी इकाइयों को नष्ट किया गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्वयं इस अभियान में शामिल जवानों से मिलकर उन्हें सम्मानित किया।

2026 तक नक्सलमुक्त भारत का संकल्प होगा पूरा

राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि नक्सलवाद की झूठी विचारधारा अब दम तोड़ रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ विश्वास, विकास और शांति की नई सुबह की ओर बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि मार्च 2026 तक ‘नक्सलमुक्त भारत’ का संकल्प साकार होगा।

कर्रेगुट्टा पहाड़ी को क्यों कहते थे नक्सलियों की राजधानी

बीजापुर जिले में स्थित कर्रेगुट्टा पहाड़ी रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। लगभग 900 मीटर ऊंची इस दुर्गम पर्वतीय संरचना में सैकड़ों प्राकृतिक गुफाएं मौजूद हैं, नक्सलियों ने सालों तक इनका इस्तेमाल अपने ठिकाने, प्रशिक्षण केंद्र और हथियार निर्माण इकाइयों के रूप में किया। इन्हीं कारणों से इसे नक्सलियों की "राजधानी" तक कहा जाता था।

दिसंबर 2023 से अब तक राज्य में नक्सल विरोधी अभियानों के तहत 453 माओवादी मारे गए, 1616 गिरफ्तार हुए और 1666 ने आत्मसमर्पण किया। साथ ही 65 नए सुरक्षा कैंप खोले गए और बुनियादी सुविधाओं का तेजी से विस्तार हुआ है। कर्रेगुट्टा का यह परिवर्तन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति, सुरक्षा और विकास की नई शुरुआत का प्रतीक है।

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Pooja Kumari author

पूजा सितंबर 2023 से Timesnowhindi.com से जुड़ी हुई हैं। यहां बतौर कॉपी एडिटर सिटी न्यूज, मेट्रो- रेल और रोड इंफ्रास्ट्रक्चर, डेवलपमेंट, मौसम, क्राइम, ...और देखें

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