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पहले हरियाणा, फिर महाराष्ट्र, अब दिल्ली में खिला कमल; लोकसभा चुनाव के नतीजों से बीजेपी ने लिया ये बड़ा सबक

BJP After Lok Sabha Elections: 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को जिस तरह का झटका लगा था, वह पार्टी के लिए पचा पाना मुश्किल हो रहा था। हालांकि भाजपा ने इसका असल अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के मनोबल पर नहीं पड़ने दिया। यही नतीजा पहले हरियाणा, फिर महाराष्ट्र, अब दिल्ली में कमल खिला।

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BJP Politics: आज के दौर में जो भी व्यक्ति भारतीय जनता पार्टी की क्षमता को कम आंकता है, उसे निश्चित तौर पर अपनी राजनीतिक सूझ-बूझ पर विचार करने की आवश्यकता है। इस कथन का जिक्र कई राजनीतिक विश्लेषकों ने किया है। अब ये सवाल उठ रहा होगा कि आखिर इस बात का जिक्र यहां क्यों किया जा रहा है। तो याद कीजिए, पिछले वर्ष जून 2024 में जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आए थे, तो ये सवाल उठाया जा रहा था कि क्या भाजपा की पकड़ देश की सियासत में कमजोर हो रही है? हालांकि भाजपा ने कुछ महीने बाद ही हरियाणा विधानसभा चुनाव, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल करके सभी को हैरान कर दिया। इसी बीच दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी ने 27 साल बाद सत्ता की चाभी हासिल की।

लोकसभा चुनाव के बाद सुपर एक्टिव हुई भाजपा।

लोकसभा चुनाव के बाद सुपर एक्टिव हुई भाजपा

भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों में उम्मीद से काफी कम सीटों पर जीत हासिल हुई थी। खास तौर पर यूपी और महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों ने भाजपा को तगड़ा झटका दिया। ऐसे में भाजपा की क्षमता पर सवाल खड़े होने लगे थे। भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती खुद को साबित करने की थी। आखिरकार हरियाणा, महाराष्ट्र के बाद अब दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों में भी भाजपा ने जीत हासिल कर ये बता दिया वो लोकसभा चुनाव की हार का प्रभाव अपने मनोबल पर नहीं पड़ने दिया।

हरियाणा, महाराष्ट्र और अब दिल्ली में भाजपा का कमल खिला

आम आदमी पार्टी (आप) को दिल्ली चुनाव में करारा झटका लगा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को यहां प्रचंड जीत मिली है। 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में भाजपा के हिस्से में 48 सीटें आई हैं। इस जीत के लिए चुनाव प्रचार की कमान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने थाम रखी थी। पीएम मोदी की भी कई रैलियां दिल्ली में हुईं। इसके साथ ही भाजपा के स्टार प्रचारकों की भी सूची इस बार लंबी थी और सबने मिलकर इस जीत की कहानी लिखी। दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी 'आप' के 10 साल के शासन का भी यह लिटमस टेस्ट था, जिसमें वह पूरी तरह से फेल हुए हैं।

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