How Many Stars in the Universe: बिग बैंग के बाद से अनंत ब्रह्मांड का चौतरफा विकास हो रहा है। इसका कोई तय आकार नहीं है। हैं तो महज कल्पनाएं... अलग-अलग वैज्ञानिक पद्धतियों के आधार पर विभिन्न थ्योरीज सामने आती हैं। फिर भी ब्रह्मांड हमारी समझ से परे है और अभी तक पूरी तरह से खोजा नहीं जा सका है।
How Many Stars in the Universe: बिग बैंग के बाद से अनंत ब्रह्मांड का चौतरफा विकास हो रहा है। इसका कोई तय आकार नहीं है। हैं तो महज कल्पनाएं... अलग-अलग वैज्ञानिक पद्धतियों के आधार पर विभिन्न थ्योरीज सामने आती हैं। फिर भी ब्रह्मांड हमारी समझ से परे है और अभी तक पूरी तरह से खोजा नहीं जा सका है। भले ही हम कितने भी ज्यादा उन्नत क्यों न हो जाएं, लेकिन ब्रह्मांड को पूरी तरह से जान पाना शायद ही संभव हो पाए। जिस ब्रह्मांड की असंख्य आकाशगंगाओं में से एक आकाशगंगा के एक सोलर सिस्टम में मौजूद एक ग्रह पर हम रह रहे हैं वहां से आप और हम काले घने आसमान में दमक रहे तारों और एकाद ग्रहों को देख पाते हैं, लेकिन वैज्ञानिक उन्नत टेलीस्कोपों की मदद से ब्रह्मांड की गहराइयों में छाकने की कोशिश करते हैं तो चलिए आज तारों का पूरा गणित समझते हैं। आखिर तारे बनते कैसे हैं? वैज्ञानिक इनकी गणना कैसे करते हैं? और जब तारों का जीवन चक्र पूरा हो जाता है तो यह मरते कैसे हैं?
ब्रह्मांड में कितने तारे हैं (प्रतीकात्मक तस्वीर)
तारों का कैसे होता है जन्म?
लोगों के भीतर यह जानने की हमेशा जिज्ञासा होती है कि आसमान में चमकने वाले तारों का आखिर जन्म कैसे होता है और क्या जन्म से ही उनके पास चमकने का गुण होता है। दरअसल, तारों का जन्म निहारिका में होता है, जिसे हम नेबुला के नाम से जानते हैं। नेबुला और कुछ नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में मौजूद धूल, गैस और प्लाज्मा के बादल होते हैं। एक बात तो आप सभी अब समझ ही गए होंगे कि गैस के विशालकाय गोले ही असल में तारे होते हैं, जो गुरुत्वाकर्षण की वजह से एक साथ बंधे रहते हैं।
नेबुला में मौजूद गैस और धूल के कण गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से एक-दूसरे की ओर आकर्षित होने लगते हैं। यह प्रक्रिया किसी बाहरी घटना की वजह से शुरू हो सकती है। जैसे-जैसे गैस के बादल सिकुड़ने लगता है वह तेजी से घूमने लगते हैं और गर्म हो जाते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान बादल का केंद्रीय भाग गर्म और घना हो जाता है जिसे प्रोटोस्टार कहते हैं। इस प्रक्रिया में अभी तक प्रोटोस्टार पूरी तरह से तारा नहीं बनता है, लेकिन ऊर्जा उत्सर्जित करना शुरू कर देता है। ऐसे में जब प्रोटोस्टार का केंद्रीय तापमान लाखों डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है तो हाइड्रोजन के परमाणु आपस में मिलकर हीलियम बनाते हैं। इस प्रक्रिया के साथ ही तारे को चमक मिलती है और प्रोटोस्टार तारा बन जाता है।
स्टार नर्सरी (प्रतीकात्मक तस्वीर)
तस्वीर साभार : iStock
कई प्रकार के होते हैं तारे (Types of Star)
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के मुताबिक, ब्रह्मांड के तारों की चमक, आकार, रंग और व्यवहार अलग-अलग होते हैं। कुछ तारे बहुत तेजी से दूसरे में बदल जाते हैं, जबकि कुछ खरबों सालों तक अपेक्षाकृत अपरिवर्तित रहते हैं।
नीला तारा (बहुत ज्यादा गर्म)
लाल तारा (सबसे छोटा और ठंडा)
पीला तारा (सूर्य जैसे तारे)
न्यूट्रॉन तारा (तारकीय अवशेष)
भूरा बौना (तकनीकी तौर पर यह तारा नहीं)
तारों की मृत्यु
तारों का अंत उनके द्रव्यमान पर निर्भर करता है। छोटे, मध्यम और विशालकाय विभिन्न तारों का अंत अलग-अलग होता है। स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रह्मांड के विशालकाय तारे जब मरते हैं तब माहौल बहुत ज्यादा हिंसक हो जाता है। विशालकाय तारे हाइड्रोजन खत्म होने के बाद लाल महादानव बनते हैं। ये तारे हीलियम को भारी तत्वों (जैसे कार्बन, ऑक्सीजन) में बदलते हैं। जब तारे का केंद्र भारी तत्वों से भर जाता है तो संलयन रुक जाता है। केंद्र अचानक सिकुड़ता है और फिर एक विशालकाय विस्फोट होता है, जिसे सुपरनोवा कहते हैं। यह इतना ज्यादा चमकीला होता है कि कुछ समय के लिए पूरी आकाशगंगा को रोशन कर सकता है। तारों की मृत्यु से ब्लैक होल भी बनते हैं।
आसमान में अनगिनत तारे होते हैं जिन्हें हम खुली आंखों से नहीं गिन सकते हैं और वैज्ञानिकों के पास भी ऐसी क्षमता नहीं कि इतने बड़े पैमाने पर तारों को एक-एक कर गिना जा सके। ऐसे में वैज्ञानिक सैंपलिंग इत्यादि माध्यम से एक अनुमान लगाते हैं, लेकिन कोई भी स्पष्ट संख्या नहीं बता सकता है।
उदाहरण के लिए, नासा आसमान के एक छोटे हिस्से का चयन करती है और तारों की संख्या की गणना करती है। इसी आधार पर आसमान के अन्य हिस्सों की संख्या से गुणा करके एक अनुमान तैयार किया जाता है। यह अनुमान आकाशगंगा के आधार पर भी लगाया जाता है।
यूरोपीय स्पेस एजेंसी एक रिपोर्ट के मुताबिक, तारे अंतरिक्ष में बेतरतीब ढंग से नहीं बिखरे हैं, बल्कि विशाल समूहों में एकजुट हैं जिन्हें आकाशगंगाएं कहते हैं। सूर्य एक आकाशगंगा का हिस्सा है जिसे मिल्की वे कहते हैं। खगोलविदों का अनुमान है कि अकेले मिल्की वे में ही लगभग 100 अरब तारे हैं। इसके अलावा लाखों-करोड़ों अन्य आकाशगंगाएं भी मौजूद हैं।
कहा जाता है कि ब्रह्मांड में तारों की गिनती करना, पृथ्वी के किसी समुद्र तट पर रेत के कणों की संख्या गिनने जैसा है। हम समुद्र तट के सतही क्षेत्रफल को मापकर और रेत की परत की औसत गहराई ज्ञात करके ऐसा कर सकते हैं। यदि हम रेत की एक छोटी सी प्रतिनिधि मात्रा में कणों की संख्या गिनें तो गुणा करके हम पूरे समुद्र तट पर कणों की संख्या का अनुमान लगा सकते हैं।
ब्रह्मांड के लिए आकाशगंगाएं हमारी छोटी प्रतिनिधि मात्राएं हैं और हमारी आकाशगंगा में 100 अरब तारे हैं और संभवत: 100 अरब से 200 अरब तक आकाशगंगाएं हैं। इस आधार पूरे ब्रह्मांड में तारों की संख्या 10²² से 10²⁴ (10 sextillion से 1 septillion) के बीच हो सकती है। यह संख्या इतनी विशाल है कि इसे समझ पाना बेहद कठिन है।