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La Niña की वापसी: भारत के मानसून और सर्दियों पर क्या होगा असर?

भारत में लगातार भारी बारिश और बाढ़ ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार इस साल ला-नीना के प्रभाव से सर्दियां और अधिक कड़ी होंगी। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने चेतावनी दी है कि ला-नीना के चलते कड़ाके की सर्दियां पड़ेंगी।

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इन दिनों देशभर में मानसूनी बारिश से हाहाकार मचा हुआ है। भारी बारिश और बादल फटने से जहां पहाड़ों में सैलाब आ रहा है, वहीं मैदानी इलाके में सड़कें और मोहल्ले तालाब बन रहे हैं। लगातार होती भारी बारिश से न तो गांवों में रहने वाले लोग खुश हैं, न शहरी जनता और न ही खेती करने वाले किसान। पहाड़ खिसक रहे हैं, जिससे सड़कें टूट रही हैं और लोगों के मकान भी ढह जा रहे हैं। नदियां अपने तटबंध तोड़कर शहर की सीमा में घुस रही हैं। बाढ़ ने किसानों की फसलें बर्बाद कर दी हैं। इतनी भारी बारिश के बाद हर किसी का यही कहना है कि इस साल ठंड भी जबरदस्त पड़ेगी। अगर आप 10 लोगों से बात करें तो कम से कम 8 लोग आपको इस साल कड़ाके की ठंड का खौफ अभी से दिखाने लगेंगे। असल में वे गलत भी नहीं हैं। क्योंकि भारत में कड़ाके की ठंड के लिए La Niña इफेक्ट जिम्मेदार होता है। बड़ी बात यह है कि विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के अनुसार ला नीना मौसम और जलवायु प्रणाली को प्रभावित कर सकता है। चलिए जानते हैं WMO ने असल में क्या कहा है और यह ला नीना क्या होता है? यह भारत को कैसे प्रभावित करता है? और ला-नीना इफेक्ट होने पर भारत की सर्दियां कितनी बेदर्दी होंगी?

ला-नीना बनाए सर्दियों को और भी ठंडा

WMO का सर्दियों को लेकर क्या कहना है?

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने सितंबर में 'ला नीना' के आने और मौसम व जलवायु प्रणाली को प्रभावित करने की संभावना जतायी है। ला नीना पेरू के समुद्र में बनने वाली एक ऐसी स्थिति है, जो समुद्री जल को ठंडा करती है और इससे भारत में मानसून मजबूत होता है। यानी ला-नीना के कारण भारत में मानसून में अच्छी या ज्यादा बारिश होती है। इसी ला-नीना के कारण हमारे देश में सर्दियों के दौरान ठंड भी ज्यादा पड़ती है। ला-नीना का उल्टा है अल-नीनो।

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