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'ब्रेन ईटिंग अमीबा' का कहर, एक महीने में 6 मौतें, जानें क्या है यह दुर्लभ बीमारी और इससे कैसे बचें?

Amoebic meningoencephalitis: केरल में पिछले कुछ समय में 'ब्रेन ईटिंग अमीबा' का कहर जारी है। यह बीमारी अब तक एक महीने में 6 लोगों की जान ले चुकी है। स्वास्थ्य विभाग के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। आएं जानते हैं कि क्या है यह दुर्लभ बीमारी और इससे कैसे बचें?
Amoebic meningoencephalitis (image: instagram)

Amoebic meningoencephalitis (image: instagram)

Kerala Infection Outbreak: केरल इन दिनों एक रहस्यमयी और जानलेवा बीमारी से जूझ रहा है, जिसका नाम सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं अमीबिक मेनिन्जोएंसेफेलाइटिस (Amoebic meningoencephalitis) जिसे आम भाषा में "ब्रेन ईटिंग अमीबा" कहा जाता है। यह बीमारी अब तक एक महीने में छह जिंदगियों को निगल चुकी है, और स्वास्थ्य विभाग के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन चुकी है।

क्या है ब्रेन ईटिंग अमीबा?

यह संक्रमण Naegleria fowleri नामक एक सूक्ष्मजीव यानी अमीबा के कारण होता है, जो ज्यादातर गर्म और ठहरे हुए ताजे पानी जैसे झील, तालाब, नदी या असुरक्षित स्विमिंग पूल में पाया जाता है। यह अमीबा तब खतरनाक होता है जब पानी के जरिए यह नाक के रास्ते मस्तिष्क में प्रवेश करता है और फिर दिमाग की कोशिकाओं को नष्ट करने लगता है।

कैसे होता है संक्रमण?

यह बीमारी संक्रमित पानी के पीने से नहीं होती, बल्कि तब होती है जब संक्रमित पानी नाक के जरिए शरीर में जाता है जैसे तैरते समय यह अमीबा नाक से होते हुए सीधे मस्तिष्क तक पहुंचता है और वहां तेजी से मस्तिष्क की झिल्लियों को संक्रमित करता है।

लक्षण क्या होते हैं?

संक्रमण के लक्षण बहुत तेजी से उभरते हैं। इसमें शामिल हैं: तेज सिरदर्द, बुखार, मतली और उल्टी, गर्दन में अकड़न, भ्रम या बेहोशी, दौरे पड़ना। अक्सर ये लक्षण संक्रमण के 5 से 7 दिनों के भीतर दिखाई देते हैं और स्थिति बहुत तेजी से बिगड़ती है। मृत्यु दर 95% से अधिक है, यानी इसका इलाज अत्यंत कठिन है।

केरल में कहां और कैसे फैला संक्रमण?

केरल में अब तक जिन छह लोगों की मौत हुई है, उनमें से अधिकतर का संबंध मलप्पुरम और कोझिकोड जिलों से है। हाल ही में 49 वर्षीय शाजी, मलप्पुरम के चेलेम्ब्रा निवासी, की कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। राज्य में स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, संक्रमण का स्रोत अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन आशंका जताई जा रही है कि ये सभी मामले प्राकृतिक जलस्रोतों में स्नान या तैराकी से जुड़े हुए हैं।

पहली बार कब सामने आया यह संक्रमण?

Naegleria fowleri का पहला मामला 1965 में ऑस्ट्रेलिया में दर्ज किया गया था। भारत में भी इसके sporadic (छिटपुट) मामले समय-समय पर सामने आते रहे हैं, लेकिन केरल में पिछले कुछ हफ्तों में यह संक्रमण एक क्लस्टर के रूप में सामने आ रहा है जो चिंताजनक है।

विशेषज्ञों के अनुसार, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:

1. जलवायु परिवर्तन – गर्म और आर्द्र मौसम में इस अमीबा की वृद्धि तेजी से होती है।

2. बढ़ती गर्मी और सूखा – जलाशयों में पानी का स्तर कम होता है और ठहराव बढ़ता है, जो अमीबा के लिए आदर्श स्थिति बनाता है।

3. साफ-सफाई की कमी – विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में जलस्रोतों की स्वच्छता पर ध्यान नहीं दिया जाता।

4. सावधानी की कमी – लोग बिना नाक बंद किए तैरते हैं या नाक में पानी डालते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ता है।

इस बीमारी का इलाज बहुत कठिन है, इसलिए बचाव ही सबसे बेहतर उपाय है-

ठहरे हुए या असुरक्षित पानी में तैरने से बचें

नाक में पानी जाने से रोकें (नाक क्लिप का इस्तेमाल करें)

साफ-सुथरे स्विमिंग पूल में ही तैराकी करें

बुखार या सिरदर्द जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें

सभी जलस्रोतों की निगरानी और जांच जरूरी है,स्कूलों, गांवों, हर जगहों पर जागरूकता अभियान चलाए जाएं किसी भी मौत या संदिग्ध केस की तुरंत रिपोर्टिंग और जांच हो।

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भावना किशोर author

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मूल की भावना ने देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIMC से 2014 में पत्रकारिता की पढ़ाई की. 10 सालों से मीडिया में काम कर रही हैं. न्यू...और देखें

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