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आपसी रिश्ते सुधारने के लिए भारत-चीन की बड़ी पहल, सीमा विवाद सुलझाने के लिए बनाएंगे वर्किंग ग्रुप

सबसे खास बात यह है कि सीमा पर शांति एवं सद्भाव कायम करने के लिए भारत और चीन एक वर्किंग ग्रुप का गठन करने पर राजी हुए हैं। यह समूह सीमा विवाद का त्वरित गति से हल निकालने के लिए काम करेगा। दोनों देश सीमा के जरिए अपना व्यापार दोबारा शुरू करेंगे। दोनों देशों के बीच मंगलवार को 'बाउंड्री क्योश्चन' पर 24वें दौर की स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव वार्ता हुई
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एनएसए अजीत डोभाल के साथ चीन के विदेश मंत्री वांग यी। तस्वीर-ANI

India China Relation: भारत और चीन ने आपसी रिश्ते को बेहतर बनाने एवं विश्वास बहाली की दिशा में बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है। दोनों देशों के बीच मंगलवार को 'बाउंड्री क्योश्चन' पर 24वें दौर की स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव वार्ता हुई जिसमें द्विपक्षीय संबंध सुधारने के लिए दोनों देश कई कदम उठाने पर सहमत हुए। सबसे खास बात यह है कि सीमा पर शांति एवं सद्भाव कायम करने के लिए दोनों देश एक वर्किंग ग्रुप का गठन करने पर राजी हुए हैं। यह समूह सीमा विवाद का त्वरित गति से हल निकालने के लिए काम करेगा। दोनों देश सीमा के जरिए अपना व्यापार दोबारा शुरू करेंगे।

सीमा व्यापार को फिर खोलने पर सहमत हुए दोनों देश

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक सीमा प्रबंधन की प्रक्रिया आगे बढ़ाने और तनाव कम करने के लिए दोनों देश राजनयिक एवं सैन्य स्तर पर सीमा प्रबंधन तंत्र का इस्तेमाल करने पर सहमत हुए हैं। इसके अलावा दोनों देश तीन निर्दिष्ट व्यापार बिंदुओं के माध्यम से सीमा व्यापार को फिर खोलने पर अपनी सहमति दी है।

भारत-चीन संबंधों में सुधार आया-NSA

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मंगलवार को कहा कि पिछले नौ महीनों में भारत-चीन संबंधों में सुधार आया है क्योंकि सीमा पर शांति बनी हुई है। उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ सीमा पर तनाव कम करने और संबंधित मुद्दों पर बातचीत की। डोभाल और वांग ने विशेष प्रतिनिधि तंत्र के ढांचे के तहत 24वें दौर की वार्ता की, जिसके एक दिन पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष से मुलाकात की थी। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारतीय पक्ष ने सीमापार आतंकवाद सहित सभी तरह के आतंकवाद के मुद्दे को दृढ़ता से उठाया और याद दिलाया कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के मूल उद्देश्यों में से एक आतंकवाद की बुराई का मुकाबला करना है।

जयशंकर ने ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध का मुद्दा उठाया

चीन में आयोजित होने जा रहे वार्षिक एससीओ शिखर सम्मेलन में एक पखवाड़े से भी कम समय बचा है। बयान में कहा गया कि जयशंकर ने यारलुंग त्सांगपो (ब्रह्मपुत्र नदी) के निचले हिस्से में चीन द्वारा किए जा रहे एक विशाल बांध के निर्माण के संबंध में भारत की चिंताओं को भी रेखांकित किया, क्योंकि इसका निचले तटवर्ती राज्यों पर प्रभाव पड़ेगा। इसमें कहा गया कि इस संबंध में अत्यधिक पारदर्शिता की आवश्यकता को दृढ़ता से रेखांकित किया गया।

सीमा मामलों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा हुई

विदेश मंत्रालय ने कहा कि विशेष प्रतिनिधि (एसआर) वार्ता में ‘तनाव कम करने, परिसीमन और सीमा मामलों’से संबंधित मुद्दों पर चर्चा हुई। वांग सोमवार को दो दिवसीय यात्रा पर दिल्ली पहुंचे। उनकी यात्रा को दोनों पड़ोसियों द्वारा अपने संबंधों को फिर से सुधारने के लिए किए जा रहे प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। वर्ष 2020 में गलवान घाटी में हुए भीषण संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी तल्खी आ गई थी। टेलीविजन पर प्रसारित अपने आरंभिक संबोधन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने विशेष प्रतिनिधि वार्ता के पिछले दौर के लिए पिछले दिसंबर में अपनी बीजिंग यात्रा को याद किया और कहा कि तब से दोनों पक्षों के बीच संबंधों में ‘उन्नति की प्रवृत्ति’ रही है।

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आलोक कुमार राव author

आलोक कुमार राव न्यूज डेस्क में कार्यरत हैं। यूपी के कुशीनगर से आने वाले आलोक का पत्रकारिता में करीब 19 साल का अनुभव है। समाचार पत्र, न्यूज एजेंसी, टेल...और देखें

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