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मुस्लिम 'टोपी' पहनने से नीतीश कुमार का इंकार, 12 साल पहले मोदी को दी थी नसीहत

बिहार के सीएम नीतीश कुमार के 'टोपी' नहीं पहनने पर बिहार की राजनीतिक गरमा गई है। चुनाव सिर पर है ऐसे में विपक्ष इस मुद्दे को हवा देने में जुटा है। दरअसल, मंच पर सीएम नीतीश को दो बार 'टोपी' पहनाने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने दोनों बार इसे पहनने से मना कर दिया। दूसरी बार अल्पसंख्यक मंत्री जमा खान ने उन्हें 'टोपी पहनाने' की कोशिश की लेकिन नीतीश ने 'टोपी' लेकर जमा को पहना दिया।
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पटना में मुस्लिम कार्यक्रम में शामिल होते बिहार के सीएम नीतीश कुमार। तस्वीर-Twitter

Nitish Kumar: साल 2013 में मुस्लिम टोपी को लेकर नरेंद्र मोदी पर तंज कसने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब इस टोपी से किनारा करते नजर आए हैं। गुरुवार को पटना के ज्ञान भवन में बिहार मदरसा एजुकेशन बोर्ड के शताब्दी समारोह में उन्हें टोपी पहनाने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने इसे पहनने से इंकार कर दिया। टोपी नहीं पहनने पर विपक्ष नीतीश की 'धर्मनिरपेक्षता' पर सवाल उठा रहा है। दरअसल, मुस्लिमों की इफ्तार पार्टियों एवं उनके समारोहों में नीतीश कुमार मुस्लिम टोपी में नजर आ चुके हैं।

टोपी नहीं पहनने पर मोदी को दी थी नसीहत

दरअसल, 2013 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान, नीतीश ने जोर देकर कहा था कि भारत के नेता को टोपी और तिलक दोनों (मुस्लिम और हिंदू समुदायों के प्रतीक) पहनने चाहिए। उन्होंने तब किसी का नाम नहीं लिया था, लेकिन यह स्पष्ट रूप से गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के उस कदम पर निशाना था, जिसमें उन्होंने एक मुस्लिम मौलवी द्वारा दी गई टोपी पहनने से इनकार कर दिया था।

'टोपी' जमा खान को पहना दिया

नीतीश के 'टोपी' नहीं पहनने पर बिहार की राजनीतिक गरमा गई है। चुनाव सिर पर है ऐसे में विपक्ष इस मुद्दे को हवा देने में जुटा है। दरअसल, मंच पर सीएम नीतीश को दो बार 'टोपी' पहनाने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने दोनों बार इसे पहनने से मना कर दिया। दूसरी बार अल्पसंख्यक मंत्री जमा खान ने उन्हें 'टोपी पहनाने' की कोशिश की लेकिन नीतीश ने 'टोपी' लेकर जमा को पहना दिया।

नीतीश को मुस्लिम समुदाय की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है

समझा जाता है कि नीतीश के 'टोपी' नहीं पहनने का विपक्ष चुनाव में मुद्दा बना सकता है। राज्य में मुस्लिमों की आबादी करीब 18 प्रतिशत है और यह समुदाय करीब 50 सीटों पर उम्मीदवारों की जीत और हार तय कर करता है। बिहार में मुस्लिम तबका ज्यादातर राजद के साथ रहा है लेकिन सत्ता तक नीतीश को पहुंचाने में इस समुदाय का भी साथ मिलता आया है। अब इस घटना के बाद मुस्लिम समाज की उन्हें नाराजगी झेलनी पड़ सकती है।

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आलोक कुमार राव author

आलोक कुमार राव न्यूज डेस्क में कार्यरत हैं। यूपी के कुशीनगर से आने वाले आलोक का पत्रकारिता में करीब 19 साल का अनुभव है। समाचार पत्र, न्यूज एजेंसी, टेल...और देखें

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