पटरी पर आ रहे भारत-चीन के रिश्ते, दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से मिले चीन के विदेश मंत्री वांग यी

दिल्ली में पीएम मोदी से मिलते चीन के विदेश मंत्री। तस्वीर-ANI
Wang Yi meets PM Modi: चीन के विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास, 7 लोक कल्याण मार्ग जाकर उनसे मुलाकात की। यह मुलाकात इसलिए अहम मानी जा रही है क्योंकि दोनों देश अपने रिश्तों में आए तनाव को कम करना चाहते हैं। यह बैठक उस समय हुई है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद हुए ऑपरेशन सिंदूर में चीन ने पाकिस्तान का साथ दिया था, लेकिन अब नई दिल्ली और बीजिंग के रिश्तों में नरमी देखी जा रही है।
वैश्विक शांति एवं समृद्धि में योगदान देंगे दोनों देशों के संबंध-PM
इस मुलाकात पर पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में कहा, 'पिछले साल कजान में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मेरी मुलाकात के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तेजी से सुधार हुआ है। दोनों देश एक-दूसरे के हितों एवं संवेदनशील मुद्दों को सम्मान दे रहे हैं। तिआनजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से इतर होने वाली अपनी अगली मुलाकातों को लेकर मैं आशान्वित हूं। भारत और चीन के बाच स्थिर और रचनात्मक संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक शांति एवं समृद्धि में उल्लेखनीय रूप से योगदान करेंगे।' इस मुलाकात को भारत-चीन दोनों देशों के रिश्तों को वापस पटरी पर लाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
भारत आए हैं चीन के विदेश मंत्री यी
चीन के विदेश मंत्री ने मंगलवार को कहा कि भारत-चीन संबंध में सहयोग की ओर लौटने की दिशा में सकारात्मक रुझान दिख रहे हैं। यी ने साथ ही इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों को एक-दूसरे को प्रतिद्वंद्वी के रूप में नहीं बल्कि साझेदार के रूप में देखना चाहिए। सोमवार को नई दिल्ली पहुंचे वांग ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बैठक के दौरान यह टिप्पणी की। उनकी यह यात्रा प्रधानमंत्री मोदी की शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन की प्रस्तावित यात्रा से पहले हुई है।
भारत-चीन राजनयिक संबंध के 75 साल पूरे
बैठक में वांग ने जयशंकर से कहा कि चीन-भारत संबंध में सहयोग की ओर लौटने की दिशा में सकारात्मक रुझान दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष चीन और भारत के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के 75 साल पूरे हुए हैं और अतीत से सबक सीखा जा सकता है। उनका यह बयान पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के बाद चार साल से अधिक समय में संबंधों में आई दरार की ओर स्पष्ट संकेत था। सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ ने बताया कि उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के लिए सही रणनीतिक धारणा रखना, एक-दूसरे को प्रतिद्वंद्वी या खतरे के बजाय साझेदार और अवसर के रूप में देखना तथा विकास एवं पुनरुद्धार में अपने बहुमूल्य संसाधनों का निवेश करना अनिवार्य है।
दोनों देशों को एक-दूसरे पर भरोसा करना चाहिए-यी
उन्होंने कहा कि दोनों देशों को प्रमुख पड़ोसी देशों के लिए आपसी सम्मान और विश्वास के साथ सह-अस्तित्व, साझा विकास और अनुकूल सहयोग हासिल करने के सही तरीके तलाशने चाहिए। वांग ने कहा कि चीन मैत्री, ईमानदारी, परस्पर लाभ और समावेशिता के सिद्धांतों को कायम रखने और भारत सहित पड़ोसी देशों के साथ मिलकर एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित, समृद्ध, खूबसूरत और मैत्रीपूर्ण क्षेत्र बनाने के लिए काम करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को भरोसा करना चाहिए, एक दिशा में आगे बढ़ना चाहिए, बाधाओं को दूर करना चाहिए, सहयोग का विस्तार करना चाहिए। खबर के अनुसार, वांग और जयशंकर के बीच बातचीत के बाद दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने पर सहमत हुए।
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आलोक कुमार राव न्यूज डेस्क में कार्यरत हैं। यूपी के कुशीनगर से आने वाले आलोक का पत्रकारिता में करीब 19 साल का अनुभव है। समाचार पत्र, न्यूज एजेंसी, टेल...और देखें

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