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सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव रद्द करने की मांग वाली याचिका की खारिज, विपक्ष को बड़ा झटका

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव रद्द करने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। इस कदम से विपक्ष के दावों को बड़ा झटका लगा है।
Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट (फोटो:X)

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की वैधता को चुनौती देने वाली चेतन चंद्रकांत अहिरे की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी इस मांग को नकार दिया था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की बेंच ने ये फैसला दिया है। आपको बता दें कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत पूरी विपक्षी एकता बार-बार ये दावा करते आ रहे हैं कि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में शाम 6 बजे के बाद अप्रत्याशित वोटिंग हुई थी।

चुनाव रद्द करने की मांग का आधार क्या था?

1.चुनाव में लगभग 76 लाख वोट (6.80%) ऐसे बताए गए, जो मतदान समय शाम 6 बजे के बाद पड़े।

2.याचिका में दावा किया गया कि सूचना के कानून के तहत मिली जानकारी के अनुसार चुनाव आयोग के पास उन वोटरों के आंकड़े उपलब्ध नहीं थे जिन्हें पोलिंग खत्म होते समय (6 बजे तक) पर्चियां दी गई थीं और बाद में उन्होंने मतदान भी किया।

3.RTI से मिली इसी जानकारी की कमी को याचिकाकर्ता ने ग़लत और अवैध मतदान करार दिया।

4.याचिकाकर्ता का कहना था कि इतने बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ी ने चुनाव प्रक्रिया को ही दूषित कर दिया है और चुनाव आयोग अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी निभाने में विफल हुआ है।

5.हालांकि इन मांगों के लिए याचिकाकर्ता ने इलेक्शन पेटिशन न दाखिल कर संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट पेटिशन लगाई थी। जिसमें 2024 में महाराष्ट्र में हुए पूरे विधानसभा चुनाव को ही रद्द करने की मांग की गई थी।

बॉम्बे हाइकोर्ट ने किन सवालों के जवाब तलाशे?

एक राज्य के पूरे विधानसभा चुनाव को ही रद्द कर देने की बड़ी मांग वाली याचिका पर विचार करने के लिए हाइकोर्ट के समक्ष कई कानूनी प्रश्न थे। जस्टिस जी. एस. कुलकर्णी और जस्टिस आरिफ एस. डॉक्टर की बेंच ने कुछ संवैधानिक पहलुओं पर विचार किया, जिसमें मुख्य सवाल थे।

1.क्या हाईकोर्ट में अनुच्छेद 226 के तहत विधानसभा चुनाव की वैधता को सीधे चुनौती दी जा सकती है। हाईकोर्ट के पास Article 226 में इतनी व्यापक शक्ति नहीं है कि वह पूरे विधानसभा चुनाव को ही निरस्त कर दे।

2.जब संविधान और जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 में चुनाव विवादों से जुड़े मामलों में राहत के लिए इलेक्शन पेटिशन का प्रावधान दिया गया है, तो क्या रिट याचिका मेंटेनेबल या सुनवाई योग्य है?

3.क्या आरटीआई से मिली अधूरी जानकारी किसी चुनाव को पूर्ण रूप से अवैध घोषित करने का आधार बन सकती है?

बॉम्बे हाइकोर्ट किस नतीजे पर पहुंची थी?

1.बॉम्बे हाइकोर्ट ने कहा कि पूरे चुनाव को अवैध घोषित करने जैसी मांग संविधान आर्टिकल 226 के तहत रिट याचिका से नहीं की जा सकती है। ऐसे विवाद को केवल जन प्रतिनिधित्व कानून,1951 के तहत इलेक्शन पिटीशन से ही उठाया जा सकता है।

2.याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि लगभग 76 लाख वोट (6.8%) मतदान समय शाम 6 बजे के बाद पड़े और चुनाव आयोग के पास इनका कोई रिकॉर्ड नहीं है। अदालत ने पाया कि यह आरोप केवल एक RTI से मिले जवाब और अखबार की ख़बरों पर आधारित है, इसके लिए कोई ठोस साक्ष्य नहीं दिया गया है।

3.हाईकोर्ट ने कहा कि संदेह और न्यूज पेपर की रिपोर्टों के आधार पर पूरी चुनाव प्रक्रिया को अवैध नहीं ठहराया जा सकता। यह याचिका कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

4.हाईकोर्ट ने साफ किया कि चुनावी लोकतंत्र की पवित्रता पर सवाल उठाने के लिए ठोस सबूत और सही कानूनी प्रक्रिया का पालन करना ज़रूरी है।

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गौरव श्रीवास्तव author

टीवी न्यूज रिपोर्टिंग में 10 साल पत्रकारिता का अनुभव है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से लेकर कानूनी दांव पेंच से जुड़ी हर खबर आपको इस जगह मिलेगी। साथ ही चुना...और देखें

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