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'इसका समर्थन करने वाले हम पहले व्यक्ति...', PM-CM से जुड़े बिल को लेकर अभिषेक बनर्जी ने कही बड़ी बात

Monsoon Session: तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने बुधवार को आरोप लगाया कि गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्रियों को हटाने का प्रावधान करने वाले विधेयक मोदी सरकार द्वारा जवाबदेही के बिना सत्ता बनाए रखने का प्रयास हैं। उन्होंने कहा कि हम इन विधेयकों का समर्थन करने वाले पहले व्यक्ति होंगे।
Abhishek Banerjee

तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी (फोटो साभार: @abhishekaitc)

Monsoon Session: तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने बुधवार को आरोप लगाया कि गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्रियों को हटाने का प्रावधान करने वाले विधेयक मोदी सरकार द्वारा जवाबदेही के बिना सत्ता बनाए रखने का प्रयास हैं।कोलकाता में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए बनर्जी ने दावा किया कि ये विधेयक एक “नौटंकी” से अधिक कुछ नहीं हैं, क्योंकि केंद्र मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को “आगे बढ़ाने में अपनी विफलता” से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा है, जिसे अब “उच्चतम न्यायालय में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।”

क्या कुछ बोले अभिषेक बनर्जी?

उन्होंने कहा, “हम इन विधेयकों का समर्थन करने वाले पहले व्यक्ति होंगे। हम सरकार से आग्रह करते हैं कि मंत्रियों की जेल की अवधि को प्रस्तावित 30 दिन से घटाकर 15 दिन कर दिया जाए। लेकिन सरकार को यह प्रावधान जोड़ना होगा कि यदि 16वें दिन मंत्री दोषी साबित नहीं होते हैं, तो संबंधित एजेंसी के जांच अधिकारियों और उसके शीर्ष अधिकारियों को जांच के नाम पर नेता को जेल में रखने की अवधि से दोगुने समय तक जेल में रहना होगा।”

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के विरोध और हंगामे के बीच लोकसभा में ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025’, ‘संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025’ और ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025’ पेश किए। विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि यदि प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री या मुख्यमंत्री को ऐसे अपराधों के लिए गिरफ्तार किया जाता है और लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रखा जाता है, जिनमें कम से कम पांच साल की जेल की सजा का प्रावधान है, तो वे 31वें दिन अपना पद गंवा देंगे।

'संसद में कभी पारित नहीं हो पाएगा बिल'

बनर्जी ने कहा कि इन विधेयकों को पारित करने के लिए दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता है, क्योंकि इनका उद्देश्य संविधान में संशोधन करना है, लेकिन संसद में ये कभी पारित नहीं हो पाएंगे, क्योंकि भाजपा के पास आवश्यक संख्याबल नहीं है। उन्होंने दावा किया, “महज 240 सांसदों के साथ, उधार के समय में सरकार संविधान को फिर से लिखने का प्रयास कर रही है। बिना प्रक्रिया का पालन किए, यहां तक कि सदस्यों के समक्ष विधेयक पेश किए बिना, भाजपा 130वें संविधान संशोधन के जरिये लोकतंत्र को कुचलने की कोशिश कर रही है।”

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बनर्जी ने दावा किया, “विधेयकों को पेश करने के पीछे की मंशा भाजपा को बिना जवाबदेही के सत्ता, धन और राष्ट्र पर नियंत्रण बनाए रखने में सक्षम बनाना है। इसलिए वे विधेयकों में हमारी मांग के अनुसार जवाबदेही वाला प्रावधान कभी शामिल नहीं करेंगे। भारत के लोगों ने इसे सफलतापूर्वक रोक दिया है।” विपक्ष के हंगामे के बीच, मसौदा कानूनों को संसद की एक संयुक्त समिति को भेज दिया गया, जिसमें लोकसभा से 21 और राज्यसभा से 10 सदस्य शामिल हैं। बनर्जी ने आरोप लगाया कि गृह मंत्री ने 20 मार्शलों की मदद से विधेयक पेश करते हुए “कायरतापूर्ण” व्यवहार किया।

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अनुराग गुप्ता author

टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर कीबोर्ड पीट रहा हूं। परत-दर-परत खबरों को खंगालना और छानना आदतों में शुमार है। पत्रकारिता एवं जनसंच...और देखें

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