पांच नदियों की धारा में बसा है भारत का यह राज्य, जानें इनके नाम और महत्व

भारत में एक ऐसा भी राज्य है जिसकी धरती पानी की धाराओं से सजी है। यहां की पांच नदियां अपनी कल-कल बहती आवाज के साथ जीवन और समृद्धि का संचार करती हैं। इन नदियों के किनारे बसी संस्कृति और इतिहास इस भूमि को और भी खास बनाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इस राज्य की प्रमुख नदियों के नाम को।

जीवंत संस्कृति वाला राज्य
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​जीवंत संस्कृति वाला राज्य

पंजाब अपनी जीवंत संस्कृति, भांगड़ा-गिद्दा जैसे नृत्य, स्वादिष्ट भोजन जैसे मक्के की रोटी और सरसों का साग, गुरुद्वारों की भव्यता और कृषि में उसका प्रमुख योगदान के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यही कारण है कि इसे भारत का "अन्न-भंडार" भी कहा जाता है। लेकिन इसके अलावा पंजाब अपनी पांच नदियों की वजह से भी जाना जाता है। पंजाब का नाम फारसी के दो शब्दों 'पंज' (पांच) और 'आब' (पानी/नदी) से मिलकर बना है। चलिए जानते हैं यहां की नदियों का नाम

सतलुज नदी
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​सतलुज नदी

सबसे पहली नदी है सतलुज नदी। यह नदी तिब्बत के राक्षसताल झील से निकलती है। हालांकि, कुछ भूवैज्ञानिक मानते हैं कि इसकी शुरुआत मानसरोवर झील से होती है, क्योंकि मानसरोवर का पानी राक्षसताल में जाकर मिलता है। जो भी सही हो, सतलुज हिमाचल प्रदेश से होते हुए पंजाब के रूपनगर (रोपड़) जिले में प्रवेश करती है। इसके बाद यह अमृतसर से होकर गुजरती है और अंततः पाकिस्तान के उच शरीफ के पास चिनाब नदी में मिल जाती है।

रावी नदी
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​रावी नदी

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की ऊंची-ऊंची हिमालय की पहाड़ियों से बहती है रावी नदी। यह वही रावी नदी है जिसे पंजाब की पांच प्रमुख नदियों में गिना जाता है। हिमाचल से निकलने के बाद यह पंजाब के पठानकोट जिले में पहुंचती है। इसके बाद यह भारत-पाक सीमा के साथ बहती है और अमृतसर और गुरदासपुर को पाकिस्तान से अलग करती है। आगे चलकर यह नदी चिनाब नदी में मिल जाती है, बिल्कुल वैसे ही जैसे सतलुज नदी मिलती है।

व्यास नदी
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​व्यास नदी

व्यास नदी की शुरुआत व्यास कुंड, हिमालय से होती है। यहां से निकलकर यह नदी हिमाचल प्रदेश के कई खूबसूरत इलाकों से होकर पंजाब के होशियारपुर जिले तक पहुंचती है। इसके बाद यह लंबा सफर तय करके तरनतारन जिले के हरिके में सतलुज नदी में मिल जाती है। व्यास नदी अपने रास्ते में धरती की खूबसूरती को और बढ़ाती है और कई शहरों, कस्बों और गांवों के लिए पानी का महत्वपूर्ण स्रोत बनती है। भारत के इतिहास में भी व्यास नदी का विशेष महत्व है – कहा जाता है कि सिकंदर की भारत पर चढ़ाई के समय यह नदी उसकी सबसे बड़ी चुनौती बनी थी।

झेलम नदी
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​झेलम नदी

झेलम नदी हिमालय से नहीं निकलती। इसकी शुरुआत जम्मू-कश्मीर के वेरीनाग झरने से होती है। इस नदी का मार्ग भी खास है। झेलम नदी पाकिस्तान के पंजाब राज्य से होकर बहती है और झंग जिले में चिनाब नदी में मिल जाती है। इसके रास्ते में आप मंगला डैम, उरी डैम और रसूल बैराज भी देख सकते हैं।

चेनाब नदी
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​चेनाब नदी

चेनाब नदी हिमाचल के लाहौल-स्पीति जिले की हिमालयी पहाड़ियों से निकलती है। इसके बाद यह जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत वादियों से होकर बहती है और फिर झेलम की तरह पाकिस्तान के पंजाब की ओर मुड़ जाती है। इसकी सुंदरता मंत्रमुग्ध कर देने वाली है। दरअसल, ‘चेन’ का अर्थ होता है चांद और ‘आब’ का अर्थ होता है पानी। कहा जाता है कि हीर और रांझा की पहली मुलाकात यहीं हुई थी।

पंजाब में बाढ़ कैसे आई
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​पंजाब में बाढ़ कैसे आई?

पंजाब में बाढ़ (Punjab Floods) की बात करें तो, मानसून के दौरान पंजाब की नदियां अक्सर उफान पर आ जाती हैं और अतीत में कई बार ऐसा देखा गया है। खासकर 1955, 1988, 1993, 2019 और 2023 में 26 अगस्त को पठानकोट के पास माधोपुर बैराज के दो गेट टूट गए थे, जिससे रावी नदी में पानी का बहाव दो लाख क्यूसेक से भी अधिक हो गया। इसके परिणामस्वरूप पठानकोट, गुरदासपुर और अमृतसर जिलों में भारी बाढ़ आई। इस दौरान पंजाब में लगातार बारिश ने हालात और भी गंभीर कर दिए। सतलुज नदी के अधिकांश तटबंध सुरक्षित रहे, लेकिन दक्षिणी पंजाब के मालवा क्षेत्र में भारी वर्षा के कारण लुधियाना, जालंधर, रोपड़, नवांशहर और मोगा जिलों में भीषण जलभराव देखने को मिला।

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