Chandra Grahan On Purnima Shradh 2025: पूर्णिमा श्राद्ध के दिन चंद्र ग्रहण, जानें कैसे करें आज तर्पण? क्या है पूर्णिमा श्राद्ध का मुहूर्त

चंद्र ग्रहण के दिन पूर्णिमा श्राद्ध, जानें कब से कबतक कर सकते हैं तर्पण (pic credit: canva)
Chandra Grahan On Purnima Shradh 2025: आज यानी 7 सितंबर के दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है। अब चंद्र ग्रहण में 9 घंटे पहले ही सूतक लग जाता है, जिसकी वजह से धार्मिक कार्य वर्जित हो जाते हैं। लेकिन आज तो पूर्णिमा श्राद्ध है। ये पितृपक्ष का पहला दिन होता है और यह भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है। ऐसे में आज पूर्णिमा श्राद्ध का तर्पण और पितृ पूजन कैसे करें? इसकी विस्तार में जानकारी आपको यहां मिलेगी-
चंद्र ग्रहण के सूतक में कब करें पूर्णिमा श्राद्ध?
आज चंद्र ग्रहण की शुरुआत रात 9 बजकर 58 मिनट पर होगी और देर रात 1 बजकर 26 मिनट पर ये खत्म हो जाएगा। चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले लगता है, इसका मतलब है कि आज, 7 सितंबर के दिन 12 बजकर 57 मिनट से सूतक लग जाएगा। इसलिए आज पूर्णिमा श्राद्ध आप 12 बजे से पहले कर सकते हैं।
आज चंद्र ग्रहण कितने बजे लगेगा?
पूर्णिमा श्राद्ध का शुभ मुहूर्त-
मान्यताओं के अनुसार, कुतुप काल में पितरों को श्राद्ध-तर्पण करना अच्छा होता है। आज 11 बजकर 53 मिनट से लेकर 11 बजकर 44 मिनट तक कुतुप काल रहेगा। इस दौरान आप श्राद्ध तर्पण कार्य कर सकते हैं। हालांकि, शुभ मुहूर्त की बात की जाए तो 11 बजकर 53 मिनट से लेकर 12 बजकर 44 मिनट तक का मुहूर्त है।
पूर्णिमा श्राद्ध-तर्पण की विधि-
सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और पवित्र और सादे वस्त्र पहनें। अब घर का एक पवित्र स्थान स्वच्छ करके वहाँ कुशा का आसन, पितरों की फोटो या दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके पूजा की व्यवस्था करें। फिर ब्राह्मण को आमंत्रित करें, या न हो तो विधिपूर्वक स्वयं भी कर सकते हैं। अब दाहिने हाथ में जल, तिल, फूल और कुश लेकर संकल्प करें और बोलें- ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः। मम पितृणां प्रीत्यर्थं पूर्णिमा श्राद्धं करिष्ये। काले तिल, कुश और जल मिलाकर अपने पितरों का तर्पण करें और बोलें- ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः। ये कहते हुए दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जल अर्पण करें। फिर चावल, तिल, घी, दूध, शहद आदि मिलाकर पिंड बनाएं और उसे कुश के आसन पर रखें। "ॐ पितृभ्यो नमः इदं पिंडं समर्पयामि" मंत्र पढ़ते हुए पिंड अर्पण करें। आखिर में ब्राह्मण को सादे सात्विक भोजन कराएँ और उन्हें वस्त्र, दक्षिणा, तिल, पात्र आदि का दान दें। यदि ब्राह्मण न हों तो गाय, कौआ, कुत्ता को भी भोजन देना श्राद्ध का अंग माना गया है। तर्पण और भोजन कराने के बाद ही खुद भोजन करें।
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