अध्यात्म

Radha Ashtami Vrat Katha: राधा अष्टमी की व्रत कथा, पौराणिक कहानी पढ़ने मात्र से बरसेगी किशोरी जी की कृपा

Radha Ashtami Vrat Katha In Hindi (श्री राधा अष्टमी व्रत कथा): राधा रानी का नाम हमेशा कान्हा जी के नाम के पहले लिया जाता है। मान्यताओं के मुताबिक भगवान कृष्ण के जन्म से ठीक 15 दिन बाद राधा का जन्म हुआ था। यही वजह है कि कृष्ण जन्माष्टमी के बाद राधाष्टमी का त्योहार भी मनाया जाता है। यहां से आप राधा अष्टमी की व्रत कथा पढ़ सकते हैं।
राधा अष्टमी व्रत कथा (pic credit: canva)

राधा अष्टमी व्रत कथा (pic credit: canva)

Radha Ashtami Vrat Katha In Hindi (श्री राधा अष्टमी व्रत कथा): हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल ये त्योहार 31 अगस्त, रविवार के दिन है। कहते हैं कि श्री राधा का स्मरण करने मात्र से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं। राधा रानी श्रीकृष्ण की ह्लादिनी शक्ति हैं। राधाष्टमी के दिन भक्त व्रत रहकर राधा रानी की पूजा करते हैं। राधा रानी की पूजा के साथ व्रत कथा भी पढ़ी जाती है। ये कथा आप यहां से देख सकते हैं-

Shree Radha Ashtami Vrat Katha | राधा अष्टमी व्रत कथा | राधा जी की जन्‍म कथा-

मान्यता है कि भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को श्री राधाजी का प्राकट्य हुआ था, इसलिए राधा अष्टमी मनाई जाती है। पद्म पुराण के अनुसार राधा जी महाराजा वृषभानु की सुपुत्री थीं। उनकी माता का नाम कीर्ति था। एक बार जब महाराजा वृषभानु यज्ञ के लिए भूमि की साफ-सफाई कर रहे थे, उस समय उनको भूमि पर राधाजी मिलीं थीं।

ऐसी कथा भी मिलती है कि जब भगवान विष्णु ने कृष्ण अवतार में जन्म ल‍िया तो उनकी पत्नी लक्ष्मी जी, राधा के रुप में पृथ्वी पर आई थी. ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार राधाजी, श्रीकृष्ण की सखी थीं और उनका विवाह रापाण या रायाण नाम के व्यक्ति के साथ सम्पन्न हुआ था। ऐसे भी उल्‍लेख हैं क‍ि राधाजी अपने जन्म के समय ही वयस्क हो गई थीं।

हिंदू शास्त्र के अनुसार माता राधा को शाप की वजह से पृथ्वी पर आकर भगवान श्री कृष्ण का वियोग सहना पड़ा था। हिंदू पुराण के अनुसार एक बार जब माता राधा स्वर्ग लोक से कहीं बाहर गई थी, उस वक्त श्रीकृष्ण विरजा नाम की सखी के साथ विहार कर रहे थे। वापस आने पर दोनों को साथ देख राधा नाराज हो गईं और व‍िरजा का अपमान कर द‍िया।

लज्जा वश व‍िरजा नदी बनकर बहने लगी। राधा के व्‍यवहार पर श्री कृष्ण के परम प्रिय मित्र सुदामा को बहुत ही गुस्सा आ गया और वह कान्‍हा का पक्ष लेते हुए राधा से क्रोधित होकर बात करने लगे। सुदामा का इस तरह का व्यवहार देखकर राधा और भी नाराज हो गई और उन्होंने सुदामा को दानव रूप में जन्म लेने का श्राप दे दिया। तब क्रोध में भरे हुए सुदामा ने भी बिना सोचे समझे राधा को मनुष्य योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया। राधा के श्राप की वजह से सुदामा शंखचूड़ नामक का नामक दानव बने, जिसका वध बाद में भगवान शिव ने किया।

वहीं सुदामा के दिए गए श्राप की वजह से राधा जी को भी मनुष्य के रूप में जन्म लेकर पृथ्वी पर आना पड़ा और भगवान श्री कृष्ण का वियोग सहना पड़ा।

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Srishti author

सृष्टि टाइम्स नाऊ हिंदी डिजिटल में फीचर डेस्क से जुड़ी हैं। सृष्टि बिहार के सिवान शहर से ताल्लुक रखती हैं। साहित्य, संगीत और फिल्मों में इनकी गहरी रूच...और देखें

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